फरीदाबाद: हरियाणा का स्मार्ट शहर फरीदाबाद इन दिनों अवारा पशुओं की मार झेल रहा है. सड़क पर घूमते ये अवारा पशु कब किसकी जिंदगी पर आफत बन जाए कुछ पता नहीं. ये शहर हरियाणा के बड़े शहरों में शुमार होता है और इस शहर की गौशालाओं पर भी करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन सड़क पर मस्ती में घूमते आवारा पशुओं को देखकर तो ऐसा ही लगता है जैसे प्रशासन इस समस्या को लेकर सुस्त बैठा है.
आवारा पशु बने स्मार्ट सिटी की समस्या
बता दें कि, इन आवारा पशुओं की वजह से आए दिन सड़क दुर्घटनाएं भी होती है. इसके बाद भी नगर निगम प्रशासन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है. नगर निगम अधिकारियों की मानें तो उनके पास इन पशुओं को पकड़कर रखने के लिए कोई जगह नहीं है. जिस कारण इन पशुओं को पकड़ने का कोई अभियान चलाने में भी नहीं चलाया जा रहा है.
किया गया था आवारा पशु मुक्त जिला
गौरतलब है कि साल 2017 में फरीदाबाद को आवारा पशुओं से मुक्त करने के लिए अभियान भी चलाया गया था. इस अभियान के बाद स्मार्ट सिटी को आवारा पशु मुक्त भी घोषित कर दिया गया था, लेकिन ये घोषणा सच्चाई से काफी परे है, क्योंकि तस्वीरे साफ बता रही हैं कि फरीदाबाद को आवारा पशु से मुक्त करने के लिए सिर्फ खानापूर्ति ही हुई है.
दावों में नहीं दिखी सच्चाई
स्वयंसेवी संगठनों की मानें तो फरीदाबाद में इस समय आवारा पशुओं की संख्या 10 हजार से ज्यादा है और ये सभी सड़कों पर मस्त होकर घूमते हैं, जिससे सड़क दुर्घटना होती रहती है. पहली बार में पशु छुड़ाने पर 5100 रुपये, दूसरी बार में 7500 रुपये और तीसरी बार में 10 हजार रुपये का जुर्माना पशुपालक से वसूला जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. साथ ही नगर निगम अधिनियम-1994 की धारा- 332 के तहत कार्रवाई किए जाने का भी प्रावधान है.
गौशाला में नहीं है जगह
फरीदाबाद में तीन गौशालाओं को नगर निगम मदद करता है, लेकिन उन तीनों ही गौशालाओं में पशु पहले से ही हैं. इसलिए सड़क पर घूम रहे आवारा पशु को अंदर नहीं रखा जा सकता है. नगर निगम की तरफ से इसमें मंवई गौशाला को करीब 6 लाख रुपये प्रति माह और गोपाल गौशाला और ऊंचा गांव गौशाला को दो-दो लाख रुपये प्रतिमाह की आर्थिक मदद दी जाती है. इसके अलावा हरियाणा गाय सेवा आयोग भी इन गौशालाओं को दो-दो लाख रुपये की मदद दे चुका है. अधिकांश गौशालाएं शहर के लोगों की मदद से ही चल रही हैं. लेकिन तस्वीरे आपके सामने साफ है.
लगातार हो रहे हैं सड़क हादसे
इन आवारा पशुओं की वजह से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है और कई लोग इन पशुओं की टक्कर से घायल भी हुए है. जब ये पशु सड़क पर डेरा जमा लेते हैं तो लंबा जाम लग जाता है. ये पशु सड़क पर तो होते ही हैं इसके साथ ये पशु गली मोहल्ले में भी अपना कब्जा कर लेते हैं. जिसकी वजह से बच्चों से लेकर बुजुर्ग घर से बाहर निकलने में डरते हैं. अब ऐसे में इस समस्या हल कौन करेगा.
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