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सावित्रीबाई फुले को प्ररेणा मान टोहाना में खोला गया स्कूल, पढ़े-लिखे युवा दे रहे मुफ्त शिक्षा

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Published : Jan 3, 2020, 1:13 PM IST

सावित्रीबाई फुले और भारत के संविधान के रचेता डॉ. भीमराव अंबेडकर को आदर्श मानकर टोहाना के चन्दडकला गांव में सावित्री बाई फुले एजुकेशन एकेडमी खोली गई है. जहां युवा शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहे है.

savitribai phule education academy in tohana
सावित्रीबाई फुले को प्ररेणा मान टोहाना में खोला गया स्कूल

फतेहाबाद: भारत की पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था. पूरा देश आज उन्हें उनके शिक्षा और समाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए याद कर रहा है. इस मौके पर हम आपको फतेहाबाद के टोहाना श्रेत्र के एक ऐसे स्कूल के बारे में बता रहे हैं. जहां युवा बिना वेतन लिए जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.

सावित्रीबाई फुले को प्ररेणा मान खुला स्कूल
सावित्रीबाई फुले और भारत के संविधान के रचेता डॉ. भीमराव अंबेडकर को आदर्श मानकर टोहाना के चन्दडकला गांव में सावित्री बाई फुले एजुकेशन एकेडमी खोली गई है. जहां युवा शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहे है. स्कूल में गांव के ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके युवा बिना वेतन जरूरदमंद बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

बिना वेतन बच्चों को पढ़ा रहे युवा
स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों ने बताया कि जब उन्हें शिक्षा हासिल की थी, तब उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. पैसे नहीं होने की वजह से कई बार उनकी पढ़ाई में भी बाधा आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अब वो ऐसे ही कई बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य उज्जवल करने की कोशिस कर रहे हैं.

ये भी पढ़िए: प्यार में धोखा मिला तो खोली 'बेवफा चाय' की दुकान, प्रेमी जोड़ों को मिलता है डिस्काउंट

बता दें कि स्कूल में पढ़ा रहे ज्यादातर युवा एमएससी, नेट, सीटेट और गेट कवालीफाईड हैं, बावजूद सरकारी नौकरी लगने के बाद भी इन युवाओं ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का ये नेक काम चुना है.

कौन हैं सावित्रीबाई फूले ?

1831 में भारत में पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था. सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रय जाता है. उन्होंने ये उपलब्धि ऐसे समय में पाई थी जब महिलाओं को पर्दे में रखा जाता था, लेकिन उनके पति ज्योतिराव फुले के सहयोग के कारण उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई की बल्कि देश की महिलाओं को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.

फतेहाबाद: भारत की पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था. पूरा देश आज उन्हें उनके शिक्षा और समाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए याद कर रहा है. इस मौके पर हम आपको फतेहाबाद के टोहाना श्रेत्र के एक ऐसे स्कूल के बारे में बता रहे हैं. जहां युवा बिना वेतन लिए जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.

सावित्रीबाई फुले को प्ररेणा मान खुला स्कूल
सावित्रीबाई फुले और भारत के संविधान के रचेता डॉ. भीमराव अंबेडकर को आदर्श मानकर टोहाना के चन्दडकला गांव में सावित्री बाई फुले एजुकेशन एकेडमी खोली गई है. जहां युवा शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहे है. स्कूल में गांव के ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके युवा बिना वेतन जरूरदमंद बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं.

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बिना वेतन बच्चों को पढ़ा रहे युवा
स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों ने बताया कि जब उन्हें शिक्षा हासिल की थी, तब उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. पैसे नहीं होने की वजह से कई बार उनकी पढ़ाई में भी बाधा आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अब वो ऐसे ही कई बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य उज्जवल करने की कोशिस कर रहे हैं.

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बता दें कि स्कूल में पढ़ा रहे ज्यादातर युवा एमएससी, नेट, सीटेट और गेट कवालीफाईड हैं, बावजूद सरकारी नौकरी लगने के बाद भी इन युवाओं ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का ये नेक काम चुना है.

कौन हैं सावित्रीबाई फूले ?

1831 में भारत में पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था. सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रय जाता है. उन्होंने ये उपलब्धि ऐसे समय में पाई थी जब महिलाओं को पर्दे में रखा जाता था, लेकिन उनके पति ज्योतिराव फुले के सहयोग के कारण उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई की बल्कि देश की महिलाओं को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.

Intro:सावित्री बाई फुले जयंती पर विशेष -

महापुरूषों को आर्दश मानकर जिला फतेहाबाद के उमपण्डल टोहाना के गांव चन्दडकला के युवा शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहे है यहां पर गांव के उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के द्वारा बिना किसी वेतन के गांव के जरूरदमंद बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है जिससे यहां के बच्चे सन्तुष्ट नजर आते है। जो बच्चे पढने के लिए शहर नहीं जा सकते ज्यादा पैसे नहीं ख्शिक्षा पर खर्च कर सकते उनके कार्य उनके उज्जवल भविष्य के लिए यह आशा की किरण है।
Body:जहां आज प्रदेश का युवा चमक धमक व नशे का शिकार हो जाता है ऐसे में जिला फतेहाबाद के उमपण्डल टोहाना के गांव चन्दडकला के प्रगतिशील तबके लिए उममीद का दीपक लिए नजर आते है। यहां के युवाओं ने खुद शिक्षा प्राप्त करने के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ा कोई योग्य मार्गदर्शक नहीं मिला मंहगी शिक्षा के लिए शहर का रूख करना पड़ता था ऐसे में जब ये युवा खुद उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके तो उनके मन आया वो अपनी तरह किसी को दिक्कत का सामना नहीं करने देगे।

तब गांव के कुछ युवाओं ने देश की प्रथम महिला शिक्षक सावित्री बाई फुले का आर्दश मानते है, सविधान निर्माता भारत रत्न भीमराव अंबेडकर की शिक्षाओं को मानते हुए गांव में माता सावित्री बाई फुले एजुकेशन एकडमी को स्थापित किया गया। इसमें पढाने वाले युवा किसी भी तरह का वेतन यहां से नहीं लेते किसी भी तरह का जो सहयोग मिलता है उसे यहां पर विद्यार्थियों पर ही खर्च कर दिया जाता है।

सन्तुष नजर आते है शिक्षा प्राप्त करने वाले -
समाज सेवा को समर्पित माता सावित्री बाई फुले एजुकेशन एकडमी में आज पढ रहे बच्चे यहां की शिक्षा से बेहद सन्तुष्ट नजर आते है। यहां न केवल बच्चों को रूगुलर पढाई की तैयारी करवाई जाती है ब्लकि यहां पर बच्चों को प्रतियोगिताओ के लिए तैयार किया जाता है।

योग्य शिक्षक बच्चों को दे रहे है शिक्षा -
इस सामाजिक सरोकर से वो युवा जुडे जिन्होनें खुद पढाई के दौरान दिक्कत सहन की आज यहां पर एम एस सी कमैस्ट्री, नेट कवालीफाई, गेट कवालीफाईड, सी टेट कवालीफाईड कुलदीप सिंह जैसे युवा अपना योगदान दे रहे है। जो किसी तरह का कोई भी वेतन यहां से नहीं ले रहे बल्कि यहां की जरूरतों के मुताबिक सहयोग देने का
काम ही करते है।

Conclusion:बाईट - बिना किसी वेतन के शिक्षा दे रहे युवा ।
बाईट - शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चे।
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