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गुरुग्राम में गांवों को नगर निगम में शामिल करने को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन शुरू - Gurugram 38 Village Corporation Incorporated

गुरुग्राम में 38 गांवों को नगर निगम में शामिल करने को लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि इससे गांवों का विकास रूक जाएगा. क्योंकि नगर निगम सिर्फ फंड लेगा और गांव की तरफ ध्यान ही नहीं देगा.

Villagers protest against village joining Municipal Corporation
Villagers protest against village joining Municipal Corporation
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Published : Sep 24, 2020, 9:53 PM IST

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम के 38 गांवों को निगम में शामिल होने को लेकर ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. निगम के खिलाफ नारे लगाते हुए 38 गांव के प्रतिनिधि गुरुवार को गुरुग्राम के लघु सचिवालय में पहुंचे और एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

गुरुग्राम में ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन शुरू

प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला शहर गुरुग्राम का नगर निगम पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा रेवन्यू देता है, लेकिन आज उस निगम का विरोध गुरुग्राम के ही निवासियों ने शुरू कर दिया है. दरअसल गुरुग्राम नगर निगम 38 गांवों को अपने आधीन लेना चाहता है जिसको देखते हुए गांव के लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों की मानें तो निगम के दायरे में आने वाली कॉलोनियों की हालत बद से बदतर है.

38 गांवों को नगर निगम में शामिल करने को लेकर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन शुरू, देखें वीडियो

इसलिए हो रहा है विरोध

अब ऐसे में 38 गांव और शामिल हो जाते हैं तो गांवों की हालत भी बद से बदतर हो जाएगी. इसलिए वो किसी भी कीमत पर अपने गांव को शामिल नहीं होने देंगे. वहीं ज्ञापन में नगर निगम और पंचायत की उपलब्धियों का भी बखान किया गया है. लोगों ने बताया कि सरपंच की अपनी ताकत होती है और निगम में पार्षदों की सुनवाई भी नहीं होती. ऐसे में यदि गांव निगम में शामिल हो जाएंगे तो गांवों में विकास नहीं हो पाएंगे.

गांव में सामाजिक तौर पर सरपंच को सारी जिम्मेदारियां दी जाती है गांव में भाईचारा को भी सरपंच कायम रखता है. ऐसे में सरपंच पूरे गांव को भी इकट्ठा कर सकता है. छोटे-मोटे झगड़ों को भी पंचायत के तौर पर सुलझा लिया जाता है और अब यदि पंचायत खत्म होती है तो गांवों को काफी नुकसान होगा. इतना ही नहीं पूर्व सरपंच बीर सिंह ने भी कहा कि पंचायत को फाइनेंस की भी पावर होती है.

ये भी पढ़ें- दुष्यंत और रणजीत चौटाला अगर चौ. देवीलाल के वंशज हैं तो इस्तीफा दें- अभय

अपने गांव में कोई भी विकास कराना है तो कहीं दर-दर की ठोकरे नहीं खानी पड़ती. सरपंच खुद ही पंचायत के फंड से विकास करा सकता है. इसलिए सरपंच को गांव की सरकार कहा जाता है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे गांव निगम में चले गए तो विकास नहीं होगा. ग्रामीण आंचल में ही विकास होता है. उन्होंने कहा कि गांवों के निगम में आने के बाद निगम की फंडिंग बढ़ जाएगी लेकिन गांव का विकास बिल्कुल भी नहीं होगा.

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम के 38 गांवों को निगम में शामिल होने को लेकर ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. निगम के खिलाफ नारे लगाते हुए 38 गांव के प्रतिनिधि गुरुवार को गुरुग्राम के लघु सचिवालय में पहुंचे और एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

गुरुग्राम में ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन शुरू

प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला शहर गुरुग्राम का नगर निगम पूरे हरियाणा में सबसे ज्यादा रेवन्यू देता है, लेकिन आज उस निगम का विरोध गुरुग्राम के ही निवासियों ने शुरू कर दिया है. दरअसल गुरुग्राम नगर निगम 38 गांवों को अपने आधीन लेना चाहता है जिसको देखते हुए गांव के लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों की मानें तो निगम के दायरे में आने वाली कॉलोनियों की हालत बद से बदतर है.

38 गांवों को नगर निगम में शामिल करने को लेकर ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन शुरू, देखें वीडियो

इसलिए हो रहा है विरोध

अब ऐसे में 38 गांव और शामिल हो जाते हैं तो गांवों की हालत भी बद से बदतर हो जाएगी. इसलिए वो किसी भी कीमत पर अपने गांव को शामिल नहीं होने देंगे. वहीं ज्ञापन में नगर निगम और पंचायत की उपलब्धियों का भी बखान किया गया है. लोगों ने बताया कि सरपंच की अपनी ताकत होती है और निगम में पार्षदों की सुनवाई भी नहीं होती. ऐसे में यदि गांव निगम में शामिल हो जाएंगे तो गांवों में विकास नहीं हो पाएंगे.

गांव में सामाजिक तौर पर सरपंच को सारी जिम्मेदारियां दी जाती है गांव में भाईचारा को भी सरपंच कायम रखता है. ऐसे में सरपंच पूरे गांव को भी इकट्ठा कर सकता है. छोटे-मोटे झगड़ों को भी पंचायत के तौर पर सुलझा लिया जाता है और अब यदि पंचायत खत्म होती है तो गांवों को काफी नुकसान होगा. इतना ही नहीं पूर्व सरपंच बीर सिंह ने भी कहा कि पंचायत को फाइनेंस की भी पावर होती है.

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अपने गांव में कोई भी विकास कराना है तो कहीं दर-दर की ठोकरे नहीं खानी पड़ती. सरपंच खुद ही पंचायत के फंड से विकास करा सकता है. इसलिए सरपंच को गांव की सरकार कहा जाता है. उन्होंने कहा कि अगर हमारे गांव निगम में चले गए तो विकास नहीं होगा. ग्रामीण आंचल में ही विकास होता है. उन्होंने कहा कि गांवों के निगम में आने के बाद निगम की फंडिंग बढ़ जाएगी लेकिन गांव का विकास बिल्कुल भी नहीं होगा.

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