हिसार: अखिल भारतीय किसान सभा ने हांसी तहसील के गांव भाटोल जाटान की पुरानी चौपाल पर कैप्टन देवेन्द्र सिंह बामल की अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया. सभा के जिला सचिव धर्मबीर कंवारी ने केंद्र के तीनों कृषि अध्यादेशों को किसान विरोधी बताया. उन्होंने बताया कि कैसे अनाज मंडी व एम.एस.पी. खत्म करके सरकार अनाज मंडियों का निजीकरण करके गिने-चुने व्यापारिक घरानों का खेती कृषि में एकाधिकार कायम करना चाहती है.
उन्होंने बताया कि कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग खेती किसानों के लिए मौत के समान है. जिससे किसान खुद की जमीन में मजदूर बन जाएगा और पीड़ित होते हुए भी न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटा पाएगा. अध्यादेशों के खिलाफ 2 सितंबर को हिसार जिला मुख्यालय पर धरना दिया जाएगा.
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किसान सभा के सहसचिव प्रदीप सिंह ने आजादी की लड़ाई में किसानों के संघर्ष व उसमें अखिल भारतीय किसान सभा की भागीदारी पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 1936 में किसान सभा का गठन स्वामी सहजानंद ने किया था और उस समय लाला लाजपत राय अलखपुरा और पंडित नेकीराम भिवानी भी किसान सभा के पदाधिकारी बने थे.
जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार ने किसानों की मौजूदा स्थितियों के बारे में बताया कि हिसार जिले का आधा भाग जलभराव से पीड़ित है और आधा भाग सफेद मक्खी, चेपा, टिड्डी व सूखे की मार से पीड़ित है. वहीं सरकार किसानों की स्पेशल गिरदावरी नहीं करवा रही है. जिससे नुकसान के आंकलन के बाद किसानों को मुआवजा मिल सके.