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पराली जलाने वाले किसानों पर NGT करेगा कार्रवाई

एनजीटी के आदेशों की अवहेलना करते हुए जिले के कई गांवों में पराली जलाई जा रही है. जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है.

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Published : May 16, 2019, 3:46 PM IST

पराली जलाने को मजबूर किसान

फतेहाबाद: जिले के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल के अवशेष जलाए जा रहे हैं. प्रशासन और सरकार चुनाव के बहाने इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और नतीजा ये है कि किसान अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

गेहूं के अवशेष जला रहे किसान
जिले के भूना कस्बे के लहरियां, दहमन, हसंगा सहित कई गांवों में गेहूं के अवशेष जलाने की तस्वीरें सामने आई हैं. किसानों की मानें तो गेहूं के अवशेष जलाने के पीछे उनकी कई मजबूरियां हैं. समय पर अगली फसल की बिजाई के लिए खेत जल्दी खाली करने होते हैं, तो वहीं आग लगाए बिना खेत में बचे गेहूं के अवशेष मिट्टी में मिलने के लिए उन्हें 4 से 5 बार खेत की जुताई करनी पड़ती है और इसमें काफी खर्चा आता है.

क्लिक कर देखें वीडियो

समय और पैसे की बचत
किसानों का कहना है कि उन्हें खेत में फसल अवशेष जलाकर केवल 2 बार ही खेत की जुताई करनी पड़ती है. इससे समय और पैसा दोनों की बचत होती है.

सेटेलाइट के माध्यम से रखी जा रही नजर
वहीं इस मामले में कृषि विभाग के एसडीओ भीम सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों की निशानदेही के लिए गांव स्तर पर टीम गठित की गई है. जिसमें पटवारी और ग्राम सचिव को शामिल किया गया है. वहीं कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट के माध्यम से भी नजर रखी जा रही है.

फतेहाबाद: जिले के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल के अवशेष जलाए जा रहे हैं. प्रशासन और सरकार चुनाव के बहाने इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और नतीजा ये है कि किसान अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

गेहूं के अवशेष जला रहे किसान
जिले के भूना कस्बे के लहरियां, दहमन, हसंगा सहित कई गांवों में गेहूं के अवशेष जलाने की तस्वीरें सामने आई हैं. किसानों की मानें तो गेहूं के अवशेष जलाने के पीछे उनकी कई मजबूरियां हैं. समय पर अगली फसल की बिजाई के लिए खेत जल्दी खाली करने होते हैं, तो वहीं आग लगाए बिना खेत में बचे गेहूं के अवशेष मिट्टी में मिलने के लिए उन्हें 4 से 5 बार खेत की जुताई करनी पड़ती है और इसमें काफी खर्चा आता है.

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समय और पैसे की बचत
किसानों का कहना है कि उन्हें खेत में फसल अवशेष जलाकर केवल 2 बार ही खेत की जुताई करनी पड़ती है. इससे समय और पैसा दोनों की बचत होती है.

सेटेलाइट के माध्यम से रखी जा रही नजर
वहीं इस मामले में कृषि विभाग के एसडीओ भीम सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों की निशानदेही के लिए गांव स्तर पर टीम गठित की गई है. जिसमें पटवारी और ग्राम सचिव को शामिल किया गया है. वहीं कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट के माध्यम से भी नजर रखी जा रही है.



फतेहाबाद (हरियाणा) :  

हैडलाइन : खेतों में फसल अवशेष जला रहे किसान, किसान ने बताई मजबूरी, सरकार और प्रशासन हैं मौन


एंकर : फतेहाबाद जिले में कई जगह खेतों में गेहूं के अवशेष जला रहे किसान, जिले के भूना, रतिया, फतेहाबाद इलाकों से सामने आईं तस्वीरें, किसान बोले- अगली फसल की बिजाई के लिए जल्दी खेत खाली करने होते हैं, बिना आग लगाये 4-6 बार करनी पड़ती है खेत की जुताई, होता है काफी खर्चा, आग लगाने के बाद केवल 2 बार जुताई में ही चल जाता है काम, समय और पैसे की बचत के लिए किसान खेतों में फसल के अवशेष जलाने को मजबूर, सरकार की ओर से नहीं करवाया जा रहा किसानों की समस्या का स्थाई समाधान, कृषि विभाग के एसडीओ बोले गांव स्तर पर पराली जलाने वालों की निशानदेही करने के लिए बनाई गई है टीम, सेटेलाइट के माध्यम से ली जा रही है तस्वीरें, किसानों को जल्द जारी किए जाएंगे नोटिस। 

वॉइस : फतेहाबाद के कई इलाकों में पड़े पैमाने पर गेहूं की फसल के अवशेष जलाए जा रहे हैं। प्रशासन और सरकार चुनाव के बहाने इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं और नटीजा ये है कि किसान अपनी सुविधा के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। फतेहाबाद जिले की बात करें तो जिले के भूना कस्बे के लहरियाँ, दहमन, हसंगा, भूना सहित काफी गांवो में गेहूं के अवशेष जलाने की तस्वीरें सामने आई हैं। वहीं जिले में फतेहाबाद, रतिया और टोहाना इलाकों के भी काफी जगहों पर गेहूं के अवशेष जलाए जाने की जानकारी मिली है। किसानों की मानें तो गेहूं के अवशेष जलाने के पीछे उनकी कई मजबूरियां हैं। समय पर अगली फसल की बिजाई के लिए खेत जल्दी खाली करने होते हैं, तो वहीं आग लगाए बिना खेत मे बचे गेहूं के अवशेष मिट्टी में मिलने के लिए उन्हें 4 से 5 बार खेत की जुताई करनी पड़ती है और इसमें काफी खर्चा आता है। इसलिए खेत मे फसल अवशेष जलाकर उन्हें केवल 2 बार ही खेत की जुताई करनी पड़ती है। इससे समय और पैसा दोनों की बचत होती है। दूसरी तरफ किसानों की सरकार द्वारा सब्सिडी पर दी जाने वाली हैप्पीसीडर जैसी मशीनो की सुविधा के लिए किसानों को लम्बी-चौड़ी कागजी और विभागीय प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है तो किसान इन सब से बचने के लिए ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा।
वाईस
वहीं इस मामले में कृषि विभाग के एसडीओ भीम सिंह ने बताया कि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों की निशानदेही के लिए गांव स्तर पर टीमे बनाई गई है। जिसमें पटवारी और ग्राम सचिव को शामिल किया गया है। वहीं कृषि विभाग की ओर से पराली जलाने वाले किसानों पर सेटेलाइट के माध्यम से भी नजर रखी जा रही है। सेटेलाइट से पराली जलाने वाले खेतों की तस्वीर ली जाएगी और उसके बाद गांव स्तर पर बनाई गई टीम के हवाले से नोटिस जारी किसानों को किए जाएंगे। पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। 

बाईट : चांदीराम किसान।

बाईट : जोगिंदर किसान।
बाईट- कृषि विभाग के एसडीओ भीम सिंह


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