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गुर्जर के गोद लिए गांव के लोगों का छलका दर्द, बोले- ना सफाई ना बिजली, हम तो दुखी हैं

ग्रामीणों का कहना है कि 10 हजार लोग इस गांव में रहते हैं. यहां ना तो कोई बड़ा अस्पताल है. ना ही कोई कॉलेज है. गांव के चारों तरफ आज कॉलोनियां बस चुकी हैं. सड़कें टूट चुकी हैं. रास्तों पर पानी जमा है.

गुर्जर के गोद लिए गांव के लोगों की नाराजगी, बोले- ना सफाई ना बिजली, हम तो दुखी हैं
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Published : May 4, 2019, 4:24 PM IST

फरीदाबाद: ये गांव तिलपत है. इस गांव में करीब 10 हजार लोग रहते हैं. इस गांव के कर्ताधर्ता निवर्तमान सांसद कृष्ण पाल गुर्जर हैं. साल 2014 में सांसद कृष्ण पाल ने इस गांव को गोद लिया था. वैसे कहा जाता है कि इस गांव को महाभारत काल में पांडवों ने भी गोद लिया गया था. उन्होंने इस गांव को बसाया था. कृष्ण काल के समय के इस गांव की जिम्मेदारी 5 साल पहले कृष्ण पाल गुर्जर ने ली थी, लेकिन गांव की दशा और ग्रामीणों की बातों से लगता है कि सांसद महोदय ने गांव गोद तो ले लिया, लेकिन उसके बाद वो भूल गए.

रिपोर्ट देखिए-

गांव तिलपत में ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने की ग्रामीणों से बातचीत, देखिए रिपोर्ट

ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से युवा रोजगार की समस्याओं से जूझ रहे हैं. आज ज्यादातर युवा टेंपो चलाकर अपना गुजारा कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 5 सालों में सांसद उनके गांव एक या दो बार ही आए हैं. उन्होंने जब गांव गोद लिया था तो ग्रामीणों में खुशी की लहर थी. उनके गांव को गोद लेने वाला ना सिर्फ एक सांसद थे बल्कि वो एक राज्य मंत्री भी थे.

फरीदाबाद: ये गांव तिलपत है. इस गांव में करीब 10 हजार लोग रहते हैं. इस गांव के कर्ताधर्ता निवर्तमान सांसद कृष्ण पाल गुर्जर हैं. साल 2014 में सांसद कृष्ण पाल ने इस गांव को गोद लिया था. वैसे कहा जाता है कि इस गांव को महाभारत काल में पांडवों ने भी गोद लिया गया था. उन्होंने इस गांव को बसाया था. कृष्ण काल के समय के इस गांव की जिम्मेदारी 5 साल पहले कृष्ण पाल गुर्जर ने ली थी, लेकिन गांव की दशा और ग्रामीणों की बातों से लगता है कि सांसद महोदय ने गांव गोद तो ले लिया, लेकिन उसके बाद वो भूल गए.

रिपोर्ट देखिए-

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ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से युवा रोजगार की समस्याओं से जूझ रहे हैं. आज ज्यादातर युवा टेंपो चलाकर अपना गुजारा कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 5 सालों में सांसद उनके गांव एक या दो बार ही आए हैं. उन्होंने जब गांव गोद लिया था तो ग्रामीणों में खुशी की लहर थी. उनके गांव को गोद लेने वाला ना सिर्फ एक सांसद थे बल्कि वो एक राज्य मंत्री भी थे.

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