फतेहाबाद/टोहाना: जेजेपी विधायक देवेंद्र बबली (devender babli) की माफी का कोई खास असर किसानों पर नहीं पड़ा है. बबली ने माफी तो मांग ली, लेकिन किसान अभी भी टोहाना थाने के बाहर धरने पर बैठे हैं. रात भर किसान राकेश टिकैत (rakesh tikait), गुरनाम चढूनी और योगेंद्र यादव (yogendra yadav) के नेतृत्व में टोहाना थाने के बाहर धरने पर बैठे रहे. अब आपको बता दें कि ये धरना 2 गिरफ्तार किसान नेताओं की रिहाई को लेकर दिया जा रहा है.
इन दो किसान नेताओं की गिरफ्तारी पर मचा है बवाल
हिसार जिले के रहने वाले रवि आजाद और विकास सिन्सर पहले दिन से ही किसान आंदोलन में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. बताया जाता है कि हरियाणा में युवाओं को किसान आंदोलन में लाने का काफी क्रेडिट इनको जाता है. अब इनकी गिरफ्तारी आखिर टोहाना में कैसे हुई? टोहाना में जब देवेंद्र बबली एक कार्यक्रम में पहुंचे तो काफी संख्या में किसान पहुंचे और उनमें रवि आजाद और विकास सिंह भी थे.
![rakesh tikait protest in tohana](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12034759_ravi.jpg)
बताया गया कि रवि आजाद और विकास सिन्सर उन किसानों में शामिल थे जो देवेंद्र बबली के घर का घेराव करने गए थे. टोहाना पुलिस ने कई किसानों के साथ इनपर भी मुकदमा दर्ज किया और इन्हें गिरफ्तार किया. देवेंद्र बबली मामले में कुल 27 किसानों को गिरफ्तार किया गया और 25 को रिहा कर दिया गया. उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने भी इसमें दखल दिया.
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किसानों ने देवेंद्र बबली पर माफी मांगने का दबाव बनाया और आखिर में बबली को माफी मांगनी पड़ी. इसके बाद किसानों ने साफ कहा कि अब उनकी लड़ाई बबली से नहीं बल्कि प्रशासन से है. प्रशासन दोनों गिरफ्तार किसान नेताओं को रिहा करे. लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई पहल नहीं हुई. ऐसे में राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी और योगेंद्र यादव रात भर टोहाना थाने के बाहर धरने में बैठे रहे. टिकैत ने तो ट्वीट कर लिखा कि जब तक रिहाई नहीं होगी, वो धरने पर रहेंगे.
![rakesh tikait protest in tohana](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12034759_vikas.png)
टोहाना के घटनाक्रम की इनसाइड स्टोरी
दरसअल, माना जाता है कि रवि आजाद और विकास दोनों ही राकेश टिकैत गुट के हैं. यही कारण है कि टिकैत खुद दिल्ली और गाजीपुर बॉर्डर को छोड़ अभी टोहाना में धरने पर बैठे हैं. वहीं गुरनाम सिंह चढूनी ने बुधवार को जो बयान दिया वो भी काफी चर्चा का विषय रहा. गुरनाम चढूनी ने टोहाना में हुए बवाल पर कहा था कि जिन्होंने भी उपद्रव किया है वो उनका बहिष्कार करते हैं और जिन किसानों को पुलिस ने पकड़ा है वो उनका अपना मामला है. इससे संयुक्त किसान मोर्चे का कोई लेना-देना नहीं है.
हालांकि, बाद में संयुक्त किसान मोर्चा ने ही गिरफ्तार किसानों की रिहाई के लिए गिरफ्तारी देने की कॉल दी और इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी राकेश टिकैत और गुरनाम चढूनी को दी. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं में समन्वय की काफी कमी है.
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