गुरुग्राम: टमाटर की खेती इस बार किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. मंडी में सही भाव नहीं मिलने की वजह से किसान टमाटर की फसल को औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हैं. ना तो उन्हें भावंतर भरपाई योजना का लाभ मिल रहा है और ना ही सरकार प्रशासन की तरफ से कोई मदद मिल पा रही है.
हालत ये है कि नुकसान से आहत किसान टमाटर की फसल को बेचने की जगह उसे ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर रहे हैं. जो टमाटर किसान मंडी में तीन से चार रुपये प्रति किलो बेचकर आता है. वो टमाटर लोगों की रसोई में 25 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पहुंच रहा है. ऐसे में आढ़ति और ठेकेदार मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.
किसानों की ये स्थिति तो लॉकडाउन से पहले भी अच्छी नहीं थी. लॉकडाउन से पहले किसान टमाटर को मंडी में 10 से 12 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते थे. जो लोगों को 40 रुपये प्रति किलो तक मिलता था. अब लॉकडाउन के बाद किसानों की ये फसल औने-पौने दामों में बिक रही है.
ईटीवी भारत हरियाणा ने जब किसानों के इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया तो कृषि मंत्री जेपी दलाल ने संज्ञान लिया और किसानों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने सब्जियों को भी फसल बीमा योजना में शामिल करने का आश्वासन दिया.
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आमदनी अट्ठअन्नी और खर्चा 2 रुपया, कमबोबेश किसानों की यही हालत हो चुकी है. सरकार-प्रशासन के दावों और योजनाओं के बाद भी किसान भूखा मरने की कगार पर है. टमाटर की खेती करने वाले किसानों को ज्यादा नुकसान हो रहा है.