गुरुग्राम: भारत में व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी की घोषणा की जा चुकी है. इस पॉलिसी को भारत में लागू करने का सबसे बड़ा मकसद प्रदूषण पर लगाम लगाना है. देश भर में लागू की जाने वाली नई स्क्रैपेज पॉलिसी को लेकर लोगों के जहन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में हम आपको इस नई नीति से जुड़ी हर जानकारी के बारे में डिटेल में बताएंगे..सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी है क्या?
20 साल से ज्यादा पुराने निजी वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने कमर्शियल वाहनों को सरकार के साथ रजिस्टर्ड 'ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर' पर एक फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. जो वाहन वहां टेस्ट पास नहीं कर पाएंगे. उन्हें 'एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल' घोषित कर दिया जाएगा. जिसका मतलब होगा कि उन वाहनों को रीसायकल करना होगा. अगर वाहन टेस्ट पास कर लेता है तो मालिकों को दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए मोटी फीस चुकानी होगी. यहां पर बता दें कि ये रजिस्ट्रेशन हर 6 महीने में किया जाना अनिवार्य होगा.
फिटनेस टेस्ट की फीस कितनी?
नई पॉलिसी गाइडलाइंस के अनुसार, हर वाहनों को तय समय (15 या 20 साल) के बाद इस फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. इस फिटनेस टेस्ट में पास होने के बाद ही वाहनों को सड़क पर चलने की अनुमति होगी. जानकारी के मुताबिक फिटनेस टेस्ट के लिए तकरीबन 40,000 रुपये तक का खर्च आएगा, जो कि रोड टैक्स और ग्रीन टैक्स के अलावा होगा.
आपको कैसे फायदा होगा?
अगर आप अपना पुराना वाहन किसी रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर पर स्क्रैप कराना चाहते हैं, तो आपको वाहन की एक्स-शोरूम कीमत का करीब 4-6 फीसदी पैसा मिल जाएगा. एक्स-शोरूम कीमत RTO में रजिस्ट्रेशन का चार्ज और इंश्योरेंस बिना जोड़े होती है.
क्या वाहन को स्क्रैप में भेजना अनिवार्य है?
ये जरूरी नहीं है कि 15 या 20 साल के बाद आपके वाहन पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे. ये पॉलिसी फिलहाल स्वैच्छिक होगी. जिसका मतलब है कि ये आपके ऊपर है कि आप अपने वाहन को स्क्रैप में भेजना चाहते हैं या नहीं. अगर आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा.
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गुरुग्राम के आरटीए सचिव धारना यादव की मानें तो कमर्शियल वाहनों को हर दो साल में फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होता है और अगर वो फिटनेस टेस्ट में पास नहीं होते हैं तो वाहन मालिकों को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है. उन्होंने बताया कि गुरुग्राम में एक भी कमर्शियल वाहन ऐसा नहीं है जो बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के चलाया जा रहा है. यानी की गुरुग्राम में पहले से ही वाहनों की फिटनेस जांच की जा रही है.
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बता दें कि ये पॉलिसी भारत में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए लाई जा रही है. दिल्ली-एनसीआर में 15 साल से ऊपर के वाहनों को जप्त करने के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन इसके बाद भी सड़कों पर 15 साल से पुराने वाहन चल रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुरुग्राम में 18,629 ऐसे वाहन हैं जो अपने 15 साल पूरे कर चुके हैं, लेकिन फिर भी वो सड़कों पर चल रहे हैं. इस पॉलिसी के आने के बाद ऐसे वाहनों पर नकेल कसने में मदद मिलेगी.
ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट मोहित शर्मा ने कहा कि इस पॉलिसी के आने के बाद उन सभी पुराने वाहनों को स्क्रैप करने में आसानी होगी, जो नए वाहनों की तुलना में 10 से 12 फीसदी प्रदूषण बढ़ाते हैं.
एक्सपर्ट की मानें तो सरकार की स्क्रैपेज पॉलिसी प्रदूषण पर लगाम लगाने में कामयाब हो सकती है, लेकिन उसके लिए इस पॉलिसी को धरातल पर जल्द से जल्द इंप्लीमेंट करना होगा और ऐसे वाहन चालकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो इस पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं.