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दलित कॉलोनी पर बुलडोजर चलाने आए प्रशासन का ग्रामीणों ने किया विरोध, जमकर की नारेबाजी - निवर्तमान सरपंच लखन सिंह

गुरुग्राम में शिकोहपुर गांव की दलित कॉलोनी पर कृषि विज्ञान विभाग बुलडोजर कार्रवाई करने पहुंचा, तो ग्रामीणों ने इसका विरोध कर दिया. जिसके बाद प्रशासन ने ग्रामीणों को नोटिस दिया और कॉलोनी पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है.

bulldozer action on Dalit Colony in Gurugram
कृषि विज्ञान विभाग बुलडोजर कार्रवाई
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Published : Feb 21, 2023, 6:15 PM IST

दलित कॉलोनी पर बुलडोजर चलाने आए प्रशासन का ग्रामीणों ने किया विरोध, जमकर की नारेबाजी

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में जब कृषि विज्ञान विभाग तोड़फोड़ करने के लिए पहुंचा, तो सैकड़ों की तादात में ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर इस तोड़फोड़ का विरोध किया. साथ ही प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. मानेसर नगर निगम क्षेत्र के शिकोहपुर गांव मे जब अचानक पुलिसबल के साथ प्रशासन बुलडोजर लेकर पहुंचा, तो पूरे गांव में अफरा तफरी का माहौल बन गया. जिसके बाद एक एक करके सारे ग्रामीण घरों से बाहर आ गए.

गांव के लोगों ने बुलडोजर के साथ प्रशासनिक अमले का गांव मे पहुंचने का कारण पूछा तो पता चला, कि शिकोहपुर की पहाड़ी के पास बनी कॉलोनी में ज्यादातर दलित और BPL वर्ग के लोग रहते हैं. उनके घरों को जमीदोज करने के लिए ये टीम पहुंची है. कुछ ही देर में प्रशासन का पीला पंजा उन घरों पर चलने वाला है. ये सब सुनते ही गांव के लोगों ने इस तोड़फोड़ का विरोध करना शुरू कर दिया है और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

दरअसल ग्रामीणों की मानें तो सन् 1980 में शिकोहपुर गांव की पंचायत ने यहां कि कुछ जमीन कृषि विज्ञान विभाग को दान में दी थी. उस समय राव बिरेंदर सिंह हरियाणा के कृषि मंत्री थे. ग्रामीणों का यह भी कहना है, कि उसमें से कुछ जमीन दलित वर्ग के लोगों को भी दी थी. लेकिन अब कृषि विज्ञान विभाग आज जब पूरे दल बल के साथ दलित कॉलोनी पर पीला पंजा चलाकर जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंचा तो ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया.

ये भी पढ़ें: NIA Raid In Haryana: हरियाणा में गैंगस्टर्स के ठिकानों पर NIA की ताबड़तोड़ छापेमारी, 5 से 6 घंटे चली कार्रवाई

वहीं, गांव के निवर्तमान सरपंच लखन सिंह की माने तो दलित कॉलोनी में बीपीएल वर्ग के लोग रहते हैं, जिनको खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है. ऐसे ही प्रशासन अगर यहां तोड़फोड़ करता है, तो इन लोगो के पास रहने के लिए जगह नहीं होगी. उन्होंने कहा कि गांव के सैकड़ों परिवार बेघर हो जाएंगे. ग्रामीणों ने ये साफ कर दिया की यहां किसी भी कीमत पर गरीबों को बेघर नहीं होने दिया जाएगा. फिर चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े. तोड़फोड़ का विरोध कर रहे बहुत से ग्रामीणों का तो ये भी कहना है, कि चाहे उनकी जान ही क्यों चली जाए लेकिन वह एक भी घर पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे. बहरहाल देखना होगा कि अब जिला प्रशासन और कृषि विज्ञान विभाग क्या कदम उठाता है.

ये भी पढ़ें: International Mother Language Day: चंडीगढ़ सचिवालय बोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे शब्दों पर पोती कालिख

दलित कॉलोनी पर बुलडोजर चलाने आए प्रशासन का ग्रामीणों ने किया विरोध, जमकर की नारेबाजी

गुरुग्राम: साइबर सिटी गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में जब कृषि विज्ञान विभाग तोड़फोड़ करने के लिए पहुंचा, तो सैकड़ों की तादात में ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर इस तोड़फोड़ का विरोध किया. साथ ही प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. मानेसर नगर निगम क्षेत्र के शिकोहपुर गांव मे जब अचानक पुलिसबल के साथ प्रशासन बुलडोजर लेकर पहुंचा, तो पूरे गांव में अफरा तफरी का माहौल बन गया. जिसके बाद एक एक करके सारे ग्रामीण घरों से बाहर आ गए.

गांव के लोगों ने बुलडोजर के साथ प्रशासनिक अमले का गांव मे पहुंचने का कारण पूछा तो पता चला, कि शिकोहपुर की पहाड़ी के पास बनी कॉलोनी में ज्यादातर दलित और BPL वर्ग के लोग रहते हैं. उनके घरों को जमीदोज करने के लिए ये टीम पहुंची है. कुछ ही देर में प्रशासन का पीला पंजा उन घरों पर चलने वाला है. ये सब सुनते ही गांव के लोगों ने इस तोड़फोड़ का विरोध करना शुरू कर दिया है और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

दरअसल ग्रामीणों की मानें तो सन् 1980 में शिकोहपुर गांव की पंचायत ने यहां कि कुछ जमीन कृषि विज्ञान विभाग को दान में दी थी. उस समय राव बिरेंदर सिंह हरियाणा के कृषि मंत्री थे. ग्रामीणों का यह भी कहना है, कि उसमें से कुछ जमीन दलित वर्ग के लोगों को भी दी थी. लेकिन अब कृषि विज्ञान विभाग आज जब पूरे दल बल के साथ दलित कॉलोनी पर पीला पंजा चलाकर जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंचा तो ग्रामीणों ने इसका विरोध शुरू कर दिया.

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वहीं, गांव के निवर्तमान सरपंच लखन सिंह की माने तो दलित कॉलोनी में बीपीएल वर्ग के लोग रहते हैं, जिनको खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है. ऐसे ही प्रशासन अगर यहां तोड़फोड़ करता है, तो इन लोगो के पास रहने के लिए जगह नहीं होगी. उन्होंने कहा कि गांव के सैकड़ों परिवार बेघर हो जाएंगे. ग्रामीणों ने ये साफ कर दिया की यहां किसी भी कीमत पर गरीबों को बेघर नहीं होने दिया जाएगा. फिर चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े. तोड़फोड़ का विरोध कर रहे बहुत से ग्रामीणों का तो ये भी कहना है, कि चाहे उनकी जान ही क्यों चली जाए लेकिन वह एक भी घर पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे. बहरहाल देखना होगा कि अब जिला प्रशासन और कृषि विज्ञान विभाग क्या कदम उठाता है.

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