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फतेहाबाद: किसान पराली जलाने को मजबूर, आग लगते ही धूंआ-धूंआ हुआ शहर

फतेहाबाद जिले के किसान इन दिनों अपने खेतों में पराली जलाने को मजबूर दिखाई पड़ रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं मिल रही है और मजबूरन पराली जलानी पड़ रही है.

किसान पराली जलाने को मजबूर
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Published : Oct 29, 2019, 8:52 AM IST

फतेहाबाद: अक्टूबर और नवंबर के महीने में पूरा उत्तर भारत आग लगी पराली की चपेट में दिखाई पड़ता है. हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में किसान पराली जलाते हैं, जिससे हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. सरकारें इसे रोकने का दावा तो करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर पराली जलाने के मामले कम होते नहीं दिख रहे हैं.

आग लगते ही धूंआ-धूंआ हुआ शहर
फतेहाबाद में भी दीपावली पर जमकर पटाखे चले और उससे अगले दिन कई जगह खेतों में किसानों ने पराली को आग लगाई. किसानों के पराली में आग लगाते ही पूरे शहर में धुंआ ही धुंआ हो गया. खेत के आस पास रहने वाले लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी. पराली जलाने को लेकर जब किसानों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि अगली फसल की बिजाई के लिए खेतों को जल्दी खाली करना होता है. किसानों ने बताया कि बिना आग लगाए खेतों की 5-6 बार जुताई करनी पड़ती है, जिसमें ज्यादा खर्चा आता है.

किसान पराली जलाने को मजबूर, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- नाराज किसानों की दो टूक, 'संसाधन उपलब्ध कराए सरकार, नहीं तो जलाएंगे पराली'

किसानों की सरकार से ये है मांग
किसानों ने सरकार से मांग की है कि वो किसानों को पराली निकालने के लिए यंत्र दे, जिससे किसानों के पैसे और समय दोनों की बचत होगी. किसानों ने कहा कि वो पराली जलाने को मजबूर हैं और फिलहाल उनके पास इसके अलावा कोई और तरीका नहीं है.

किसान पराली जलाने को मजबूर
किसान मनदीप ने बताया कि धान की पराली निकालने के लिए पांच से छ हजार रुपये प्रति एकड़ खर्चा आता है और वो तो पहले ही कर्जे में डूबा है. किसान ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें पराली निकालने की मशीने नहीं उपलब्ध करवाई जा रही, इसलिए किसानों को पराली में आग लगानी पड़ रही है.

फतेहाबाद: अक्टूबर और नवंबर के महीने में पूरा उत्तर भारत आग लगी पराली की चपेट में दिखाई पड़ता है. हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में किसान पराली जलाते हैं, जिससे हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. सरकारें इसे रोकने का दावा तो करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर पराली जलाने के मामले कम होते नहीं दिख रहे हैं.

आग लगते ही धूंआ-धूंआ हुआ शहर
फतेहाबाद में भी दीपावली पर जमकर पटाखे चले और उससे अगले दिन कई जगह खेतों में किसानों ने पराली को आग लगाई. किसानों के पराली में आग लगाते ही पूरे शहर में धुंआ ही धुंआ हो गया. खेत के आस पास रहने वाले लोगों को सांस लेने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी. पराली जलाने को लेकर जब किसानों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि अगली फसल की बिजाई के लिए खेतों को जल्दी खाली करना होता है. किसानों ने बताया कि बिना आग लगाए खेतों की 5-6 बार जुताई करनी पड़ती है, जिसमें ज्यादा खर्चा आता है.

किसान पराली जलाने को मजबूर, देखें वीडियो

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किसानों की सरकार से ये है मांग
किसानों ने सरकार से मांग की है कि वो किसानों को पराली निकालने के लिए यंत्र दे, जिससे किसानों के पैसे और समय दोनों की बचत होगी. किसानों ने कहा कि वो पराली जलाने को मजबूर हैं और फिलहाल उनके पास इसके अलावा कोई और तरीका नहीं है.

किसान पराली जलाने को मजबूर
किसान मनदीप ने बताया कि धान की पराली निकालने के लिए पांच से छ हजार रुपये प्रति एकड़ खर्चा आता है और वो तो पहले ही कर्जे में डूबा है. किसान ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें पराली निकालने की मशीने नहीं उपलब्ध करवाई जा रही, इसलिए किसानों को पराली में आग लगानी पड़ रही है.

Intro:फतेहाबाद में दीपावाली और उससे अगले दिन कई जगह खेतों में किसानों ने पराली कों लगाई आग, पराली जलाने से शहर में हुआ धुंआ ही धुंआ, लोगोंं को सांस लेने में करना पड़ा काफी दिक्कतों का सामना,किसान बोले- अगली फसल की बिजाई के लिए जल्दी खेत खाली करने होते हैं, बिना आग लगाये 4-6 बार करनी पड़ती है खेत की जुताई, होता है काफी खर्चा,किसान ने कहा,सरकार पराली निकालने के लिए दे यंत्र,समय और पैसे की बचत के लिए किसान खेतों में फसल के अवशेष जलाने को मजबूर, सरकार की ओर से नहीं करवाया जा रहा किसानों की समस्या का स्थाई समाधान, Body:फतेहाबाद के दीपावली और उससे अगले दिन कई इलाकों में पड़े पैमाने पर धान की पराली को आग लगाया गया, प्रशासन और सरकार चुनाव के बहाने इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और नतीजा ये है कि किसान अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों ने कहा कि अगली फसल की बिजाई के लिए खेत जल्दी खाली करने होते हैं, किसान मनदीप नथवान का कहना कि धान की पराली समस्या पिछले तीन साल से चलता आ रहा है लेकिन सरकार की और से इस मामले में कोई समाधान नही किया जा रहा, किसान मनदीप ने बताया कि धान की पराली निकालने के लिए पांच से छ हजार रूपये प्रति एकड़ खर्चा आता है और पहले ही कर्जे में डूृबा है, किसान ने बताया कि प्रशासन की और से उन्हें पराली निकालने की मशीने नही उपलब्ध करवाई जा रही इसलिए किसानों को पराली मेें आग लगानी पड़ रही है,

बाईट : किसान मनदीप नथवान, फतेहाबादConclusion:
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