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गुरुग्राम के युवक पर लॉकडाउन की मार, एम्स ने टाला ट्यूमर का ऑपरेशन - एम्स ने ट्यूमर का ऑपरेशन टाला हरियाणा

पीड़ित युवक के नाक से खून आता रहता है. जिसके चलते पूरा परिवार परेशान है. परिवार के लोग युवक को बार-बार इमरजेंसी में लेकर एम्स जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन में युवक के पिता की नौकरी चले जाने के कारण परिवार पर दोहरी मार पड़ी है.

Lockdown effect AIIMS postponed Gurugram's youth tumor operation
Lockdown effect AIIMS postponed Gurugram's youth tumor operation
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Published : Apr 23, 2020, 9:26 AM IST

गुरुग्रामः पूरे देश में स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस से लड़ने में जुटा है. अस्पतालों की ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर बंद है. जिसकी वजह से कैंसर, एचआईवी और ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिन मरीजों की ऑपरेशन की तारीख थी, वह आगे टाल दी गई है. सभी मेडिकल स्टाफ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में जुटा है, जिसकी मार दूसरे मरीजों को झेलनी पड़ रही है.

एम्स में ऑपरेशन की तारीख टली

ऐसे ही मरीजों में एक गुरुग्राम के 18 साल के युवक का दिल्ली के एम्स में ट्यूमर का इलाज चल रहा था. 24 मार्च को युवक के ट्यूमर के ऑपरेशन की तारीख थी. लेकिन लॉकडाउन के चलते डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया. जिसकी वजह से मरीज के नाक से रोजाना ब्लीडिंग होती है. बिल्डिंग भी इतनी ज्यादा होती है कि पूरा कमरा खून से लथपथ हो जाता है और उसे असह्य दर्द का सामना करना पड़ता है.

गुरुग्राम के युवक पर लॉकडाउन की मार, एम्स ने टाला ट्यूमर का ऑपरेशन

इमरजेंसी में हो रहा युवक का इलाज

ईटीवी भारत ने जब मरीज के माता-पिता से बात की तो पिता ने बताया की एम्स के डॉक्टर ने ऑपरेशन करने की तारीख को लॉकडाउन के बाद तक टाल दिया है. लेकिन मरीज की हालत बेहद गंभीर है. हालत कंट्रोल से बाहर होने पर इंमरजेंसी में मजबूरन एंबुलेंस अस्पताल से लेकर जाना पड़ता है. लेकिन डॉक्टर की टीम मात्र मरहमपट्टी कर वापस भेज देती है और 2 से 3 दिन बाद फिर से ब्लीडिंग होने लगती है. लॉकडाउन में अब तक तीन से चार बाद इमरजेंसी वार्ड में मरीज को दिखाया जा चुका है. लेकिन ऑपरेशन ना होने के चलते युवक दर्द से तड़प रहा है.

लॉकडाउन में परिवार पर दोहरी मार

मरीज का परिवार बिहार का रहने वाला है और घर में सिर्फ पिता ही कमाने वाले एकलौते शख्स है, जो गुरुग्राम की किसी सोसाइटी में हाउसकीपिंग का काम करते थे और किराए के घर में परिवार का गुजारा चल रहा है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब उनका वह काम भी नहीं बचा है. वहीं बचाखुचा पैसा भी बेटे की बीमारी में खर्च हो गया है. गुरुग्राम से दिल्ली एम्स एंबुलेंस करके जाने में एक बार में करीब ₹4000 का खर्चा आता है. ऐसे में जहां एक तरफ लॉकडाउन के चलते नौकरी ना होने से घर का खर्चा उठाना अब भारी पड़ रहा है, वहीं बेटे का ऑपरेशन होने के चलते लगातार हो रहे खर्च से परिवार पर दोहरी मार पड़ रही है.

ये भी पढ़ेंः- किसान और आढ़तियों के मुद्दे को लेकर नेता प्रतिपक्ष हुड्डा ने सीएम खट्टर से की चर्चा

गुरुग्रामः पूरे देश में स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस से लड़ने में जुटा है. अस्पतालों की ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर बंद है. जिसकी वजह से कैंसर, एचआईवी और ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिन मरीजों की ऑपरेशन की तारीख थी, वह आगे टाल दी गई है. सभी मेडिकल स्टाफ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में जुटा है, जिसकी मार दूसरे मरीजों को झेलनी पड़ रही है.

एम्स में ऑपरेशन की तारीख टली

ऐसे ही मरीजों में एक गुरुग्राम के 18 साल के युवक का दिल्ली के एम्स में ट्यूमर का इलाज चल रहा था. 24 मार्च को युवक के ट्यूमर के ऑपरेशन की तारीख थी. लेकिन लॉकडाउन के चलते डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया. जिसकी वजह से मरीज के नाक से रोजाना ब्लीडिंग होती है. बिल्डिंग भी इतनी ज्यादा होती है कि पूरा कमरा खून से लथपथ हो जाता है और उसे असह्य दर्द का सामना करना पड़ता है.

गुरुग्राम के युवक पर लॉकडाउन की मार, एम्स ने टाला ट्यूमर का ऑपरेशन

इमरजेंसी में हो रहा युवक का इलाज

ईटीवी भारत ने जब मरीज के माता-पिता से बात की तो पिता ने बताया की एम्स के डॉक्टर ने ऑपरेशन करने की तारीख को लॉकडाउन के बाद तक टाल दिया है. लेकिन मरीज की हालत बेहद गंभीर है. हालत कंट्रोल से बाहर होने पर इंमरजेंसी में मजबूरन एंबुलेंस अस्पताल से लेकर जाना पड़ता है. लेकिन डॉक्टर की टीम मात्र मरहमपट्टी कर वापस भेज देती है और 2 से 3 दिन बाद फिर से ब्लीडिंग होने लगती है. लॉकडाउन में अब तक तीन से चार बाद इमरजेंसी वार्ड में मरीज को दिखाया जा चुका है. लेकिन ऑपरेशन ना होने के चलते युवक दर्द से तड़प रहा है.

लॉकडाउन में परिवार पर दोहरी मार

मरीज का परिवार बिहार का रहने वाला है और घर में सिर्फ पिता ही कमाने वाले एकलौते शख्स है, जो गुरुग्राम की किसी सोसाइटी में हाउसकीपिंग का काम करते थे और किराए के घर में परिवार का गुजारा चल रहा है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब उनका वह काम भी नहीं बचा है. वहीं बचाखुचा पैसा भी बेटे की बीमारी में खर्च हो गया है. गुरुग्राम से दिल्ली एम्स एंबुलेंस करके जाने में एक बार में करीब ₹4000 का खर्चा आता है. ऐसे में जहां एक तरफ लॉकडाउन के चलते नौकरी ना होने से घर का खर्चा उठाना अब भारी पड़ रहा है, वहीं बेटे का ऑपरेशन होने के चलते लगातार हो रहे खर्च से परिवार पर दोहरी मार पड़ रही है.

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