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टोहाना विधानसभा सीट: 2014 में बीजेपी को पहली बार मिली थी यहां जीत, क्या हैं इस बार समीकरण?

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Published : Sep 25, 2019, 6:36 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 3:48 PM IST

हरियाणा में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को परिणाम आएगा. उससे पहले ईटीवी भारत के इस खास कार्यक्रम 'चौधर की जंग' में हम आपको हर विधानसभा सीट का लेखा जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे टोहाना विधानसभा सीट की.

tohana constituency

फतेहाबाद: टोहाना विधानसभा सीट फतेहाबाद जिले में आती है. इस सीट पर अब तक कुल 12 बार हुए चुनाव में छह बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार विजयी रहे, जबकि एक-एक बार विशाल हरियाणा पार्टी, जनता पार्टी, समता पार्टी, माकपा, इनेलो व भाजपा के उम्मीदवार जीत करने में कामयाब रहे.

tohana
फाइल फोटो.

कांग्रेस का रहा है दबदबा

इस सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अब तक यहां कांग्रेस का ही ज्यादा दबदबा रहा है. भाजपा को पहली बार 2014 में इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब मिली थी जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला 2014 यहां से विधायक चुने गए थे.

paramvir singh tohana
परमवीर सिंह.

एक परिवार का रहा है दबदबा

इस सीट की एक खास बात ये भी है कि यहां 7 बार एक ही परिवार के पिता-पुत्र चुनाव जीते हैं. पांच बार हरपाल सिंह इस सीट से विधायक बने जबकि लगातार दो बार 2004 और 2009 में उनके पुत्र परमवीर सिंह टोहाना से चुनाव जीत चुके हैं. हरपाल सिंह चार बार कांग्रेस पार्टी व एक बार विशाल हरियाणा पार्टी की टिकट पर चुनाव जीते थे.

डेरा सच्चा सौदा
फाइल फोटो.

डेरा सच्चा सौदा का रहता है असर

बीजेपी की बात करें तो 2014 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत दिलवाने में डेरा सच्चा सौदा की अहम भूमिका रही थी. इस विधानसभा क्षेत्र में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का काफी असर रहता है क्योंकि डेरा अनुयायियों की संख्या यहां सबसे अधिक है. हालांकि अब हालात बदल चुके हैं. बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही डेरा प्रमुख को साध्वी यौन शोषण और पत्रकार हत्या मामले में सजा हुई है. ऐसे में इस बार के चुनाव में डेरा के वोट बैंक को भी साथ रखना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

haryana bjp rally
फाइल फोटो.

बीजेपी को इस बार मिलेगी कड़ी चुनौती

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से ही कड़ी टक्कर मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में फतेहाबाद से भाजपा को 75896 तथा रतिया से 39682 मतों की बढ़त मिली थी जबकि टोहाना में भाजपा मात्र 8868 मतों की बढ़त हासिल कर पाई थी. जिससे ये साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलने वाली है.

new voters tohana
कांसेप्ट इमेज.

सबसे ज्यादा नए वोटर जुड़े

टोहाना विधानसभा सीट इस बार वीआईपी सीट में मानी जा रही है. क्योंकि यहां से दो प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह. टोहाना विस क्षेत्र में कुल 219715 वोटर हैं. जिसमें 115901 पुरुष वोटर तथा 103814 महिला वोटर हैं. टोहाना विधानसभा में इस बार लोकसभा चुनाव के बाद जिले में सबसे अधिक 3200 के करीब नए वोट बन चुके हैं. नामांकन प्रक्रिया शुरू होने तक ये आंकड़ा और बढ़ सकता है.

subhash barala.
सुभाष बराला.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम

2014 के चुनाव में टोहाना में 1,73,064 लोगों ने मतदान किया था. टोहाना में कुल 85.62 प्रतिशत मतदान हुआ था. यहां बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने इनेलो के निशान सिंह को हराया था. बराला को 49462 वोट मिले थे और निशान सिंह को 42556 वोट प्राप्त हुए थे. निर्दलीय देवेंद्र सिंह बबली 38,282 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी परमवीर सिंह 33,111 वोटों के साथ चौथे नंबर पर थे. सुभाष बराला जाट समुदाय से हैं और उनकी जीत के बाद टोहाना सीट पर 1977 के बाद 2014 में कोई जाट विधायक बना था. उससे पहले और उसके बाद के चुनावों में पंजाबी नेताओं का बोलबाला रहा है. 8 बार पंजाबी, 1-1 बार कम्बोज, बिश्नोई व सिख बने हैं.

nishan singh jjp inld
निशान सिंह.

क्या बन रहे हैं समीकरण?

मौजूदा स्थिति की बात करें तो यहां से बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का चुनाव लड़ना तय है. वहीं निशान सिंह अब जेजेपी में जा चुके हैं और कांग्रेस की टिकट के लिए परमवीर और देवेंद्र सिंह बबली मैदान में जुटे हुए हैं. टोहाना विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कुल 94 गांव हैं और इसमें जाखल, कुलां, धारसुल जैसे कस्बे शामिल हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में पहले कांग्रेस का ज्यादा असर रहता था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ काफी बड़ा है. वहीं शहरी क्षेत्र में बीजेपी पहले से ही मजबूत है. वहीं टूट के बाद इनेलो और जजपा का इस हलके में वोट बैंक बिखरा नजर आ रहा है. अब देखना होगा कि यहां की जनता इस बार किसे विधानसभा में भेजेगी.

टोहाना में कब कौन रहा विधायक-

  • 1967 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी से हरपाल सिंह
  • 1972 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1977 में जनता पार्टी से कर्म सिंह डांगरा
  • 1982 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1985 में उपचुनाव में हरपाल सिंह
  • 1987 में माकपा से कामरेड हरपाल सिंह
  • 1991 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1996 में समता से विनोद कुमार
  • 2000 में इनेलो से निशान सिंह
  • 2005 में कांग्रेस से परमवीर सिंह
  • 2009 में कांग्रेस से परमवीर सिंह
  • 2014 में बीजेपी से सुभाष बराला

फतेहाबाद: टोहाना विधानसभा सीट फतेहाबाद जिले में आती है. इस सीट पर अब तक कुल 12 बार हुए चुनाव में छह बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार विजयी रहे, जबकि एक-एक बार विशाल हरियाणा पार्टी, जनता पार्टी, समता पार्टी, माकपा, इनेलो व भाजपा के उम्मीदवार जीत करने में कामयाब रहे.

tohana
फाइल फोटो.

कांग्रेस का रहा है दबदबा

इस सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अब तक यहां कांग्रेस का ही ज्यादा दबदबा रहा है. भाजपा को पहली बार 2014 में इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब मिली थी जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला 2014 यहां से विधायक चुने गए थे.

paramvir singh tohana
परमवीर सिंह.

एक परिवार का रहा है दबदबा

इस सीट की एक खास बात ये भी है कि यहां 7 बार एक ही परिवार के पिता-पुत्र चुनाव जीते हैं. पांच बार हरपाल सिंह इस सीट से विधायक बने जबकि लगातार दो बार 2004 और 2009 में उनके पुत्र परमवीर सिंह टोहाना से चुनाव जीत चुके हैं. हरपाल सिंह चार बार कांग्रेस पार्टी व एक बार विशाल हरियाणा पार्टी की टिकट पर चुनाव जीते थे.

डेरा सच्चा सौदा
फाइल फोटो.

डेरा सच्चा सौदा का रहता है असर

बीजेपी की बात करें तो 2014 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत दिलवाने में डेरा सच्चा सौदा की अहम भूमिका रही थी. इस विधानसभा क्षेत्र में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का काफी असर रहता है क्योंकि डेरा अनुयायियों की संख्या यहां सबसे अधिक है. हालांकि अब हालात बदल चुके हैं. बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही डेरा प्रमुख को साध्वी यौन शोषण और पत्रकार हत्या मामले में सजा हुई है. ऐसे में इस बार के चुनाव में डेरा के वोट बैंक को भी साथ रखना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

haryana bjp rally
फाइल फोटो.

बीजेपी को इस बार मिलेगी कड़ी चुनौती

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से ही कड़ी टक्कर मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में फतेहाबाद से भाजपा को 75896 तथा रतिया से 39682 मतों की बढ़त मिली थी जबकि टोहाना में भाजपा मात्र 8868 मतों की बढ़त हासिल कर पाई थी. जिससे ये साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलने वाली है.

new voters tohana
कांसेप्ट इमेज.

सबसे ज्यादा नए वोटर जुड़े

टोहाना विधानसभा सीट इस बार वीआईपी सीट में मानी जा रही है. क्योंकि यहां से दो प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह. टोहाना विस क्षेत्र में कुल 219715 वोटर हैं. जिसमें 115901 पुरुष वोटर तथा 103814 महिला वोटर हैं. टोहाना विधानसभा में इस बार लोकसभा चुनाव के बाद जिले में सबसे अधिक 3200 के करीब नए वोट बन चुके हैं. नामांकन प्रक्रिया शुरू होने तक ये आंकड़ा और बढ़ सकता है.

subhash barala.
सुभाष बराला.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम

2014 के चुनाव में टोहाना में 1,73,064 लोगों ने मतदान किया था. टोहाना में कुल 85.62 प्रतिशत मतदान हुआ था. यहां बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने इनेलो के निशान सिंह को हराया था. बराला को 49462 वोट मिले थे और निशान सिंह को 42556 वोट प्राप्त हुए थे. निर्दलीय देवेंद्र सिंह बबली 38,282 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी परमवीर सिंह 33,111 वोटों के साथ चौथे नंबर पर थे. सुभाष बराला जाट समुदाय से हैं और उनकी जीत के बाद टोहाना सीट पर 1977 के बाद 2014 में कोई जाट विधायक बना था. उससे पहले और उसके बाद के चुनावों में पंजाबी नेताओं का बोलबाला रहा है. 8 बार पंजाबी, 1-1 बार कम्बोज, बिश्नोई व सिख बने हैं.

nishan singh jjp inld
निशान सिंह.

क्या बन रहे हैं समीकरण?

मौजूदा स्थिति की बात करें तो यहां से बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का चुनाव लड़ना तय है. वहीं निशान सिंह अब जेजेपी में जा चुके हैं और कांग्रेस की टिकट के लिए परमवीर और देवेंद्र सिंह बबली मैदान में जुटे हुए हैं. टोहाना विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कुल 94 गांव हैं और इसमें जाखल, कुलां, धारसुल जैसे कस्बे शामिल हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में पहले कांग्रेस का ज्यादा असर रहता था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ काफी बड़ा है. वहीं शहरी क्षेत्र में बीजेपी पहले से ही मजबूत है. वहीं टूट के बाद इनेलो और जजपा का इस हलके में वोट बैंक बिखरा नजर आ रहा है. अब देखना होगा कि यहां की जनता इस बार किसे विधानसभा में भेजेगी.

टोहाना में कब कौन रहा विधायक-

  • 1967 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1968 में विशाल हरियाणा पार्टी से हरपाल सिंह
  • 1972 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1977 में जनता पार्टी से कर्म सिंह डांगरा
  • 1982 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1985 में उपचुनाव में हरपाल सिंह
  • 1987 में माकपा से कामरेड हरपाल सिंह
  • 1991 में कांग्रेस से हरपाल सिंह
  • 1996 में समता से विनोद कुमार
  • 2000 में इनेलो से निशान सिंह
  • 2005 में कांग्रेस से परमवीर सिंह
  • 2009 में कांग्रेस से परमवीर सिंह
  • 2014 में बीजेपी से सुभाष बराला
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टोहाना विधानसभा सीट: 2014 में बीजेपी को पहली बार मिली थी यहां जीत, क्या हैं इस बार समीकरण?



हरियाणा में विधानसभा चुनाव के शंखनाद हो चुका है. 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को परिणाम आएगा. उससे पहले ईटीवी भारत के इस खास कार्यक्रम 'चौधर की जंग' में हम आपको हर विधानसभा सीट का लेखा जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे टोहाना विधानसभा सीट की.



फतेहाबाद: टोहाना विधानसभा सीट फतेहाबाद जिले में आती है. इस सीट पर अब तक कुल 12 बार हुए चुनाव में छह बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार विजयी रहे, जबकि एक-एक बार विशाल हरियाणा पार्टी, जनता पार्टी, समता पार्टी, माकपा, इनेलो व भाजपा के उम्मीदवार जीत करने में कामयाब रहे.

कांग्रेस का रहा है दबदबा

इस सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अब तक यहां कांग्रेस का ही ज्यादा दबदबा रहा है. भाजपा को पहली बार 2014 में इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब मिली थी जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला 2014 यहां से विधायक चुने गए थे.

एक परिवार का रहा है दबदबा

इस सीट की एक खास बात ये भी है कि यहां 7 बार एक ही परिवार के पिता-पुत्र चुनाव जीते हैं. पांच बार हरपाल सिंह इस सीट से विधायक बने जबकि लगातार दो बार 2004 और 2009 में उनके पुत्र परमवीर सिंह टोहाना से चुनाव जीत चुके हैं. हरपाल सिंह चार बार कांग्रेस पार्टी व एक बार विशाल हरियाणा पार्टी की टिकट पर चुनाव जीते थे.

डेरा सच्चा सौदा का रहता है असर

बीजेपी की बात करें तो 2014 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर बीजेपी को जीत दिलवाने में डेरा सच्चा सौदा की अहम भूमिका रही थी. इस विधानसभा क्षेत्र में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का काफी असर रहता है क्योंकि डेरा अनुयायियों की संख्या यहां सबसे अधिक है. हालांकि अब हालात बदल चुके हैं. बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ही डेरा प्रमुख को साध्वी यौन शोषण और पत्रकार हत्या मामले में सजा हुई है. इस बार के चुनाव में डेरा के वोट बैंक को भी साथ रखना भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

बीजेपी को इस बार मिलेगी कड़ी चुनौती

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को कांग्रेस से ही कड़ी टक्कर मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में फतेहाबाद से भाजपा को 75896 तथा रतिया से 39682 मतों की बढ़त मिली थी जबकि टोहाना में भाजपा मात्र 8868 मतों की बढ़त हासिल कर पाई थी. जिससे ये साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलने वाली है.

सबसे ज्यादा नए वोटर जुड़े

टोहाना विधानसभा सीट इस बार वीआईपी सीट में मानी जा रही है. क्योंकि यहां से दो प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह. टोहाना विस क्षेत्र में कुल 219715 वोटर हैं जिसमें 115901 पुरुष वोटर तथा 103814 महिला वोटर हैं. टोहाना विधानसभा में इस बार लोकसभा चुनाव के बाद जिले में सबसे अधिक 3200 के करीब नए वोट बन चुके हैं. नामांकन प्रक्रिया शुरू होने तक ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. 

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम

2014 के चुनाव में टोहाना में 1,73,064 लोगों ने मतदान किया था. टोहाना में कुल 85.62 प्रतिशत मतदान हुआ था. यहां बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने इनेलो के निशान सिंह को हराया था. बराला को 49462 वोट मिले थे और निशान सिंह को 42556 वोट प्राप्त हुए थे. निर्दलीय देवेंद्र सिंह बबली 38,282 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी परमवीर सिंह 33,111 वोटों के साथ चौथे नंबर पर थे. सुभाष बराला जाट समुदाय से हैं और उनकी जीत के बाद टोहाना सीट पर 1977 के बाद 2014 में कोई जाट विधायक बना था. उससे पहले और उसके बाद के चुनावों में पंजाबी नेताओं का बोलबाला रहा है. 8 बार पंजाबी, 1-1 बार कम्बोज, बिश्नोई व सिख बने हैं.

क्या बन रहे हैं समीकरण?

मौजूदा स्थिति की बात करें तो यहां से बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का चुनाव लड़ना तय है. वहीं निशान सिंह अब जेजेपी में जा चुके हैं और कांग्रेस की टिकट के लिए परमवीर और देवेंद्र सिंह बबली मैदान में जुटे हुए हैं. 

टोहाना विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां कुल 94 गांव हैं और इसमें जाखल, कुलां, धारसुल जैसे कस्बे शामिल हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में पहले कांग्रेस का ज्यादा असर रहता था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ काफी बड़ा है. वहीं शहरी क्षेत्र में बीजेपी पहले से ही मजबूत है. वहीं टूट के बाद इनेलो और जजपा का इस हलके में वोट बैंक बिखरा नजर आ रहा है. अब देखना होगा कि यहां की जनता इस बार किसे विधानसभा में भेजेगी.



टोहाना में कब कौन रहा विधायक- 

1967 में कांग्रेस से हरपाल सिंह

1968 में विशाल हरियाणा पार्टी से हरपाल सिंह

1972 में कांग्रेस से हरपाल सिंह

1977 में जनता पार्टी से कर्म सिंह डांगरा

1982 में कांग्रेस से हरपाल सिंह

1987 में माकपा से कामरेड हरपाल सिंह

1991 में कांग्रेस से हरपाल सिंह

1996 में समता से विनोद मडिया

2000 में इनेलो से निशान सिंह

2004 में कांग्रेस से परमवीर सिंह

2009 में कांग्रेस से परमवीर सिंह

2014 में बीजेपी से सुभाष बराला

 


Conclusion:
Last Updated : Sep 26, 2019, 3:48 PM IST
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