फतेहाबाद: जेजेपी ने मिशन 2024 का बिगुल बजा दिया है. सोमवार को जेजेपी नेता एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला फतेहाबाद पहुंचे. इस दौरान उन्होंने दिनभर 18 कार्यक्रमों में शिरकत की. उन्होंने स्वीकार किया कि चुनावी साल आ रहा है और जेजेपी चुनावी अभियान में उतर चुकी है. समाजसेवी सतपाल अरोड़ा के निवास पर डिप्टी सीएम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पहले राजस्थान के चुनाव होंगे, फिर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने हैं.
'और मजबूत होगा संगठन': राजस्थान में भी भाजपा से गठबंधन की चर्चाएं चल रही हैं और पार्टी अपने स्तर पर भी तैयारी में जुटी है. सदस्यता अभियान भी शुरू कर दिया गया है. हरियाणा में गठबंधन के सवाल पर डिप्टी सीएम ने कहा कि पिछले साढ़े तीन साल से विपक्ष गठबंधन को तोड़ने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ये लोग गठबंधन तोड़ने की जितनी कोशिश करेंगे उतना ही गठबंधन मजबूत होता जाएगा.
चाचा पर तंज: दुष्यंत चौटाला ने इनेलो नेता अभय चौटाला की पैदल यात्रा को लेकर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि निशान सिंह ने बताया है कि कोई पैदल चल ही नहीं रहा, अगर पदयात्रा गाड़ियों में हो रही है तो इस यात्रा का औचित्य ही नहीं. उन्होंने कहा कि इनेलो और कांग्रेस गठबंधन चर्चाएं सुन रहे हैं.
'मामले में जांच की जा रही है': वहीं, जंतर मंतर पर बैठे खिलाड़ियों के धरने पर प्रतिक्रिया देते हुए दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पहले भी पार्टी की स्टेटमेंट आ चुकी है. केंद्र सरकार इस मामले में जांच करवा रही है. इस मामले में कोई रिपोर्ट अभी नहीं आई है. ये लोग रिपोर्ट आने से पहले ही धरने पर बैठ गए हैं. सरकार को इस पर गौर करना चाहिए.
चुनाव को लेकर बोले डिप्टी सीएम: विधानसभा चुनाव को लेकर डिप्टी सीएम ने कहा कि देश में सभी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव को एक साथ ही करवाना चाहिए. ताकि इससे समय की भी बचत हो सके. साथ ही पांच साल बाद अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग समय पर चुनाव होते रहते हैं. अफसरों की ड्यूटियां भी लगती हैं. इसलिए चुनाव एक साथ होने चाहिए.
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सत्यपाल मलिक पर क्या बोले दुष्यंत चौटाला; वहीं, सत्यपाल मलिक के बयानों पर डिप्टी सीएम ने कहा कि उनके बयान हरियाणा से संबंधित नहीं है, जो वे कह रहे हैं यदि ऐसी कोई बात है. तो केंद्र को संज्ञान लेना चाहिए.
ई टेंडरिंग पर बयान: वहीं, ई-टेंडरिंग पर बोलते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि आज अधिकतर ग्राम पंचायतों ने इसे अपना लिया है, यह सही है. हम भी एक पैसा अपने हाथों से नहीं देते, सारे काम टेंडर से होते हैं. पंचायत में पहले यह सामने आया है कि ठेकेदार पैसे लेकर चला जाता है और नतीजा सरपंचों को भुगतना पड़ता है. क्योंकि अथॉरिटी वे होते हैं, गड़बड़ी कोई और करे और सरपंच हर्जाना भुगते तो यह सही नहीं है.