ETV Bharat / state

विदेशी नस्ल के सूअर पालने में लागत कम मुनाफा ज्यादा, लाखों में होगी कमाई - सूअर पालन में मुनाफा

सूअर पालन का प्रचलन (Pig farming in haryana) आज के समय में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है और बेरोजगार युवाओं के लिए यह रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. इसीलिए सरकार भी बेरोजगार युवाओं को सूअर पालन का रोजगार शुरू करने लिए प्रोत्साहन करने के साथ-साथ आर्थिक मदद भी दे रही है.

Pig farming in haryana
Pig farming in haryana
author img

By

Published : Dec 19, 2021, 4:13 PM IST

हिसार: बेहद कम लागत और अधिक मुनाफा होने के कारण सूअर पालन का प्रचलन (Pig farming in haryana) आज के समय में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. बेरोजगार युवाओं के लिए यह रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. सरकार भी सूअर पालन का रोजगार शुरू करने के लिए बेहतर प्रोत्साहन के साथ आर्थिक मदद और सब्सिडी भी दे रही हैं. एक समय था जब हरियाणा में सूअर पालन एक खास वर्ग द्वारा किया जाता था, लेकिन अब समय के साथ-साथ युवाओं की सोच बदल रही है और आत्मनिर्भर बनने की कड़ी में कई युवा इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं. सूअर पालन शुरू करने के लिए सरकार द्वारा लोन देने की व्यवस्था भी की गई है और सरकारी सूअर फार्म से बच्चे भी सब्सिडी रेट पर दिए जाते हैं.

सूअर पालन के लिए विशेष तौर पर विशेषज्ञ लार्ज व्हाइट यॉर्कशायर नस्ल के सूअरों (Large White Yorkshire Breed Haryana) को पालने की सलाह देते हैं. मूल रूप से इंग्लैंड की यह नस्ल देसी सूअर के बाद भारत में सबसे ज्यादा पाली जाती है. दिखने में यह सूअर सफेद रंग का होता है और एक व्यस्क सूअर का वजन करीब 400 किलोग्राम होता है. क्रॉसब्रीडिंग के लिए भी यह सबसे उत्तम नस्ल के सुअर माने जाते हैं. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में इसके मांस की मांग सबसे अधिक है, इसके अलावा कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और दवाओं में भी इसका उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता है.

विदेशी नस्ल के सूअर पालने में लागत कम मुनाफा अधिक, लाखों में होगी कमाई

कम लागत में अधिक मुनाफे वाला कारोबार

सूअर पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें दूसरे पशुपालन से कम पैसे खर्च होते हैं और ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी होती. सूअर की प्रजनन क्षमता भी काफी अधिक है. एक बार में सूअर औसतन 10 से 12 बच्चों को जन्म देता है. जिसके बाद उनका पालन करने के लिए किसी भी विशेष तरह की खाने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि पशुओं के लिए डाला जाने वाला चारा, मक्का, ज्वार, बाजरा, सब्जियों के छिलके, वह बासी हो चुके फल व सब्जी इन्हें खिलाई जा सकती है.

सूअर पालन के लिए सब्सिडी व लोन

सूअर पालन बेरोजगार युवाओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. जिसके चलते सरकार भी ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सूअर पालन से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. सरकार अपना सूअर पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन देने में भी सहायता सहायता प्रदान करती है और साथ ही सब्सिडी रेट पर बच्चे भी दिए जाते हैं. इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक और नाबार्ड द्वारा लोन दिया जाता है और जिसकी ब्याज दर भी बेहद कम होती है.

Pig farming in haryana
विदेशी नस्ल के सूअर

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती से हरियाणा के किसान ने खड़ी की लाखों की कंपनी, बाकी किसानों की भी कर रहा मदद

सूअर पालन के व्यवसाय पर सरकार सब्सिडी (subsidy on Pig farming) भी देती है. बैंक और नाबार्ड द्वारा दिये गये लोन पर ब्याज दर और समयावधि अलग-अलग होती है. वैसे ऋण पर ब्याज दर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष होती है. यदि आप सूअर पालन योजना के अंतर्गत ऋण के लिए आवेदन करते हैं, तो इसके लिए सरकार 1 लाख तक की धन राशि पर सब्सिडी देती है. इससे अधिक धन राशि लेने पर अपने क्षेत्र के एरिया नाबार्ड खेती परियोजना अधिकारी से संपर्ककर लोन राशि पर अधिक छूट प्राप्त कर सकते हैं.

कैसे करें ट्रेनिंग

हरियाणा में सूअर पालन के व्यवसाय को लेकर डॉ. विजय नैन ने बताया कि ट्रेनिंग करने के लिए सबसे पहले हिसार में सिरसा रोड स्थित सूअर प्रजनन एवं प्रशिक्षण केंद्र (Pig Breeding & Training Center Haryana) में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. उसके बाद जैसे ही निर्धारित संख्या का बैच तैयार होता है. आवेदक युवाओं को फोन कर केंद्र की तरफ से ट्रेनिंग के समय की जानकारी दी जाती है. ट्रेनिंग के बाद युवाओं को संस्थान की तरफ से एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, जिससे फार्म शुरू करते समय लोन लेने में भी आसानी होती है. इसके साथ ही केंद्र की तरफ से युवाओं को सब्सिडी रेट पर 1,300 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से सुअर के बच्चे भी दिए जाते हैं. सूअर पालन के लिए सरकारी सूअर प्रजनन एवं प्रशिक्षण केंद्र हिसार व अंबाला से युवाओं को फ्री ट्रेनिंग मिलती है.

Pig farming in haryana
विदेशी नस्ल के सूअर

ये भी पढ़ें- देश-विदेश में महक रहे हिमाचल के फूल, हर साल सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार

डॉ. विजय नैन ने बताया कि यदि 10 फीमेल और एक मेल सूअर का पालन करें तो लार्ज व्हाइट यॉर्कशायर नस्ल का सूअर 4 महीने में बच्चे को जन्म देता है. यानी साल में तीन बार के हिसाब एक सुअर ने 30 बच्चे और 10 ने 300 बच्चे दिए. एक बच्चा 8 से 9 महीने में वयस्क हो जाता है और एक सूअर करीब 20 हजार रुपये का बिकता है. जिससे साल के औसत 90 से 95 बच्चे बिकने के लिए तैयार होते हैं. जिनसे करीब 5 से 7 लाख रुपये मुनाफा होता है.

Pig farming in haryana
विदेशी नस्ल का सूअर

गौरतलब है कि सूअर पालन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बीमारियां बहुत कम आती है और मौत का खतरा सबसे कम है. फिर भी सूअरों को दस्त होने की शिकायत या फिर मुंह का रोग आता है पर इससे बचाने के लिए हर साल टीकाकरण करवाएं तो कोई समस्या नहीं होती. इसके साथ ही सूअर की देखभाल करने के लिए भी ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती सिर्फ उन्हें बाहर निकाल कर घूमाना होता है और बाड़े की साफ सफाई रखनी होती है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv bharat App

हिसार: बेहद कम लागत और अधिक मुनाफा होने के कारण सूअर पालन का प्रचलन (Pig farming in haryana) आज के समय में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. बेरोजगार युवाओं के लिए यह रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनता जा रहा है. सरकार भी सूअर पालन का रोजगार शुरू करने के लिए बेहतर प्रोत्साहन के साथ आर्थिक मदद और सब्सिडी भी दे रही हैं. एक समय था जब हरियाणा में सूअर पालन एक खास वर्ग द्वारा किया जाता था, लेकिन अब समय के साथ-साथ युवाओं की सोच बदल रही है और आत्मनिर्भर बनने की कड़ी में कई युवा इस क्षेत्र में आगे आ रहे हैं. सूअर पालन शुरू करने के लिए सरकार द्वारा लोन देने की व्यवस्था भी की गई है और सरकारी सूअर फार्म से बच्चे भी सब्सिडी रेट पर दिए जाते हैं.

सूअर पालन के लिए विशेष तौर पर विशेषज्ञ लार्ज व्हाइट यॉर्कशायर नस्ल के सूअरों (Large White Yorkshire Breed Haryana) को पालने की सलाह देते हैं. मूल रूप से इंग्लैंड की यह नस्ल देसी सूअर के बाद भारत में सबसे ज्यादा पाली जाती है. दिखने में यह सूअर सफेद रंग का होता है और एक व्यस्क सूअर का वजन करीब 400 किलोग्राम होता है. क्रॉसब्रीडिंग के लिए भी यह सबसे उत्तम नस्ल के सुअर माने जाते हैं. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में इसके मांस की मांग सबसे अधिक है, इसके अलावा कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और दवाओं में भी इसका उपयोग अधिक मात्रा में किया जाता है.

विदेशी नस्ल के सूअर पालने में लागत कम मुनाफा अधिक, लाखों में होगी कमाई

कम लागत में अधिक मुनाफे वाला कारोबार

सूअर पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें दूसरे पशुपालन से कम पैसे खर्च होते हैं और ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी होती. सूअर की प्रजनन क्षमता भी काफी अधिक है. एक बार में सूअर औसतन 10 से 12 बच्चों को जन्म देता है. जिसके बाद उनका पालन करने के लिए किसी भी विशेष तरह की खाने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि पशुओं के लिए डाला जाने वाला चारा, मक्का, ज्वार, बाजरा, सब्जियों के छिलके, वह बासी हो चुके फल व सब्जी इन्हें खिलाई जा सकती है.

सूअर पालन के लिए सब्सिडी व लोन

सूअर पालन बेरोजगार युवाओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. जिसके चलते सरकार भी ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सूअर पालन से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. सरकार अपना सूअर पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन देने में भी सहायता सहायता प्रदान करती है और साथ ही सब्सिडी रेट पर बच्चे भी दिए जाते हैं. इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकारी बैंक और नाबार्ड द्वारा लोन दिया जाता है और जिसकी ब्याज दर भी बेहद कम होती है.

Pig farming in haryana
विदेशी नस्ल के सूअर

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती से हरियाणा के किसान ने खड़ी की लाखों की कंपनी, बाकी किसानों की भी कर रहा मदद

सूअर पालन के व्यवसाय पर सरकार सब्सिडी (subsidy on Pig farming) भी देती है. बैंक और नाबार्ड द्वारा दिये गये लोन पर ब्याज दर और समयावधि अलग-अलग होती है. वैसे ऋण पर ब्याज दर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष होती है. यदि आप सूअर पालन योजना के अंतर्गत ऋण के लिए आवेदन करते हैं, तो इसके लिए सरकार 1 लाख तक की धन राशि पर सब्सिडी देती है. इससे अधिक धन राशि लेने पर अपने क्षेत्र के एरिया नाबार्ड खेती परियोजना अधिकारी से संपर्ककर लोन राशि पर अधिक छूट प्राप्त कर सकते हैं.

कैसे करें ट्रेनिंग

हरियाणा में सूअर पालन के व्यवसाय को लेकर डॉ. विजय नैन ने बताया कि ट्रेनिंग करने के लिए सबसे पहले हिसार में सिरसा रोड स्थित सूअर प्रजनन एवं प्रशिक्षण केंद्र (Pig Breeding & Training Center Haryana) में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. उसके बाद जैसे ही निर्धारित संख्या का बैच तैयार होता है. आवेदक युवाओं को फोन कर केंद्र की तरफ से ट्रेनिंग के समय की जानकारी दी जाती है. ट्रेनिंग के बाद युवाओं को संस्थान की तरफ से एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है, जिससे फार्म शुरू करते समय लोन लेने में भी आसानी होती है. इसके साथ ही केंद्र की तरफ से युवाओं को सब्सिडी रेट पर 1,300 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से सुअर के बच्चे भी दिए जाते हैं. सूअर पालन के लिए सरकारी सूअर प्रजनन एवं प्रशिक्षण केंद्र हिसार व अंबाला से युवाओं को फ्री ट्रेनिंग मिलती है.

Pig farming in haryana
विदेशी नस्ल के सूअर

ये भी पढ़ें- देश-विदेश में महक रहे हिमाचल के फूल, हर साल सौ करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार

डॉ. विजय नैन ने बताया कि यदि 10 फीमेल और एक मेल सूअर का पालन करें तो लार्ज व्हाइट यॉर्कशायर नस्ल का सूअर 4 महीने में बच्चे को जन्म देता है. यानी साल में तीन बार के हिसाब एक सुअर ने 30 बच्चे और 10 ने 300 बच्चे दिए. एक बच्चा 8 से 9 महीने में वयस्क हो जाता है और एक सूअर करीब 20 हजार रुपये का बिकता है. जिससे साल के औसत 90 से 95 बच्चे बिकने के लिए तैयार होते हैं. जिनसे करीब 5 से 7 लाख रुपये मुनाफा होता है.

Pig farming in haryana
विदेशी नस्ल का सूअर

गौरतलब है कि सूअर पालन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बीमारियां बहुत कम आती है और मौत का खतरा सबसे कम है. फिर भी सूअरों को दस्त होने की शिकायत या फिर मुंह का रोग आता है पर इससे बचाने के लिए हर साल टीकाकरण करवाएं तो कोई समस्या नहीं होती. इसके साथ ही सूअर की देखभाल करने के लिए भी ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती सिर्फ उन्हें बाहर निकाल कर घूमाना होता है और बाड़े की साफ सफाई रखनी होती है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv bharat App

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.