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टीबी मरीजों पर भारी पड़ी कोरोना महामारी, 50 फीसदी मरीजों की नहीं हो पाई रिपोर्टिंग

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Published : Mar 25, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 5:35 PM IST

कोरोना महामारी के दौरान दूसरी घातक बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को प्रभावित किया है. स्वास्थ्य विभाग के लिए महामारी के दौरान घातक बीमारी टीबी के मरीजों की रिपोर्टिंग को भी मुश्किल कर दिया था. डॉक्टरों के मुताबिक पिछले एक साल में 50 फीसदी मरीजों की रिपोर्टिंग नहीं हो पाई.

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टीबी मरीजों पर भारी पड़ी कोरोना महामारी, 50 फीसदी मरीजों की नहीं हो पाई रिपोर्टिंग

गुरुग्राम: कोरोना महामारी में हम उन बीमारियों को भूल गए हैं जो बेहद घातक है. ऐसे ही एक बीमारी है टीबी, जिससे हर साल 4.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है और हर साल करीब 26 लाख लोग टीबी की चपेट में आते हैं. टीबी भी हवा के जरिए फैलती है. साथ ही कोरोना टीबी के मरीजों के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता है.

कोरोना की वजह से 50 फीसदी मरीजों की नहीं हो सकी रिपोर्टिंग

दरअसल हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है. वहीं बीते साल कोरोना की वजह से 50 फीसदी टीबी के मरीजों का डायग्नोसिस नहीं हो सका, क्योंकि कोरोना की वजह से लोग हॉस्पिटल आने से कतरा रहे थे. जिसके कारण 50 प्रतिशत टीबी के मरीजों की रिपोर्टिंग नहीं हो सकी.

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टीबी के मरीजों के लिए बहुत घातक है कोरोना

डॉक्टरों की मानें तो टीबी के मरीजों के लिए कोरोना बेहद घातक साबित हो सकता है. वहीं डॉक्टर ने कहा कि अधिकतर टीबी से पीड़ित कोरोना के मरीजों को ICU में भर्ती होने की आवश्यकता होती है.

टीबी के करीब 26 लाख मरीज भारत में हर साल आते हैं सामने

डॉक्टरों की मानें तो कोरोना से पहले यानी साल 2020 से पहले लगभग 26 लाख केस एक समय पर भारत में टीबी के आते थे और तकरीबन 4.5 लाख मृत्यु होती थी, लेकिन बीते साल की बात करें तो इस आंकड़े में तकरीबन 50 प्रतिशत कमी देखने को मिली है.

ये पढ़ें- यमुनानगर: मां का इलाज करवाने आए व्यक्ति ने ईएसआई अस्पताल में किया हंगामा

कोरोना की तरह होते हैं टीबी के लक्षण

डॉक्टरों की मानें तो कोरोना और टीबी के लक्षण मिलते-जुलते हैं. जहां कोरोना में बुखार होता है तो टीबी में भी बुखार, खास जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं और कई मरीज तो ऐसे आए हैं, जो कोरोना के लक्षण आने के बाद जांच के लिए पहुंचे तो जब जांच की तो उन्हें टीबी की बीमारी पाई गई. ऐसे में समय पर सही जांच कराना है एक विकल्प है.

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जानें क्या होते हैं टीबी के लक्षण?

ऐसे होता है टीबी का इलाज

टीबी की चपेट में आने वाले मरीजों को करीब 6 महीने से 9 महीने इलाज में लगते हैं. इलाज होने के बाद ही संतोषजनक परिणाम मिलने पर मरीज को ठीक समझा जा सकता है. वहीं टीबी की बीमारी का पता लगने पर उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. इसलिए जरूरी है कि शुरुआती लक्षणों को देखते ही डॉक्टर की सलाह पर जांच और इलाज शुरू कर दिया जाए, लेकिन सही समय पर इलाज ना मिलने पर टीबी से जान का जोखिम भी बन सकता है.

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जानें टीबी से कैसे बचें?

ये पढ़ें- अच्छी खबर: अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज होगा बिल्कुल मुफ्त

हवा से फैलता है टीबी का संक्रमण

कोविड-19 श्वसन तंत्र पर हमला करता है और बहुत मामलों में टीबी में भी ऐसे में मास्क पहनकर एक से फैलने से रोका जा सकता है, क्योंकि यह दोनों संक्रमित व्यक्ति के सांसों के जरिए फैल सकते हैं, लेकिन जैसे ही देखा गया है कि मास्क पहनने के बावजूद कोरोना के मामले बढ़ते हुए देखने को मिल रहे हैं. जरूरी है कि किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जा सके. कोविड-19 के साथ टीबी की बीमारी से भी हर स्तर पर लड़ाई जारी है.

गुरुग्राम: कोरोना महामारी में हम उन बीमारियों को भूल गए हैं जो बेहद घातक है. ऐसे ही एक बीमारी है टीबी, जिससे हर साल 4.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है और हर साल करीब 26 लाख लोग टीबी की चपेट में आते हैं. टीबी भी हवा के जरिए फैलती है. साथ ही कोरोना टीबी के मरीजों के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकता है.

कोरोना की वजह से 50 फीसदी मरीजों की नहीं हो सकी रिपोर्टिंग

दरअसल हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है. वहीं बीते साल कोरोना की वजह से 50 फीसदी टीबी के मरीजों का डायग्नोसिस नहीं हो सका, क्योंकि कोरोना की वजह से लोग हॉस्पिटल आने से कतरा रहे थे. जिसके कारण 50 प्रतिशत टीबी के मरीजों की रिपोर्टिंग नहीं हो सकी.

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टीबी के मरीजों के लिए बहुत घातक है कोरोना

डॉक्टरों की मानें तो टीबी के मरीजों के लिए कोरोना बेहद घातक साबित हो सकता है. वहीं डॉक्टर ने कहा कि अधिकतर टीबी से पीड़ित कोरोना के मरीजों को ICU में भर्ती होने की आवश्यकता होती है.

टीबी के करीब 26 लाख मरीज भारत में हर साल आते हैं सामने

डॉक्टरों की मानें तो कोरोना से पहले यानी साल 2020 से पहले लगभग 26 लाख केस एक समय पर भारत में टीबी के आते थे और तकरीबन 4.5 लाख मृत्यु होती थी, लेकिन बीते साल की बात करें तो इस आंकड़े में तकरीबन 50 प्रतिशत कमी देखने को मिली है.

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कोरोना की तरह होते हैं टीबी के लक्षण

डॉक्टरों की मानें तो कोरोना और टीबी के लक्षण मिलते-जुलते हैं. जहां कोरोना में बुखार होता है तो टीबी में भी बुखार, खास जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं और कई मरीज तो ऐसे आए हैं, जो कोरोना के लक्षण आने के बाद जांच के लिए पहुंचे तो जब जांच की तो उन्हें टीबी की बीमारी पाई गई. ऐसे में समय पर सही जांच कराना है एक विकल्प है.

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ऐसे होता है टीबी का इलाज

टीबी की चपेट में आने वाले मरीजों को करीब 6 महीने से 9 महीने इलाज में लगते हैं. इलाज होने के बाद ही संतोषजनक परिणाम मिलने पर मरीज को ठीक समझा जा सकता है. वहीं टीबी की बीमारी का पता लगने पर उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. इसलिए जरूरी है कि शुरुआती लक्षणों को देखते ही डॉक्टर की सलाह पर जांच और इलाज शुरू कर दिया जाए, लेकिन सही समय पर इलाज ना मिलने पर टीबी से जान का जोखिम भी बन सकता है.

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हवा से फैलता है टीबी का संक्रमण

कोविड-19 श्वसन तंत्र पर हमला करता है और बहुत मामलों में टीबी में भी ऐसे में मास्क पहनकर एक से फैलने से रोका जा सकता है, क्योंकि यह दोनों संक्रमित व्यक्ति के सांसों के जरिए फैल सकते हैं, लेकिन जैसे ही देखा गया है कि मास्क पहनने के बावजूद कोरोना के मामले बढ़ते हुए देखने को मिल रहे हैं. जरूरी है कि किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जा सके. कोविड-19 के साथ टीबी की बीमारी से भी हर स्तर पर लड़ाई जारी है.

Last Updated : Mar 25, 2021, 5:35 PM IST
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