ETV Bharat / state

गेहूं उत्पादन पर गर्मी की मार, समय से पहले बढ़े तापमान से प्रति एकड़ 6 क्विंटल का नुकसान - हरियाणा में गेहूं खरीद

उत्तर भारत समेत हरियाणा में इन दिनों प्रचंड गर्मी पड़ रही है. इस गर्मी की वजह से जन जीवन पर काफी असर पड़ा है. हरियाणा में गेहूं के उत्पादन (wheat production affected in Haryana) पर भी बढ़ते हुए तापमान का असर दिखाई दे रहा है. समय से पहले शुरू हुई गर्मी के चलते गेंहूं का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है.

wheat production affected in haryana
wheat production affected in haryana
author img

By

Published : Apr 22, 2022, 1:14 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 2:09 PM IST

फरीदाबाद: इस बार गर्मी पहले के मुकाबले ज्यादा पड़ रही है. जून-जुलाई में पड़ने वाली गर्मी का अहसास इस बार मार्च-अप्रैल महीने में ही होने लगा. बढ़ते तापमान की वजह से से ना सिर्फ इंसान परेशान है बल्कि इसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ा है. सबसे ज्यादा गेहूं की फसल पर इसका बुरा असर (temperature effect on wheat in haryana) पड़ रहा है. समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से गेंहूं की फसल जल्दी पक गई और दाना पूरा विकसित नहीं हो गया. जिसके कारण गेहूं के वजन में 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ की कमी आई है. इसका सीधा नुकसान किसान को उठाना पड़ रहा है.

एक कारण ये भी हो सकता है कि गेहूं की बिजाई के वक्त किसानों को यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ा था. मजबूरन किसानों ने बिना खाद के ही गेहूं की बिजाई की थी. वक्त पर खाद नहीं मिलने की वजह से गेहूं की फसल में दाना कम पड़ा है. किसानों के मुताबिक 30 से 35 डिग्री तापतमान में गेहूं की बालों के अंदर जो दूधिया दाना होता है. वो धीरे-धीरे से अच्छा पकता है. जिससे गेहूं का वजन भी अच्छा बैठता है, लेकिन इस बार अप्रैल में 42 डिग्री तक तापमान पहुंच गया. जिससे कि दूधिया दाना सिकुड़ गया और गेहूं का वजन कम हो गया. अप्रैल ही नहीं ब्ल्कि मार्च के महीने में भी तापमान सामान्य से ज्यादा रहा है. जिसका बुरा असर गेहूं की फसल पर पड़ा है.

गेहूं की फसल पर बढ़ते तापमान का असर, प्रति एकड़ 6 क्विंटल कम हुआ उत्पादन

कृषि विशेषज्ञ महावीर मलिक ने बताया कि तापमान सामान्य से कहीं अधिक होने के कारण बाल के अंदर जो दाना था वो सिकुड़ना शुरू हो गया, क्योंकि जब बाल के अंदर कच्चा दाना होता है और तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है तो वो दाना सिकुड़ना शुरू हो जाता है. जिससे उसका वजन भी कम हो जाता है. मार्च महीने में बढ़े हुए तापमान के चलते दाना सिकुड़ गया और उसका वजन भी कम (wheat production affected in haryana) हो गया. जिसका सीधा असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ा है. जो किसान 1 एकड़ में पहले करीब 22 क्विंटल का उत्पादन कर रहा था. उस किसान के खेत में अब 17 क्विंटल तक ही गेहूं का उत्पादन हो पाया है. एक एकड़ में किसान को लगभग 5 से 6 क्विंटल गेहूं का नुकसान हुआ है.

wheat production affected in haryana
इस बार अनाज मंडियों में गेहूं की फसल पहले के मुकाबले कम पहुंच रही है.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि साल 2010 में भी इसी तरह से गर्मी पड़ी थी. मार्च के महीने में ही तापमान बढ़ जाने के कारण गेहूं की फसल पक कर तैयार हो गई थी. उस वक्त भी गेहूं के वजन में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि रसायनिक खाद की कमी के चलते किसानों की गेहूं की बिजाई भी देरी से हो पाई. जिन इलाकों में समय से फसल की बिजाई हो चुकी थी, उन इलाकों में बढ़े हुए तापमान का ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिला. अगर हरियाणा में भी समय पर फसल की बिजाई हो जाती तो शायद बढ़े हुए तापमान का इतना असर देखने को नहीं मिलता.

wheat production affected in haryana
बढ़े तापमान की वजह से गेहूं की फसल में दाना सूख गया है.

वहीं किसानों ने बताया कि मार्च और अप्रैल के महीने में ही गर्मी के ज्यादा बढ़ जाने से गेहूं के वजन में भारी गिरावट (temperature effect on wheat in haryana) आई है. जिसका सीधा नुकसान उनको आर्थिक तौर से उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि गर्मी के ज्यादा बढ़ जाने से करीब 20 दिन पहले ही गेहूं की कटाई करनी पड़ी और गेहूं की बाल के अंदर पड़ा दाना बेहद हल्का रह गया. जिस वजह से गेहूं की फसल के वजन में करीब 6 क्विंटल तक कि कमी देखी जा रही है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

फरीदाबाद: इस बार गर्मी पहले के मुकाबले ज्यादा पड़ रही है. जून-जुलाई में पड़ने वाली गर्मी का अहसास इस बार मार्च-अप्रैल महीने में ही होने लगा. बढ़ते तापमान की वजह से से ना सिर्फ इंसान परेशान है बल्कि इसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ा है. सबसे ज्यादा गेहूं की फसल पर इसका बुरा असर (temperature effect on wheat in haryana) पड़ रहा है. समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से गेंहूं की फसल जल्दी पक गई और दाना पूरा विकसित नहीं हो गया. जिसके कारण गेहूं के वजन में 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ की कमी आई है. इसका सीधा नुकसान किसान को उठाना पड़ रहा है.

एक कारण ये भी हो सकता है कि गेहूं की बिजाई के वक्त किसानों को यूरिया और डीएपी खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ा था. मजबूरन किसानों ने बिना खाद के ही गेहूं की बिजाई की थी. वक्त पर खाद नहीं मिलने की वजह से गेहूं की फसल में दाना कम पड़ा है. किसानों के मुताबिक 30 से 35 डिग्री तापतमान में गेहूं की बालों के अंदर जो दूधिया दाना होता है. वो धीरे-धीरे से अच्छा पकता है. जिससे गेहूं का वजन भी अच्छा बैठता है, लेकिन इस बार अप्रैल में 42 डिग्री तक तापमान पहुंच गया. जिससे कि दूधिया दाना सिकुड़ गया और गेहूं का वजन कम हो गया. अप्रैल ही नहीं ब्ल्कि मार्च के महीने में भी तापमान सामान्य से ज्यादा रहा है. जिसका बुरा असर गेहूं की फसल पर पड़ा है.

गेहूं की फसल पर बढ़ते तापमान का असर, प्रति एकड़ 6 क्विंटल कम हुआ उत्पादन

कृषि विशेषज्ञ महावीर मलिक ने बताया कि तापमान सामान्य से कहीं अधिक होने के कारण बाल के अंदर जो दाना था वो सिकुड़ना शुरू हो गया, क्योंकि जब बाल के अंदर कच्चा दाना होता है और तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है तो वो दाना सिकुड़ना शुरू हो जाता है. जिससे उसका वजन भी कम हो जाता है. मार्च महीने में बढ़े हुए तापमान के चलते दाना सिकुड़ गया और उसका वजन भी कम (wheat production affected in haryana) हो गया. जिसका सीधा असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ा है. जो किसान 1 एकड़ में पहले करीब 22 क्विंटल का उत्पादन कर रहा था. उस किसान के खेत में अब 17 क्विंटल तक ही गेहूं का उत्पादन हो पाया है. एक एकड़ में किसान को लगभग 5 से 6 क्विंटल गेहूं का नुकसान हुआ है.

wheat production affected in haryana
इस बार अनाज मंडियों में गेहूं की फसल पहले के मुकाबले कम पहुंच रही है.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि साल 2010 में भी इसी तरह से गर्मी पड़ी थी. मार्च के महीने में ही तापमान बढ़ जाने के कारण गेहूं की फसल पक कर तैयार हो गई थी. उस वक्त भी गेहूं के वजन में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि रसायनिक खाद की कमी के चलते किसानों की गेहूं की बिजाई भी देरी से हो पाई. जिन इलाकों में समय से फसल की बिजाई हो चुकी थी, उन इलाकों में बढ़े हुए तापमान का ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिला. अगर हरियाणा में भी समय पर फसल की बिजाई हो जाती तो शायद बढ़े हुए तापमान का इतना असर देखने को नहीं मिलता.

wheat production affected in haryana
बढ़े तापमान की वजह से गेहूं की फसल में दाना सूख गया है.

वहीं किसानों ने बताया कि मार्च और अप्रैल के महीने में ही गर्मी के ज्यादा बढ़ जाने से गेहूं के वजन में भारी गिरावट (temperature effect on wheat in haryana) आई है. जिसका सीधा नुकसान उनको आर्थिक तौर से उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि गर्मी के ज्यादा बढ़ जाने से करीब 20 दिन पहले ही गेहूं की कटाई करनी पड़ी और गेहूं की बाल के अंदर पड़ा दाना बेहद हल्का रह गया. जिस वजह से गेहूं की फसल के वजन में करीब 6 क्विंटल तक कि कमी देखी जा रही है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

Last Updated : Apr 22, 2022, 2:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.