फतेहाबाद: जिले के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल के अवशेष जलाए जा रहे हैं. प्रशासन और सरकार चुनाव के बहाने इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और नतीजा ये है कि किसान अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
गेहूं के अवशेष जला रहे किसान
जिले के भूना कस्बे के लहरियां, दहमन, हसंगा सहित कई गांवों में गेहूं के अवशेष जलाने की तस्वीरें सामने आई हैं. किसानों की मानें तो गेहूं के अवशेष जलाने के पीछे उनकी कई मजबूरियां हैं. समय पर अगली फसल की बिजाई के लिए खेत जल्दी खाली करने होते हैं, तो वहीं आग लगाए बिना खेत में बचे गेहूं के अवशेष मिट्टी में मिलने के लिए उन्हें 4 से 5 बार खेत की जुताई करनी पड़ती है और इसमें काफी खर्चा आता है.
समय और पैसे की बचत
किसानों का कहना है कि उन्हें खेत में फसल अवशेष जलाकर केवल 2 बार ही खेत की जुताई करनी पड़ती है. इससे समय और पैसा दोनों की बचत होती है.
सेटेलाइट के माध्यम से रखी जा रही नजर
वहीं इस मामले में कृषि विभाग के एसडीओ भीम सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों की निशानदेही के लिए गांव स्तर पर टीम गठित की गई है. जिसमें पटवारी और ग्राम सचिव को शामिल किया गया है. वहीं कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट के माध्यम से भी नजर रखी जा रही है.