हिसार: आदमपुर उपचुनाव की मतगणना (Adampur by election Counting) सुबह 8 बजे महाबीर स्टेडियम के बॉक्सिंग हॉल में शुरू होगी. उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान हुआ था. कुल 180 मतदान केंद्रों पर 1 लाख 71 हजार 754 में से 1 लाख 31 हाजर 401 मतदाताओं ने मतदान किया था. उपचुनाव में 76.51 प्रतिशत मतदान हुआ है. हलांकि ये मतदान प्रतिशत 2019 विधानसभा चुनाव की तुलना में कम है. 2019 में आदमपुर में 81.22 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
13 राउंड में मतो की गिनती- आदमपुर उपचुनाव की मतगणना 6 नवंबर को सुबह 8 बजे शुरू होगी. काउंटिंग के पहले चरण में पोस्टल वोट गिने जायेंगे. इसके बाद ईवीएम की गिनती शुरू होगी. मतगणना के लिए 14 टेबल लगाई जाएंगी और 13 राउंड में मतों की गिनती होगी. प्रत्येक टेबल पर काउंटिंग सुपरवाइजर, काउंटिंग असिस्टेंट और माइक्रो आब्जर्वर की ड्यूटी लगाई गई है. मतगणना के दौरान 5 बूथों के वीवीपैट के मतों की भी गिनती की जायेगी. सुबह 9 बजे से रुझान मिलने शुरू हो जायेंगे.
क्या तीसरे उपचुनाव में बीजेपी को जीत दिला पाएंगे भव्य विश्नोई- हरियाणा में बीजेपी की दूसरी बार सरकार बनने के बाद दो उपचुनाव हो चुके हैं. इन दोनों उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. वहीं अब प्रदेश में बीजेपी जेजेपी की गठबंधन की सरकार बनने के बाद यह तीसरा उपचुनाव हो रहा है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी इस तीसरे उपचुनाव में अपनी जीत को सुनिश्चित कर पाती है या नहीं. या फिर उसे विपक्षी दल यहां भी शिकस्त देते हैं. हालांकि जीत की ज्यादा संभावना बीजेपी उम्मीदवार भव्य बिश्नोई (BJP candidate Bhavya Bishnoi) की बतायी जा रही है.
क्या भव्य बिश्रोई बचा पायेंगे पारंपरिक सीट- आदमपुर विधानसभा सीट कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने और विधानसभा की सदस्यता छोड़ने के बाद खाली हुई थी. कुलदीप बिश्नोई ने बीजेपी का दामन थामा और उसके बाद अब उनके बेटे भव्य विश्नोई इस सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार हैं. इस सीट की खास बात यह है कि इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार का 51 साल से कब्जा रहा है. ऐसे में जहां भव्य बिश्नोई के ऊपर अपने पारंपरिक दुर्ग को बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, तो वहीं बीजेपी को उपचुनाव की तीसरी हार से बचाने का भी भार है.
कांग्रेस से ज्यादा भूपेंद्र सिंह हुड्डा की साख दांव पर- आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार जयप्रकाश (Congress candidate Jayaprakash) चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी के उम्मीदवार भव्य बिश्नोई को कड़ी चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं. जयप्रकाश की जीत की दरकार कांग्रेस से अधिक पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को है. क्योंकि इस उपचुनाव में पार्टी के अन्य प्रमुख चेहरे गायब रहे. हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष कुमारी सैलजा, वरिष्ठ पार्टी नेता किरण चौधरी और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला प्रचार के दौरान बिल्कुल भी दिखाई नहीं दिए. जबकि जयप्रकाश के पूरे प्रचार का जिम्मा खुद नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने संभाला था. ऐसे में इस चुनाव की जीत या हार हुड्डा परिवार के लिए अहम मानी जा सकती है.
आम आदमी पार्टी और इनेलो के प्रदर्शन पर भी नजर- इस उपचुनाव में हरियाणा विधानसभा के लिए पहली बार आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में उतरी है. इस उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए दो राज्यों के मुख्यमंत्री तक चुनावी मैदान में डटे थे. फिर चाहे बात दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की हो या पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की. साथ ही हरियाणा की आम आदमी पार्टी की इकाई ने भी पूरी ताकत इस चुनाव में झोंकी थी. ऐसे में इस चुनाव का नतीजा आम आदमी पार्टी के हरियाणा में भविष्य को भी तय करने में अहम भूमिका निभाएगा.
इधर प्रदेश की सियासत में कभी मजबूत पार्टी रही इनेलो भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. इनेलो के लिए भी ये उपचुनाव किसी भी तरह से कम नहीं है. भले ही उसने कांग्रेस छोड़कर आए नेता को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया हो लेकिन चुनावी नतीजे इनेलो की प्रदेश की सियासत में आगे क्या रहेगी इसको सुनिश्चित जरूर करेगी.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक- राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि अगर इस उपचुनाव में भव्य बिश्नोई जीतते हैं तो इससे निश्चित तौर पर ही बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा होगा. क्योंकि 2024 में जहां पहले लोकसभा चुनाव और उसके बाद विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में इस चुनाव का नतीजा बीजेपी के मनोबल को बढ़ाने वाला होगा. अगर नतीजे विपरीत होते हैं तो फिर प्रदेश सरकार को आने वाले चुनावों के लिए उसका विश्लेषण करना भी जरूरी होगा. गुरमीत सिंह यह भी कहते हैं कि अगर इस उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत होती है, तो निश्चित तौर पर इसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जाएगा. अगर हार होती है तो उनसे इसको लेकर सवाल भी पूछे जाएंगे क्योंकि पार्टी के कई दिग्गज नेता उपचुनाव में उम्मीदवार की घोषणा से पहले से ही कई तरह के हुड्डा विरोधी बयान देते रहे हैं.
आम आदमी पार्टी और इनेलो के संबंध में प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि इन दोनों ही दलों की स्थिति इस वक्त ऐसी है कि इस चुनाव के नतीजे उनकी प्रदेश में आने वाले सालों की राजनीति का रुख बताएगी. किसी एक उपचुनाव के नतीजे से किसी भी राजनीतिक दल के भविष्य की स्थिति का आंकलन नहीं किया जा सकता लेकिन फिर भी यह तो तय है कि इस चुनाव के नतीजे प्रदेश के सियासी माहौल में हलचल तो जरूर करेंगे.
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