गुरुग्राम: ये डिजिटल पीरियड है. लोग ज्यादा से ज्यादा वक्त मोबाइल और सिस्टम के सामने बिताते हैं, लोग इस डिजिटल डिवाइजेस की वर्चुअल दुनिया में भावनात्मक रुप से जुड़ने लगे हैं. ऑनलाइन दोस्त, दोस्त से ज्यादा और जीवन साथी की तलाश करने लगे हैं, लेकिन क्या इस वर्चुअल दुनिया में सब कुछ सुरक्षित और भरोसेमंद है. इस सवाल का जवाब देना तब और मुश्किल हो जाता है जब हम गुरुग्राम से सामने आई इस खबर को देखते हैं.
गुरुग्राम में गे-डेटिंग ऐप का इस्तेमाल कर लोगों से मिलना कुछ पुरुषों के लिए महंगा साबित हुआ. दिल्ली NCR के में डेटिंग ऐप Grindr पर कई लोगों को बेवकूफ बनाया गया... जहां पहले उन्हें डेट पर बुलाया गया. अश्लील तसवीरें खींची गईं, लूटा गया, फिर उन तस्वीरों से उन्हें ब्लैकमेल भी किया गया. पीड़ितों की इस लिस्ट में गुरुग्राम के जाने माने इंडस्ट्रीयलिस्ट भी शामिल हैं. गुरुग्राम पुलिस ने हाल ही में इस रैकेट का भंडाफोड़ किया है.
अब जानिए मामले में पेंच क्या है ?
150 लोगों को लूटने के बाद भी अभी तक पुलिस के पास सिर्फ एक ही ऑफिशियल कम्प्लेंट है. क्यों? क्योंकि इन विक्टिम्स में से कई लोग अभी भी अपनी सेक्सुअल प्रेफरेंस को लेकर ओपन नहीं हैं, क्योंकि उनके लिए गे होना एक सामाजिक टैबू है.
बता दें कि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में होमोसेक्सुअलिटी को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था, लेकिन उससे जुड़ा टैबू अभी भी वैसा ही है. उनके इसी डर का फायदा उठाकर उनसे इस गैंग ने लाखों रुपये ऐंठे और शायद अभी और लोगों को निशाना बनाते, अगर पुलिस के पास वो एक कम्प्लेंट न आई होती तो.
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