फरीदाबाद: होली के सातवें दिन को शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चन की जाती है. मान्यताओं के अनुसार इस सप्तमी को पूजा करने से माता शीतला प्रसन्न होकर बच्चों को दीर्घायु का वरदान देती हैं. इसीलिए शीतला सप्तमी के दिन माता-पिता अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ के लिए मां शीतला का व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं.
शीतला सप्तमी कब है- फरीदाबाद के महंत मुनिराज ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि, 14 मार्च रात 9:27 मिनट से शुरू होकर 15 मार्च रात 8:22 तक रहेगी. वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त 15 मार्च सुबह 6:33 मिनट से लेकर शाम 6:29 मिनट तक है. महंत मुनिराज के मुताबिक इस शुभ मुहूर्त में शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
शीतला माता को क्या पसंद है- मान्यताओं के मुताबिक कि शीतला सप्तमी के दिन रात को खाना बनाया जाता है.और अगले दिन यानि शीतला अष्टमी को मां शीतला को उसी बासी खाने का भोग लगाया जाता है. बासी खाने का भोग लगाने के पीछे मान्यता ये है कि मां शीतला बच्चों में होने वाले रोग जैसे चेचक, खांसी, बुखार, इनफेक्शन और अन्य बीमारियों से निजात दिलाती हैं.
शीतलता प्रदान करती हैं मां- शीतला सप्तमी के दिन मां बच्चों को शीतलता प्रदान करती हैं, जिससे बच्चे तमाम बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं. देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में शीतला सप्तमी का उत्सव बड़े विधि विधान के साथ विशेष रूप से मनाया जाता है. हरियाणा में भी माता शीतला की पूजा अर्चना बड़ी विधि विधान से की जाती है. हरियाणा के गुरुग्राम जिले में मां शीतला का भव्य मंदिर है. वहां पर भी लोग पूजा अर्चना करते हैं. माता शीतला दुर्गा मां का शांत स्वरूप मानी जाती हैं. इसीलिए मान्यता है की मां शीतला की पूजा से जीवन में शीतलता आती है और मां बीमारियों से रक्षा करती हैं.
शीतला सप्तमी की पूजा कैसे करते हैं- महंत मुनिराज ने बताया कि माता शीतला को भोग लगाने के लिए सप्तमी रात को गन्ने के रस का खीर बनाना चाहिए और अगली सुबह माता शीतला को भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से मां अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. माता शीतला उस दिन गधे की सवारी करती हैं और हाथों में झाड़ू, सूप, कलश धारण करती हैं. मान्यताओं के अनुसार माता शीतला की पूजा करने से बच्चों को निरोग रहने का वरदान प्राप्त होता है. इसीलिए उन्हें सप्तमी के दिन ठंडे भोजन से भोग लगाया जाता है.