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खेदड़ में प्रशासन और ग्रामीणों के बीच हुआ समझौता, मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हुए ग्रामीण

खेदड़ में ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान मारे गए धर्मपाल का शनिवार को अंतिम संस्कार (Farmer Dharampal cremation in Khedar) होगा. हिसार प्रशासन और ग्रामीणों के बीच समझौता हो गया है. समझौते के बाद ही ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए हैं.

Farmer Dharampal cremation in Khedar
Farmer Dharampal cremation in Khedar
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Published : Jul 16, 2022, 2:59 PM IST

हिसारः खेदड़ में प्रशासन और ग्रामीणों के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया है और 6 दौर की वार्ता के बाद ग्रामीण मृतक धर्मपाल का अंतिम संस्कार (Agreement between Hisar administration and villagers) करने के लिए राजी हो गए हैं. पुलिस द्वार गिरफ्तार युवाओं को जमानत मिलने के बाद ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए. प्रशासन ने ग्रामीणों की मुख्य मांगे भी मान ली है. जिसके तहत प्रशासन युवाओं व किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेगा. मृतक परिवार को 20 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए भी प्रशासन ने हामी भरी है. वहीं थर्मल प्लांट की राख के उठान पर 37 रुपए प्रति टन के हिसाब से गौशाला को देने होंगे.

ये था मामला- धर्मपाल की 8 जुलाई को पुलिस और ग्रामीणों के साथ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान मौत हो गई थी. जिसके बाद पुलिस ने 10 नामजद और 800 अज्ञात किसानों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था. इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के विरोध और प्लांट की राख गौशाला को देने के लिए ग्रामीण लगातार धरना दे रहे थे. किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी भी ग्रामीणों के धरने पर पहुंचे थे.

ये है खेदड़ राख का मामला - राजीव गांधी खेदड़ थर्मल प्लांट (Khedar thermal power plant) 2010 में शुरू हुआ था और तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख से ग्रामीण परेशान थे. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांव वालों ने राख को उठाना शुरू किया और इसके बेचने से होने वाली आमदनी से गांव वालों ने गौशाला का निर्माण कर उसे चलाना शुरू किया. अब राख का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में होने लगा है जिसके चलते इसकी वैल्यू बढ़ने लगी है और इसे बेच कर अच्छा मुनाफा होने लगा है. इसिलए प्लांट ने मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को राख बेचने का निर्णय किया था जिसके विरोध में ग्रामीण उतर आए थे. गांव वालों का कहना था कि जब राख फालतू थी तो वो उठा रहे थे और अब मुनाफा होने लगा तो खुद बेचने लग गए. उन्होंने कहा की गौशाला में लगभग 1000 गाय हैं जिनकी व्यवस्था राख को बेच कर ही चलती है.

ये भी पढ़ें-खेदड़ थर्मल प्लांट राख मामला: पुलिस के साथ हिंसक झड़प में ग्रामीण की मौत, एक पुलिसकर्मी भी गंभीर

हिसारः खेदड़ में प्रशासन और ग्रामीणों के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया है और 6 दौर की वार्ता के बाद ग्रामीण मृतक धर्मपाल का अंतिम संस्कार (Agreement between Hisar administration and villagers) करने के लिए राजी हो गए हैं. पुलिस द्वार गिरफ्तार युवाओं को जमानत मिलने के बाद ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए. प्रशासन ने ग्रामीणों की मुख्य मांगे भी मान ली है. जिसके तहत प्रशासन युवाओं व किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेगा. मृतक परिवार को 20 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए भी प्रशासन ने हामी भरी है. वहीं थर्मल प्लांट की राख के उठान पर 37 रुपए प्रति टन के हिसाब से गौशाला को देने होंगे.

ये था मामला- धर्मपाल की 8 जुलाई को पुलिस और ग्रामीणों के साथ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान मौत हो गई थी. जिसके बाद पुलिस ने 10 नामजद और 800 अज्ञात किसानों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था. इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के विरोध और प्लांट की राख गौशाला को देने के लिए ग्रामीण लगातार धरना दे रहे थे. किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी भी ग्रामीणों के धरने पर पहुंचे थे.

ये है खेदड़ राख का मामला - राजीव गांधी खेदड़ थर्मल प्लांट (Khedar thermal power plant) 2010 में शुरू हुआ था और तब प्लांट से निकलने वाली कोयले की राख से ग्रामीण परेशान थे. थर्मल प्लांट से बातचीत के बाद गांव वालों ने राख को उठाना शुरू किया और इसके बेचने से होने वाली आमदनी से गांव वालों ने गौशाला का निर्माण कर उसे चलाना शुरू किया. अब राख का इस्तेमाल सीमेंट बनाने में होने लगा है जिसके चलते इसकी वैल्यू बढ़ने लगी है और इसे बेच कर अच्छा मुनाफा होने लगा है. इसिलए प्लांट ने मुनाफा कमाने के लिए कंपनियों को राख बेचने का निर्णय किया था जिसके विरोध में ग्रामीण उतर आए थे. गांव वालों का कहना था कि जब राख फालतू थी तो वो उठा रहे थे और अब मुनाफा होने लगा तो खुद बेचने लग गए. उन्होंने कहा की गौशाला में लगभग 1000 गाय हैं जिनकी व्यवस्था राख को बेच कर ही चलती है.

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