फरीदाबादः हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले सरकार के 5 सालों में करवाए गए विकास कार्यों का लेखाजोखा जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम 90 की 90 विधानसभाओं का दौरा कर रही है. इसी के तहत फरीदाबाद के बल्लभगढ़ विधानसभा में विकास कार्यों का जायजा लिया गया और लोगों से बातचीत की गई.
बता दें कि बल्लभगढ़ विधानसभा से बीजेपी के मूलचंद शर्मा विधायक हैं. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रही शारदा राठौर को हराया था. 2014 के बाद अब हरियाणा में 2019 में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव होने हैं और विधानसभा चुनावों का समय भी नजदीक आ गया है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बल्लभगढ़ विधानसभा में ग्राउंड पर जाकर लोगों से विधायक के द्वारा कराए गए विकास कार्यों के बारे में जानकारी हासिल की.
चुनावी वादों ने लूटा जनता को ?
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बल्लभगढ़ शहर की जनता ने बताया कि 2014 में उनसे भले ही बड़े-बड़े वादे किए गए हो, लेकिन उनमें से ज्यादातर वादों को पूरा नहीं किया गया. लोगों ने कहा कि बल्लभगढ़ जैसा 2014 में था, 2019 में भी वैसा ही है. जो समस्याएं जनता के सामने 2014 में थी, वही समस्याएं आज भी उनके सामने हैं.
साफ-सफाई के नाम पर बटोरी जा रही है झूठी TRP !
लोगों ने बताया कि आज भी बल्लभगढ़ में पीने लायक पानी की पर्याप्त मात्रा में सप्लाई नहीं है. जिसके चलते बल्लभगढ़ की बहुत सी जगहों पर पानी के टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता है. लोगों ने कहा कि बल्लभगढ़ शहर में चलने योग्य सड़कें तक नहीं है, हल्की सी बरसात आने पर पूरा बल्लभगढ़ शहर मानो तालाब बन जाता है. वहीं एक बुजुर्ग ने बताया कि साफ-सफाई के नाम पर अभियान चलाकर टीआरपी बटोरी जा रही है. जबकि बल्लभगढ़ शहर में साफ-सफाई बिल्कुल नहीं है.
'ना बना स्कूल और ना ही बना अस्पताल'
जनता का कहना है कि हलके में ना तो शिक्षा के ऊपर कोई काम किया गया है और ना ही अस्पतालों की कोई सुध ली गई. उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए कोई नया स्कूल बल्लभगढ़ विधानसभा में नहीं बनाया गया है और ना ही लोगों के इलाज के लिए कोई नया अस्पताल.
'आए दिन बढ़ रहा है क्राइम ग्राफ'
लोगों का कहना है कि बल्लभगढ़ क्राइम का गढ़ बन चुका है. उनके मुताबकि एक भी दिन ऐसा नहीं जाता, जिस दिन कोई अपराध ना हो. उन्होंने कहा कि विधायक ना तो मूलभूत सुविधाएं दिला पाए हैं और ना ही अपराध पर रोक लगा पाए हैं. सभी ने अपने-अपने अनुसार अपने विधायक को अलग-अलग नंबर दिए. किसी ने विधायक को पांच तो किसी ने तीन तो किसी ने दो और किसी ने तो विधायक को 10 में से 0 नंबर दिए.