फतेहाबाद: भारत की पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था. पूरा देश आज उन्हें उनके शिक्षा और समाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए याद कर रहा है. इस मौके पर हम आपको फतेहाबाद के टोहाना श्रेत्र के एक ऐसे स्कूल के बारे में बता रहे हैं. जहां युवा बिना वेतन लिए जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं.
सावित्रीबाई फुले को प्ररेणा मान खुला स्कूल
सावित्रीबाई फुले और भारत के संविधान के रचेता डॉ. भीमराव अंबेडकर को आदर्श मानकर टोहाना के चन्दडकला गांव में सावित्री बाई फुले एजुकेशन एकेडमी खोली गई है. जहां युवा शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहे है. स्कूल में गांव के ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके युवा बिना वेतन जरूरदमंद बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं.
बिना वेतन बच्चों को पढ़ा रहे युवा
स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों ने बताया कि जब उन्हें शिक्षा हासिल की थी, तब उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. पैसे नहीं होने की वजह से कई बार उनकी पढ़ाई में भी बाधा आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अब वो ऐसे ही कई बच्चों को पढ़ाकर उनका भविष्य उज्जवल करने की कोशिस कर रहे हैं.
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बता दें कि स्कूल में पढ़ा रहे ज्यादातर युवा एमएससी, नेट, सीटेट और गेट कवालीफाईड हैं, बावजूद सरकारी नौकरी लगने के बाद भी इन युवाओं ने जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने का ये नेक काम चुना है.
कौन हैं सावित्रीबाई फूले ?
1831 में भारत में पहली महिला शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सावित्रीबाई फुले का जन्म आज ही के दिन हुआ था. सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका होने का श्रय जाता है. उन्होंने ये उपलब्धि ऐसे समय में पाई थी जब महिलाओं को पर्दे में रखा जाता था, लेकिन उनके पति ज्योतिराव फुले के सहयोग के कारण उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई की बल्कि देश की महिलाओं को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.