ETV Bharat / state

फतेहाबाद: अगर पराली जलाई तो होगा धारा 188 के तहत केस दर्ज - फतेहाबाद पराली प्रदूषण

धान के सीजन में पराली ना जलाने को लेकर फतेहाबाद के डीसी ने किसानों के लिए आदेश जारी किए हैं. साथ ही किसानों को जागरूक करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की.

stubble burning ban in fatehabad
फतेहाबाद पराली प्रदूषण
author img

By

Published : Sep 29, 2020, 5:23 PM IST

फतेहाबाद: डीसी डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने जिले में धान की फसल की कटाई के बाद बचे उसके अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके लिए उन्होंने आदेश जारी कर दिए हैं. ये आदेश आगामी 5 दिसंबर 2020 तक जारी रहेंगे. जारी आदेशों में डीसी ने बताया गया है कि अक्सर किसानों द्वारा धान की फसल की कटाई के बाद बचे हुए उसके अवशेषों को जला दिया जाता है. जिससे वायु प्रदूषण होता है.

अगर पराली जलाई तो होगा धारा 188 के तहत केस दर्ज

इन अवशेषों के जलने से होने वाले प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य और जमीन की उर्वरता शक्ति के कम होने की संभावना रहती है. जबकि इन अवशेषों से पशुओं के लिए तूड़ा बनाया जा सकता है और इसके जलाने से चारे की भी कमी हो जाती है. अगर किसान अवशेषों को नहीं जलाएंगे तो चारे की कमी भी नहीं होगी. इसी के चलते फतेहाबाद जिले में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.

डीसी ने कहा कि इन आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है कि तो भारतीय दंड संहिता की धारा-188, संगठित वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम-1981 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. डीसी डॉ. नरहरि सिंह बांगड ने कहा कि अगर फिर भी किसान के द्वारा गेहूं की पराली जलाई जाती है तो खेत मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा.

ये भी पढ़ें:-गुहला चीका: डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

फतेहाबाद: डीसी डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने जिले में धान की फसल की कटाई के बाद बचे उसके अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके लिए उन्होंने आदेश जारी कर दिए हैं. ये आदेश आगामी 5 दिसंबर 2020 तक जारी रहेंगे. जारी आदेशों में डीसी ने बताया गया है कि अक्सर किसानों द्वारा धान की फसल की कटाई के बाद बचे हुए उसके अवशेषों को जला दिया जाता है. जिससे वायु प्रदूषण होता है.

अगर पराली जलाई तो होगा धारा 188 के तहत केस दर्ज

इन अवशेषों के जलने से होने वाले प्रदूषण से मनुष्य के स्वास्थ्य और जमीन की उर्वरता शक्ति के कम होने की संभावना रहती है. जबकि इन अवशेषों से पशुओं के लिए तूड़ा बनाया जा सकता है और इसके जलाने से चारे की भी कमी हो जाती है. अगर किसान अवशेषों को नहीं जलाएंगे तो चारे की कमी भी नहीं होगी. इसी के चलते फतेहाबाद जिले में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है.

डीसी ने कहा कि इन आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है कि तो भारतीय दंड संहिता की धारा-188, संगठित वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम-1981 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. डीसी डॉ. नरहरि सिंह बांगड ने कहा कि अगर फिर भी किसान के द्वारा गेहूं की पराली जलाई जाती है तो खेत मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा.

ये भी पढ़ें:-गुहला चीका: डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.