फरीदाबाद: करीब एक साल बाद हरियाणा में स्कूलों को खोला गया है. स्कूल भले ही खुल गए हों, लेकिन स्कूलों में आने वाले विद्यार्थियों की संख्या नाम मात्र ही रह गई है. अगर बात फरीदाबाद की करें तो यहां प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी सभी मिलाकर करीब 330 स्कूल हैं और करीब डेढ़ लाख बच्चों का दाखिला इन स्कूलों में हुआ है. कोरोना से पहले सभी स्कूलों में फुल अटेंडेंस होती थी, लेकिन अब 50 फीसदी बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं.
सेक्टर 7 के सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल रमेश चंद्र ने बताया कि ऐसे कई गरीब बच्चे हैं, जिनके अभिभावक उनसे काम करा रहे हैं. यही वजह है कि उन्हें अभिभावक दोबारा स्कूल नहीं भेज रहे हैं.
रमेश चंद्र ने ये भी कहा कि स्कूल आने से पहले बच्चों को मेडिकल रिपोर्ट जमा करनी है, लेकिन बच्चों के माता-पिता इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं क्योंकि अस्पताल में भीड़ रहती है और मां-बाप रिपोर्ट बनवाने से बच रहे हैं. ऐसे में बिना मेडिकल रिपोर्ट के बच्चे स्कूल नहीं आ सकते.
उन्होंने कहा कि बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जो लॉकडाउन में स्कूल बंद हो जाने के कारण दुकानों पर काम करने के लिए जाने लगे और अब वो वहां से काम छोड़ कर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में एजुकेशन विभाग लगातार उन बच्चों के संपर्क में है. इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जो दूसरे राज्यों के हैं, जिनके मां-बाप उन्हें लॉकडाउन में वापस घर ले गए थे, लेकिन वो भी वापस नहीं आए हैं.
50 फीसदी बच्चे ही आ रहे स्कूल
वहीं सरकारी स्कूल की अंग्रेजी की टीचर श्वेता ने बताया की लॉकडाउन से पहले क्लास बच्चों से भरी रहती थी, लेकिन अब क्लास में आधे ही बच्चे आ रहे हैं. बार-बार अभिभावकों को बोलने के बाद भी बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई का पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है और अब ऐसे में बच्चों का स्कूल में ना आना उनकी पढ़ाई को और भी खराब कर रहा है, क्योंकि ऑनलाइन माध्यम से प्रभावशाली तरीके से पढ़ाई नहीं हो सकती है.
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क्या कहना है अभिभावकों का?
अनिल नाम के अभिभावक ने बताया कि वो प्राइवेट नौकरी करते हैं. जब भी वो समय निकाल कर बच्चों की कोविड रिपोर्ट बनवाने जाते हैं तो हर बार नंबर नहीं आने की वजह से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है और जबतक कोविड रिपोर्ट नहीं बन जाती उनके बच्चों को स्कूल में एंट्री नहीं दी जाएगी. इसके अलावा वो चाहते हैं कि वो अपने बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगने के बाद ही स्कूल भेजें.
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अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो हरियाणा में पहली से पांचवी तक के बच्चों की अटेंडेंस सबसे कम है. पहली क्लास के सिर्फ 26 फीसदी बच्चे ही 1 मार्च के बाद स्कूल आए हैं. सबसे ज्यादा अटेंडेंस 10वीं और 12वीं के बच्चों की है. 10वीं के 72 फीसदी और 12वीं के 71 फीसदी बच्चे इस वक्त स्कूल आ रहे हैं.