हिसार: भारत विकास परिषद के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर हरियाणा विकास फाउंडेशन ने शनिवार दोपहर को कोरोनिया प्रत्यारोपण और अंधमुक्त भारत पर कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में मुख्यातिथि के रूप में जिला नगर योजनाकार जेपी खासा पहुंचे. वहीं इस कार्यशाला की अध्यक्षता वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा के अध्यक्ष रामबाबू सिंगल ने की. इस अवसर पर समाजसेवी पवन रावलवासिया और अधिवक्ता राजेश जैन ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.
जागरूकता से अंधमुक्त भारत का सपना संभव
कुरुक्षेत्र से आए वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. वासुदेव बंसल ने कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए कहा कि अगर सही मायने में लोग भ्रम से निकलकर और जागरूक होकर नेत्रदान करें. तो भारत को अंधमुक्त देश बनाया जा सकता है.
नेत्र दान से नहीं आती मृतक के चेहरे पर विकृति
डॉ. बंसल ने नेत्रदान व कोरोनिया प्रत्यारोपण पर बताया कि परिवार की रजामंदी से ही किसी भी व्यक्ति के मरणोपरांत नेत्रदान किये जा सकते हैं. मृतक व्यक्ति की आंखें मरने के बाद 6 घंटे तक सुरक्षित रह सकती हैं. इसलिये समय पर चिकित्सक या संबंधित संस्थान को जानकारी देनी चाहिये. उन्होंने बताया कि किसी भी मृतक की आंखें नहीं निकाली जाती, केवल आंख के पास की परत यानि झिल्ली ही ली जाती है. बाकी मृतक के चेहरे पर किसी तरह की कोई विकृति नहीं आती.
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. वासुदेव बंसल ने कार्यशाला में बताया कि किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद उसके सिर को कुछ ऊंचा रखें. आंखों की पलकें बंद कर दें. आंखों पर गीली रुई या बर्फ के टुकड़े रखें. इस दौरान पंखा बंद रखें. डाक्टर की टीम द्वारा अपनी कार्यवाही करने के बाद विशेष जांच के लिए मृतक के रक्त का सैंपल लिया जाता है. सुरक्षा के लिए मृतक की उम्र, मौत का कारण और उसे हुए रोग की जानकारी भी ली जाती है. उन्होंने बताया कि दान में लिए हुए नेत्र का नेत्रहीन व्यक्ति में मात्र 4 से 10 दिनों के भीतर प्रत्योरापण किया जा सकता है.
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