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हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनी आफत, लाइन में लगे वाहन चालकों के छूट रहे पसीने - हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट गुरुग्राम

गुरुग्राम में हाई सिक्योरिटी नंबर लगवाने के लिए वाहन चालकों को काफी परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है. वाहन चालकों का कहना है कि वो दो सप्ताह से इसके लिए लाइन में लग रहे हैं. फिर भी उन्हें नंबर प्लेट नहीं मिल रही है.

driver upset due to high security number plate in gurugram
गुरुग्राम में वाहन चालकों को नंबर प्लेट लगवाने में सर्दी में छूट रहे पसीने
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Published : Jan 10, 2021, 1:58 PM IST

गुरुग्राम: गाड़ियों की ये लंबी-लबी कतारें किसी रैली की नहीं बल्कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट और स्टीकर लगवाने आए हुए वाहन चालकों की हैं. जिन्होंने नंबर प्लेट के लिए ऑनलाइन भी अप्लाई किया, लेकिन हर बार सर्वर डाउन होने की वजह से उन्हें घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.

इन वाहन चालकों में से कोई नौकरी से छुट्टी लेकर यहां लाइन में लगा है. तो कोई अपना बिजनेस और दुकान छोड़कर. सभी इसी कोशिश में हैं कि किसी तरह हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लग जाए.

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए गुरुग्राम में ड्राइवर परेशान

प्रशासन को कोसते वाहन चालकों की माने तो दिल्ली में बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट और स्टीकर का 5500 रुपये का चालान है. ऐसे में वे दिल्ली जाए तो कैसे. वाहन चालक नीरज ने बताया कि वो पिछले कई दिनों से इस ऑफिस का चक्कर काट रहा है, लेकिन उसकी गाड़ी में नंबर प्लेट नहीं लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां पर काम करने वाले कर्मचारी लोगों को कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं.

ऑफिस के कर्मचारी नहीं कर रहे कोई मदद: वाहन चालक

इस बीमारू सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ाती इस लाइन में कुछ ऐसे भी वाहन चालक हैं. जो एक बार नहीं बल्कि कई बार इस ऑफिस में आ चुके हैं, लेकिन इनकी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे ही एक वाहन चालक खजान सिंह हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर काम करने वाले कर्मचारी कोई मदद नहीं कर रहे हैं. उन्होंने पहले ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन सर्वर डाउन होने की वजह से उन्हें इस लाइन में घंटों लगना पड़ रहा है.

एसडीएम ने इस मसले पर बोलने से किया इंकार

इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने एसडीएम जितेंद्र कुमार से बात करनी चाही. तो सरकारी बाबू ने इस मसले पर बात करने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि सब धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: LIVE: सीएम के कार्यक्रम का विरोध करने जा रहे किसानों पर चली वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोले

दरअसल नोट बंदी के बाद तमाम सरकारी और गैर सरकारी व्यवस्थाओं को ऑनलाइन तो किया गया, लेकिन ये व्यवस्था अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रही है. जिसके चलते बीती 1 जनवरी से अभी तक हजारों लोगों को हर रोज इस परेशानी से दो चार होना पड़ता है, लेकिन विभाग है कि उसके कानों पर जूं तक नही रेंगती.

गुरुग्राम: गाड़ियों की ये लंबी-लबी कतारें किसी रैली की नहीं बल्कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट और स्टीकर लगवाने आए हुए वाहन चालकों की हैं. जिन्होंने नंबर प्लेट के लिए ऑनलाइन भी अप्लाई किया, लेकिन हर बार सर्वर डाउन होने की वजह से उन्हें घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है.

इन वाहन चालकों में से कोई नौकरी से छुट्टी लेकर यहां लाइन में लगा है. तो कोई अपना बिजनेस और दुकान छोड़कर. सभी इसी कोशिश में हैं कि किसी तरह हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लग जाए.

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए गुरुग्राम में ड्राइवर परेशान

प्रशासन को कोसते वाहन चालकों की माने तो दिल्ली में बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट और स्टीकर का 5500 रुपये का चालान है. ऐसे में वे दिल्ली जाए तो कैसे. वाहन चालक नीरज ने बताया कि वो पिछले कई दिनों से इस ऑफिस का चक्कर काट रहा है, लेकिन उसकी गाड़ी में नंबर प्लेट नहीं लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यहां पर काम करने वाले कर्मचारी लोगों को कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं.

ऑफिस के कर्मचारी नहीं कर रहे कोई मदद: वाहन चालक

इस बीमारू सरकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ाती इस लाइन में कुछ ऐसे भी वाहन चालक हैं. जो एक बार नहीं बल्कि कई बार इस ऑफिस में आ चुके हैं, लेकिन इनकी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. ऐसे ही एक वाहन चालक खजान सिंह हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर काम करने वाले कर्मचारी कोई मदद नहीं कर रहे हैं. उन्होंने पहले ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन सर्वर डाउन होने की वजह से उन्हें इस लाइन में घंटों लगना पड़ रहा है.

एसडीएम ने इस मसले पर बोलने से किया इंकार

इस बारे में जब ईटीवी भारत की टीम ने एसडीएम जितेंद्र कुमार से बात करनी चाही. तो सरकारी बाबू ने इस मसले पर बात करने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि सब धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा.

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दरअसल नोट बंदी के बाद तमाम सरकारी और गैर सरकारी व्यवस्थाओं को ऑनलाइन तो किया गया, लेकिन ये व्यवस्था अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रही है. जिसके चलते बीती 1 जनवरी से अभी तक हजारों लोगों को हर रोज इस परेशानी से दो चार होना पड़ता है, लेकिन विभाग है कि उसके कानों पर जूं तक नही रेंगती.

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