फरीदाबाद: लॉकडाउन में जनता को घर की दहलीज तक रोकने का काम अब गर्मी कर रही है. दिन-प्रतिदिन गर्मी का रौद्र रूप दिखने को मिल रहा है. बढ़ती गर्मी में अब लोगों को पानी की किल्लत भी शुरू हो गई है. जिसकी पूर्ति के लिए अब पानी के टैंकरों की मांग बढ़ गई है. प्रशासन के दावे और वाटर स्पलाई दोनों दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. एक तरफ लोगों पर लॉकडाउन की मार है तो दूसरी तरफ पानी का संकट उनके लिए बड़ी समस्या बनकर उभरा है.
स्थानीय लोग खुद के पैसे से निजी टैंकर को खरीदकर पानी की आपूर्ति कर रहे हैं. फरीदाबाद की बल्लभगढ़, एनआईटी और बड़खल विधानसभा में पीने के पानी की समस्या ज्यादा है. इन इलाकों में जमीन से निकलने वाला पानी नमकीन यानी खारा होता है. जिसकी वजह से लोग टैंकर के जरिए अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं.
टैंकरों से सप्लाई होने वाले पानी की कीमत अलग-अलग है. पानी के टैंकर में लगभग 4000 लीटर से लेकर 5000 लीटर तक पानी आता है. इस पानी को बर्तन के साइज के हिसाब से बेचा जाता है. जैसे 5 रुपये में 10 लीटर की केन, 10 रुपये में 20 लीटर वाली केन, और इससे बड़े ड्रम 40 रुपये तक भरे जाते हैं. फरीदाबाद में कुल पानी की जरूरत 350 एमएलडी है, लेकिन केवल ढाई सौ एमएलडी के करीब ही पानी उपलब्ध हो पा रहा है.
फरीदाबाद में इस समय 1 हजार से भी ज्यादा निजी वाटर टैंकर पानी की सप्लाई पब्लिक और इंडस्ट्रीज के लिए कर रहे हैं. फरीदाबाद में उपलब्ध होने वाले पानी का करीब 100 एमएलडी हिस्सा इंडस्ट्रीज और कंस्ट्रक्शन साइट को जाता है. एनआईटी विधानसभा की रहने वाली महिला ने बताया की उनका परिवार पीने के पानी के लिए रोजाना करीब 100 रुपये खर्च कर रहा है.
फरीदाबाद नगर निगम के अधीक्षक अभियंता बीके कर्दम ने इस बारे में कहा कि एक व्यक्ति को 135 लीटर पानी देने का नियम है, लेकिन वक्त के साथ फरीदाबाद की जनसंख्या भी बढ़ गई है. फरीदाबाद में पानी की सप्लाई के लिए 1743 ट्यूबवेल लगाए गए हैं और 11 रेनीवेल कुआं उनके पास हैं. जिनसे पानी सप्लाई किया जाता है.
ये भी पढ़ें- 'मेरा पानी मेरी विरासत' पर बोले कृषि मंत्री- किसानों को भड़का रहा है विपक्ष
गर्मी के मौसम में बिजली के बार-बार कटों की वजह से लोगों को पीने के पानी की सप्लाई में दिक्कत आती है. इसके अलावा वो टैंकरों से भी पानी सप्लाई कर आते हैं. पानी की सबसे ज्यादा सप्लाई एनआईटी विधानसभा और बड़खल में की जाती है. उन्होंने कहा कि पानी की खपत को पूरा करने के लिए वो अवैध रूप से चलाए जाने वाले आरो प्लांट और बड़े समर्सिबल कनेक्शनों को काट रहे हैं. नगर निगम के अधिकारी भले ही पानी सप्लाई का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि प्रशासन लोगों के लिए पानी का इंतजाम करना भूल ही गया.