फतेहाबाद: टोहाना में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. जब यहां के नागरिक अस्पताल की मासिक सारणी की जांच की गई तो पाया गया कि यहां के अधिकतर पुरूष नशे की लत के वजह से इस बीमारी की चपेट में है.
कैंसर के मरीजों की बढ़ रही संख्या
इस पूरे मसले को गंभीर बताते हुए ENT स्पेशलिस्ट डॉ. रीतू गुप्ता ने बताया कि उनके पास महीने भर में करीब 250 मरीज इलाज कराने आते हैं. जिसमें से 7 से 10 मरीज कैंसर की बीमारी से पीड़ित होते है.
ज्यादातर पुरुष कैंसर से पीड़ित
डॉक्टर रीतू ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण पुरुषों में ज्यादा पाए जाते हैं. जिसका कारण है हुक्का, तंबाकू और शराब. इन आदतों की लत की वजह ज्यादातर पुरुष कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं.
अव्यवस्था की भेंट चढ़ी कैंसर सेल खोलने की घोषणा
आपको बता दें कि हर साल इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में 20 फीसद तक का इजाफा हो रहा है. ऐसी ही स्थिति रही तो भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. इसका सबसे बड़ा कारण तो यह भी है कि कैंसर पीड़ितों की तादाद बढ़ रही है मगर उपचार के इंतजाम नदारद हैं. न तो चिकित्सक और न ही जांच सुविधाएं. हर जिले में कैंसर सेल खोलने की घोषणा भी अव्यवस्था की भेंट चढ़ चुकी है.
नशे से कई तरह के होते हैं कैंसर
नशे से आपको कभी भी कैंसर जैसा रोग हो सकता है और कैंसर भी एक नहीं तरह-तरह का होता है.
मुंह का कैंसर
मुंह का कैंसर आज एक आम बीमारी हो गया है. जो लोग बहुत अधिक मात्रा में गुटखा, खैनी या दूसरे नशीले पदार्थ खाते या चबाते हैं उन्हें एक निश्चित समय के बाद मुंह का कैंसर हो ही जाता है. यह बीमारी अब इतनी तेज़ी से फैल रही है और इतनी आम हो गयी है कि सिनेमा हॉल में भी फिल्म शुरु होने से पहले इसका विज्ञापन दिखाया जाता है. जिसमें उन लोगों की आपबीती दिखाई जाती है जो मुंह के कैंसर की त्रासदी झेल रहे हैं.
गले का कैंसर
मुंह के अलावा कैंसर हमारे गले को भी प्रभावित करता है. गले के कैंसर से भोजन नली प्रभावित होती है और गले की नसें फूलने लगती हैं जिस कारण गले में एक गांठ बन जाती है. समय के साथ बढ़ते-बढ़ते इस गांठ का आकार बड़ा होने लगता है. फिर इस गांठ को ऑपरेशन के माध्यम से निकाला जाता है. इस ऑपरेशन में 100 में से 40 लोगों की मौत हो जाती है क्योंकि यह इतना बढ़ चुका होता है कि व्यक्ति की मौत से ही इसका अंत होता है.
फेफड़ों का कैंसर
फेफड़े हमारे शरीर में श्वास प्रणाली को संचारित करने का काम करते हैं. फेफड़ों में जब बलगम जैसी सामान्य चीज जम जाती है तो वह हमारे पूरे शरीर को प्रभावित कर हमें परेशान करने के लिए काफी होती है. परंतु जरा सोचिए, यदि फेफड़ों की नलियों ने चलना बंद कर दिया और फेफड़े पूरी तरह से सांस नहीं ले पाएं तो क्या हो. ऐसी अवस्था में इंसान अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता.
ब्लड कैंसर
ब्लड कैंसर का नाम हम सभी ने कई बार सुना है. फिल्मों में इसका बहुत उपयोग होता है. परंतु आप यह बात जान लें कि यदि ब्लड अथवा खून का कैंसर हो जाए तो इसके रोगी को भगवान भी नहीं बचा सकता. डॉक्टर अपने हाथ खड़े कर देते हैं और इसके रोगी को एक समय दे दिया जाता है. कभी-कभी कुछ खास परिस्थितियों में इसके रोगी को बचाया भी जा सकता है. यदि रोगी का बल्ड कैंसर पहले या शुरुआती दौर का हो तो उसे बचाया जा सकता है.