गुरुग्राम: 21वीं सदी इंटरनेट की सदी है. आज इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक सूत्र या टेक्निकल भाषा में कहें तो एक नेटवर्क में पिरोने का काम किया है. इंटरनेट ने उन चीजों को भी संभव कर दिखाया है, जिसकी किसी जमाने में कल्पना भर थी, लेकिन जिस गति से तकनीक ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है और इसी निर्भरता का फायदा साइबर अपराधी उठाने लगे. समय के साथ हम तेजी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, और ठीक उतनी ही तेजी से साइबर अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है.
ये साइबर क्रिमिनल्स पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. इनकी ना कोई पहचान होती है, और ना ही इन अपराधियों को पहचानने के लिए कोई तरीका ईजाद हो पाया है. ये अपराधी एक हाईटेक कंप्यूटर की स्क्रीन के सामने बैठा कोई शातिर 13 साल का किशोर भी हो सकता है और 60 साल का रिटायर्ड भी.
ये अपराध इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि दुनियाभर की पुलिस व्यवस्था के लिए चुनौती बने हुए हैं. इन बढ़ते अपराधों को देखते हुए अब अंग्रेजों के जमाने से पुरानी व्यवस्था में काम करती आ रही हरियाणा पुलिस भी हाईटेक होने लगी है. हरियाणा सरकार ने साइबर अपराधियों से निपटने के लिए अलग से साइबर पुलिस थाने बनाए हैं. इन थानों में मोटी-मोटी फाइले नहीं होती. यहां होते हैं हाई टेक सिस्टम, अलग से फॉरेंसिक लैब और यहां काम करते हैं आईटी विशेषज्ञ. ये विशेषज्ञ हर वक्त इंटरनेट के शातिरों की हर हरकत पर नजर बनाए रहते हैं.
गुरुग्राम में बना पहला साइबर थाना
हरियाणा में प्रदेश का पहला साइबर थाना गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-5 में खोला गया था. 7 मार्च 2018 को गुरुग्राम के तत्कालीन पुलिस आयुक्त संदीप खिरवार ने साइबर थाने का उद्घाटन किया था. इस हाई टेक थाने में लाखों रुपये की लागत से आज के हाईटेक सॉफ्टवेयर के साथ सुपर कंप्यूटर लगाए गए हैं. जिनसे पुलिस को साइबर अपराध सुलझाने में मदद मिलती है. हाल ही में हरियाणा सरकार ने राज्य में 6 नए साइबर अपराध थाने खोलने को मंजूरी दी है. इसके लिए 14 करोड़ से ज्यादा की राशि आवंटित की गई है.
गुरुग्राम में एक साल में बढ़ा दोगूना साइबर क्राइम
गुरुग्राम को देश का साइबर सिटी भी कहा जाता है. वजह है कि यहां देश का सबसे बड़ा आईटी हब है. यहां गूगल, याहू और दुनिया भर की विश्व स्तरीय आईटी कंपनी काम करती हैं. यही वजह है कि यहां साइबर क्राइम रेट लगातार बढ़ता जा रहा है.
गुरुग्राम साइबर थाने में 2018 में 4620 शिकायतें आई थी, तो साल 2019 में यह आंकड़ा 8912 पहुंच गया. ये आंकड़े सबूत है कि प्रदेश में साइबर क्राइम किस गति से बढ़ रहे हैं. ऐसे में एक साइबर थाना इन्हें हल करने के लिए कम पड़ रहा है. पुलिस आंकड़ों की माने तो साल 2019 में हर रोज 30 लोग पुलिस के पास ठगी की शिकायत लेकर पहुंचे हैं. किसी को जालसाज ने ऑनलाइन ठगास, तो किसी को लॉटरी, जॉब का लालच देकर शिकार बनाया गया.
पुलिस को फेसबुक और सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाने और सेक्सुअल हरासमेंट समेत साल 2019 में कुल 8912 से अधिक शिकायतें पूरे साल के दौरान मिली. हालांकि पुलिस का दावा है कि इनमें से करीब 7700 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया.
साल 2019 के दौरान गुरुग्राम पुलिस को लॉटरी निकलने, जॉब दिलाने के नाम पर ठगी के करीब 350 मामले सामने आए. वहीं इंटरनेट के जरिए खाते से ठगी के करीब 500 मामले पुलिस को मिले. इसके साथ ही 100 वेबसाइट बनाने, 138 वेबसाइट हैक करने, करीब 50 डाटा चुराने, पोर्न वीडियो भेजने और फोटो से छेड़छाड़ कर अपलोड करने के भी 100 से अधिक शिकायतें पुलिस को मिली थीं.
कैसे काम करती है साइबर सेल
- ई-दास फॉरेंसिक वर्क स्टेशन- ये एक वर्क स्टेशन पोर्टल है. इसे पुलिस किसी कंपनी में छापेमारी डालने के दौरान इस्तेमाल करती है. इससे मोबाइल, लैपटॉप सर्वर को वर्क स्टेशन से जोड़ने के बाद उसकी जानकारी मिनटों में हासिल की जा सकती है. इसकी मदद से पुलिस को कंपनी में आईटी एक्ट मामले में सभी लोगों को गिरफ्तार करने के बजाए असली आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है.
- कॉल डिटेल रिपोर्ट की जांच का सॉफ्टवेयर- इस सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी नंबर की जांच हो सकती है.
- बेल सॉफ्टवेयर- बेल सॉफ्टवेयर की मदद से पुलिस हार्ड डिस्क के डिलीट डाटा को भी निकाल सकती है.
- मोबाइल ऑक्सीजेन सॉफ्टवेयर- मोबाइल ऑक्सीजेन सॉफ्टवेयर की मदद से मोबाइल का डाटा निकाला जा सकता है.
साइबर क्राइम क्या होते हैं?
- ऑनलाइन नुकसान पहुंचाना- इन अपराधों में साइबर उत्पीड़न और साइबर स्टॉकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, स्पूफिंग(किसी दूसरे शख्स की आईडी या फोन नंबर को हेक करके कुछ अपलोड करना या कमेंट करना) , क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, मानव तस्करी, पहचान की चोरी और ऑनलाइन बदनाम किया जाना शामिल हैं.
- जानकारी लीक करना- साइबर अपराध की इस श्रेणी में किसी व्यक्ति या समूह के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण या अवैध जानकारी को ऑनलाइन लीक कर देना, साइबर अपराध है.
- जानकारी चोरी करना- किसी के भी कंप्यूटर से उसकी निजी जानकारी निकालना जैसे किसी यूजर की तस्वीर, उसकी नीजी फाइल चोरी करना या फिर किसी यूजर के किसी भी अकाउंट का यूजर नेम और पासवर्ड चोरी करना.
- जानकारी मिटाना- किसी के कंप्यूटर से जानकारी मिटाना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.
ऐसे होते हैं लोग साइबर क्रिमिनल्स के शिकार
- फोन के जरिए- गुरुग्राम में अधिकतर धोखाधड़ी करने वाले बैंक अधिकारी बनकर फोन करते हैं. फोन पर अपनी बातचीत पर लोगों को इस कदर प्रभावित कर देते हैं कि लोग क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कर अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं.
- एटीएम से पैसे निकालने के दौरान- एटीएम के सामने भी कुछ युवक सक्रिय रहते हैं. वे देखते रहते हैं कि किसीको एटीएम कार्ड स्वाइप करना नहीं आता है और वह सहायता करने के बहाने पिन पूछ लेते हैं. उसके बाद ओके पर कार्ड बदल लेते हैं और कार्ड से पैसे निकाल लेते हैं.
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