गुरुग्राम: ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने गुरुग्राम के धनवापुर गांव में बने राजकीय विद्यालय का दौरा किया. हमारी पड़ताल में सामने आया कि प्रशासन सरकारी स्कूल को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं है और शायद इसलिए देश के भविष्य को सरकार ने मौत के मुंह में डाल रखा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जर्जर हुई बिल्डिंग के बीचों बीच छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. स्कूल की दीवारें कभी भी गिर सकती है और इस डर के साए में बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं.
हमेशा बना रहता है जान पर खतरा- छात्र
ईटीवी भारत ने जब स्कूल के अध्यापक से इस बारे में बातचीत कि तो अध्यापक का साफ तौर पर कहना था कि बीते कई सालों से ये स्कूल जर्जर हो चुका है. जिसकी शिकायत कई बार जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को दी गई है लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हो सका.
यही नहीं पिछले साल स्कूल में बनी कक्षाओं की छत बारिश के कारण टूट गई थी. गनीमत ये रही कि तूफान रात को आया था वहीं अगर दिन में ये तूफान आता तो कहीं छात्रों की जान पर भी खतरा बन सकता था.
डर के साए में भविष्य!
स्थानीय निवासी और अभिभावकों की मानें तो वो लोग डर के साए में रोजाना बच्चों को स्कूल में भेजते हैं. अभिभावकों का कहना है कि हमें मजबूरन बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पड़ रहा है. तपती गर्मी हो या सर्दी या फिर बारिश किसी भी मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ता है.
यही नहीं बच्चों के लिए कोई बेंच भी नहीं है और फटी हुई दरी को जमीन पर बिछाकर बच्चे अपनी पढ़ाई करते हैं. वहीं ना ही बच्चों के लिए पानी पीने के लिए कोई कूलर लगा हुआ है और बाथरूम की हालत तो ऐसी है जैसे वो बनाने के बाद कभी साफ ही ना हुआ हो.
जर्जर हुई स्कूल की इमारत
सकूल की लगभग सारी इमारत जर्जर हो चुकी है. स्कूल की हर दीवार में दरारें आ चुकी हैं. ऐसा कोई गाटर नहीं बचा है जिसमें दरार ना आई हो और ज्यादातर गाटरों से सीमेंट और मसाला अलग होकर झड़ चुका है. दीवारों के सपोर्ट में केवल खाली सरिए ही दिखाई पड़ते हैं.
स्कूलों की ऐसी जर्जर हालते में ही बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण करते हैं. अध्यापकों का कहना है कि स्कूल की पूरी इमारत जर्जर और टूटी फूटी है. हालात ये है कि अगर थोड़ा तेज तुफान आया तो पूरी इमारत ढह जाएगी.
गिरी छत तो कक्षाओं पर जड़े ताले
स्कूल के इस हालात के बारे में स्कूल में आने वाले छात्रों ने बताया कि स्कूल की इमारत अधिकांश तौर पर जर्जर हो चुकी है और खुद उनके सामने कई बड़े हादसे होने से टले हैं. छात्रों ने बताया कि बारिश के मौसम में उनके स्कूल में बनी लगभग सभी कक्षाओं की छत टूटकर नीचे गिर गई.
गनीमत ये रही कि इस दौरान बच्चे कक्षा के अंदर नहीं थे. घटना की सूचना खंड शिक्षा विभाग को दी गई. लेकिन विबाग ने इमसे कार्रवाई करने की बजाए कक्षाओं पर ही ताले जड़वा दिए. जिसके कारण बच्चों को बाहर बैठना पड़ता है.
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ईटीवी भारत की अपील
ईटीवी भारत की ये पड़ताल अगर शिक्षा मंत्री भी देख रहे हैं तो हमारी यही अपील है कि देश के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ ना किया जाए. राजनीतिक रोटियां सेंकने में फंसे नेताओं को जरूरी है कि अपनी कुर्सी से उठें और जमीनी स्तर पर आकर ये सुनिश्चित करें की बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे मुहैया करवाई जा सकती है.
गौरतलब है कि सरकार शिक्षा देने के बड़े-बड़े दावे तो जरूर करती है लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और ही है. चुनाव से पहले मंत्री हो या विधायक शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर जनता से वोट मांगते हैं लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद इस ओर झांकते भी नहीं है. ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर वोटों के नाम पर कब तक देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा. जब साइबर सिटी गुरुग्राम जैसे मिलेनियम शहर के सरकारी स्कूल की हालत ये है तो छोटे छोटे गांव में बने सरकारी स्कूलों की क्या हालत होगी.