फरीदाबाद: हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली आरती ने साल 2018-19 में कॉर्क के पेड़ की छाल से चमड़े और प्लास्टिक का स्थायी विकल्प तलाश कर उत्पाद बनाने शुरू किए. आज इस स्टॉर्टअप (Aarti startup making leather products) के जरिए आरती अपनी अलग पहचान बनाकर दूसरों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. आरती ने साल 2015 में हिमाचल नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग से डिजाइनिंग में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की जिसके बाद उन्होंने भारतीय क्राफ्ट के साथ मिलकर काम करने की शुरुआत की.
आरती ने बताया कि चमड़े से बने उत्पादों को देखकर उनको इस बात का बुरा लगा कि इनको बनाने के लिए पशुओं को मारा जाता है. इसलिए चमड़े का कोई विकल्प तलाशा जाए. जिससे पशुओं ना तो पशुओं को मारना पड़े और ना ही पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचे. इसी सोच को लेकर आरती ने रिसर्च शुरु किया. करीब दो साल की रिसर्च के बाद साल 2018-19 में आरती ने स्टार्टअप की शुरुआत (startup making leather products) की.
करीब 60 महिलाओं को दे चुकी रोजगार: आरती ने कॉर्क पेड़ की छाल से भारतीय क्राफ्ट के साथ मिलकर कई प्रकार के उत्पाद (Cork tree bark products) जैसे पर्स, बेल्ट, प्लेट, टेबल मैट, गमले और कंप्यूटर के माउस पैड को बनाया. आरती का ये आइडिया कामयाब रहा. कॉर्क के पड़े के की छाल से बने उत्पाद चमड़े की तरह दिखते हैं. इस स्टार्टअप के जरिए आरती करीब 60 महिलाओं को रोजगार दे चुकी हैं. हाउस वाइफ छोटे स्तर पर इस काम को आसानी से कर सकती हैं. 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक के बीच इस स्टार्टअप को शुरू किया जा सकता है.
आरती ने कॉर्क से ढूंढ़ा चमड़े का विकल्प: कॉर्क एक पेड़ होता है. जिसकी छाल काफी मोटी होती है. उसे उतार कर ये उत्पाद बनाए जाते हैं. ये उत्पाद पूरी तरह से शाकाहारी ब्रांड है. जो जानवरों के चमड़े और प्लास्टिक के लिए स्थाई विकल्प के तौर पर मौजूद हैं. आरती ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जब हम चमड़े से बने किसी भी उत्पाद को तैयार करते हैं, तो उसे प्रोसेस करते समय हवा, पानी और मिट्टी को भारी नुकसान पहुंचता है. जो मानवता के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है. चमड़े से कोई भी लग्जरी आइटम बनाते समय बहुत अधिक मात्रा में कार्बन उत्सर्जन होता है. जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए बहुत खतरनाक है.
अगर बात कॉर्क से बने उत्पादों की करें तो इनसे पर्यावरण को नुकसान ना के बराबर होता है. एक तो इस प्रक्रिया में किसी भी जीव को नहीं मारना पड़ता. दूसरा इसके लिए कोई पेड़ भी काटना नहीं पड़ता, क्योंकि ये उत्पाद पेड़ की छाल से तैयार किए जाते हैं. एक बार छाल उतारने के बाद 5 साल में पेड़ इसे रिग्रो कर लेता है. सबसे बड़ी बात कॉर्क से बने उत्पाद फेंकने के बाद मिट्टी में मिल जाते हैं. ये खाद का काम करते हैं. इसलिए ये पर्यावरण के लिहाज से काफी अहम हो जाते हैं.
कॉर्क के पेड़ की खासियात: कॉर्क के पेड़ पुर्तगाल और स्पेन के आसपास होते हैं. इसके लिए समुद्र के नजदीक कम गर्मी का तापमान होना चाहिए, साथ ही वातावरण में आर्द्रता होनी चाहिए. इसके उत्पाद बनाने के लिए पेड़ को काटने की जरूरत नहीं होती, बल्कि उसकी छाल उतारी जाती है और इसकी छाल उतारने के बाद वो पेड़ और अधिक मात्रा में कार्बन ऑक्साइड को अपने अंदर सोखता है. कॉर्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण मेटेरियल है. इसकी लकड़ी को हवाई जहाज तथा स्पेसक्राफ्ट में भी इस्तेमाल किया जाता है. ये वजन में बहुत ही हल्का होता है और 200 डिग्री सेल्सियस तक हीट को बर्दाश्त कर सकता है. इसमें इंसुलेशन प्रॉपर्टी होती है, साथ ही ये वाइब्रेशन और साउंड को भी एबजोर्ब करता है. पहले दवाइयों की शीशी पर कॉर्क के ही ढक्कन लगे होते थे. इसके अलावा महंगी ब्रांड की शराब की बोतल पर केवल कॉर्क का ढक्कन होता है.
आरती ने बताया कि आज वो इंडिया ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेच रही हैं. उनके बनाए गए उत्पाद की कीमत 350 रुपये से शुरू होकर 5 हजार रुपये तक है. आरती ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि अलग-अलग जगह पर उनके कार्यालय हैं. साल 2021 में उनका सालाना टर्नओवर करीब 27 लाख रुपये रहा. देश की अलग-अलग क्राफ्ट के साथ मिलकर वो विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर रही हैं. उनके उत्पाद लोगों को भी खूब पसंद आ रहे हैं. उनकी कंपनी का नाम किर्गिति डिजाइनर है. पूरी कंपनी का काम आरती अकेले देख रही हैं, जबकि उनके परिवार के अन्य सदस्य कंपनी में शेयर होल्डर के तौर पर हैं.
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