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गुरुग्राम में 1500 रुपये के लिए दोस्त ने दोस्त को उतारा मौत के घाट, गिरफ्त में आरोपी - गुरुग्राम में युवक की हत्या

गुरुग्राम में मात्र 1500 रुपये के लिए एक दोस्त ने अपने ही दोस्त को मौत के घाट (young man killed his friend in gurugram) उतार दिया.

friend killed friend in gurugram
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Published : Jul 26, 2022, 10:22 PM IST

गुरुग्राम: साइबर सिटी में मात्र 1500 रुपये के लिए एक दोस्त ने अपने ही दोस्त को मौत के घाट (young man killed his friend in gurugram) उतार दिया. इस घटना के बाद आरोपी दोस्त मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने कातिल दोस्त को यूपी के लखीमपुर खीरी से गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया है. एसीपी क्राइम प्रीतपाल सिंह ने बताया कि अवधेश और महेंद्र दोनों दोस्त थे.

20 जुलाई की रात को शराब पीने के दौरान दोनों में किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गई. इस पर महेंद्र ने अवधेश का वहीं पड़े तकिए से गला दबा दिया और मौके से फरार हो गया. जिसे पुलिस ने लखीमपुर खीरी से गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस की माने तो मात्र 1500 रुपये के लिए दोस्त को मौत के घाट उतारने वाला कातिल महेंद्र अब सलाखों के पीछे है.

गुरुग्राम पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर सन्देश दिया है कि अपराधी चाहे कितना भी शातिर ही क्यों न हो, लेकिन वो वारदात के बाद कोई ना कोई सुराग अवश्य ही छोड़ जाता है और कानून के लंबे हाथ उसकी गिरेबान तक पहुंच ही जाते हैं.

गुरुग्राम: साइबर सिटी में मात्र 1500 रुपये के लिए एक दोस्त ने अपने ही दोस्त को मौत के घाट (young man killed his friend in gurugram) उतार दिया. इस घटना के बाद आरोपी दोस्त मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने कातिल दोस्त को यूपी के लखीमपुर खीरी से गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया है. एसीपी क्राइम प्रीतपाल सिंह ने बताया कि अवधेश और महेंद्र दोनों दोस्त थे.

20 जुलाई की रात को शराब पीने के दौरान दोनों में किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गई. इस पर महेंद्र ने अवधेश का वहीं पड़े तकिए से गला दबा दिया और मौके से फरार हो गया. जिसे पुलिस ने लखीमपुर खीरी से गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस की माने तो मात्र 1500 रुपये के लिए दोस्त को मौत के घाट उतारने वाला कातिल महेंद्र अब सलाखों के पीछे है.

गुरुग्राम पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर सन्देश दिया है कि अपराधी चाहे कितना भी शातिर ही क्यों न हो, लेकिन वो वारदात के बाद कोई ना कोई सुराग अवश्य ही छोड़ जाता है और कानून के लंबे हाथ उसकी गिरेबान तक पहुंच ही जाते हैं.

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