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सूरजकुंड मेला 2023: ना सोना, ना चांदी, खूबसूरत महिलाओं की नई डिमांड बनी धान की ज्वेलरी

आपने अभी तक सोना, चांदी, प्लेटनियम या फिर किसी धातू से बनी ज्वेलरी देखी या पहनी होगी. क्या कभी आपने धान से बनी ज्वेलरी देखी है. अगर नहीं तो इस रिपोर्ट में देखें कि सूरजकुंड मेले में धान की ज्वेलरी कैसे महिलाओं के आकर्षण का केंद्र बनी है.

paddy jewelery stall in surajkund
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Published : Feb 7, 2023, 2:03 PM IST

Updated : Feb 7, 2023, 2:09 PM IST

सूरजकुंड मेला 2023: ना सोना, ना चांदी, खूबसूरत महिलाओं की नई डिमांड बनी धान की ज्वेलरी

फरीदाबाद: इन दिनों फरीदाबाद में अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेला लगा हुआ है. इस मेले में कलाकारों की अनोखी कला देखने को मिल रही है. जिससे लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं. ऐसी ही एक स्टॉल है धान से बनी ज्वेलरी की. फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में धान की ज्वेलरी की स्टॉल चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां धान से बनी ज्वेलरी खूबसूरत महिलाओं को काफी पसंद आ रही हैं. बंगाल की रहने वाली पुतुल दास ने इन आभूषणों को तैयार किया है. इनमें ईयर रिंग, अंगूठी, गले का हार प्रमुख हैं.

paddy jewelery stall in surajkund
इन आभूषणों की कीमत 15 सौ रूपये तक है.

धान की ज्वेलरी: इसे बनाने में कलर, धान, लकड़ी के मोती और पेपर बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है. इन आभूषण को आप पहली नजर में देखेंगे तो आपको विश्वास नहीं होगा कि इतनी खूबसूरती और फिनिशिंग के साथ खेत में उगने वाले धान से इस तरह का अविष्कार कोई कैसे कर सकता है. मार्केट में मिलने वाले आभूषणों के अपेक्षा धान से बने आभूषण काफी आकर्षक भी हैं और सस्ते भी, ये आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा देगा और यही वजह है कि ये स्टॉल महिलाओं के आकर्षण का केंद्र बन रहा है. यहां 50 से लेकर 1500 रुपये तक ये ज्वेलरी मिल रही हैं.

paddy jewelery stall in surajkund
धान से इन आभूषणों के बनाया जाता है.

कैसे हुई शुरुआत? ईटीवी भारत से बातचीत में पुतुल दास मित्रा ने बताया कि उन्होंने साल 1998 में धान से राखी बनाई. जिसकी हर किसी ने तारीफ की. इसके बाद पुतुल ने सोचा कि क्यों ना इससे ज्वेलरी भी बनाई जाए. इसी सोच के साथ पुतुल दास ने धान से ज्वेलरी बनाने का काम शुरु किया. शुरुआत में ये कामयाब नहीं हो पाया. क्योंकि इसे कैसे मजबूत बनाना है. कैसे पेंट करना है. इनसब को जानने के लिए काफी वक्त लग गया. करीब एक साल की कड़ी मेहनत और एक्सपेरिमेंट के बाद ज्वेलरी बनकर तैयार हो गई. पुतुल ने बताया कि लोगों को उनकी बनाई हुई ये ज्वेलरी खूब पसंद आ रही है. लोग इसकी जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं.

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ईयर रिंग, अंगूठी, गले का हार हर तरह के आभूषण स्टॉल पर हैं.

15 महिलाओं को दिया रोजगार: दास ने बताया कि मेरे पास 15 महिलाएं हैं जो धान से इन आभूषणों को बनाने का काम करती हैं. उन्होंने कहा कि मैंने ही इन महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी है. उन्होंने बताया कि ये उन्हीं का ही इनोवेशन है. लिहाजा महिला कारिगरों को समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि एक गले का हार एक कारिगर दिन में दो बना लेता है. इसी तरह इयर रिंग, या फिर रिंग एक दिन में दर्जनों बन सकती है. पुतुल दास ने बताया कि ये बहुत बारीक काम है. इसलिए इसे बनाने में काफी वक्त लगता हैं. उन्होंने कहा कि ये ज्वेलरी हम ऑर्डर पर भी तैयार करते हैं. अगर कोई डिजाइन बता दें तो हम वैसा ही बनाकर दे देते हैं.

paddy jewelery stall in surajkund
इन आभूषणों को महिलाएं खूब पसंद कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया पर रील्स क्रेज से बढ़ी हरियाणवी दामण की डिमांड, दामण वाली दादी ने विदेशों तक पहुंचाई हरियाणवी संस्कृति

साल 2014 में राष्ट्रपति कर चुके सम्मानित: साल 2014 में इसी इनोवेशन की वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें प्रेसिडेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया. अब कई देशों जैस चीन, इटली, साउथ अफ्रीका में भी पुतुल दास प्रदर्शनी लगा चुकी हैं. वो एक साल में अलग-अलग देश में 5 से 6 मेलों में अपनी स्टॉल लगाती हैं. क्वालिटी की बात करें तो ये ज्वेलरी इतनी मजबूत है कि हाथ से दबाने पर ये टूटेगी नहीं. ना ही बारिश में इसका कलर जाएगा. पुतुल दास ने दावा किया उनकी ये ज्वेलरी कम से कम 5 साल तक खराब नहीं होगी. इस स्टॉर्टअप की मदद से पुतुल दास मित्रा लाखों रुपये कमा रही हैं.

सूरजकुंड मेला 2023: ना सोना, ना चांदी, खूबसूरत महिलाओं की नई डिमांड बनी धान की ज्वेलरी

फरीदाबाद: इन दिनों फरीदाबाद में अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेला लगा हुआ है. इस मेले में कलाकारों की अनोखी कला देखने को मिल रही है. जिससे लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं. ऐसी ही एक स्टॉल है धान से बनी ज्वेलरी की. फरीदाबाद के सूरजकुंड मेले में धान की ज्वेलरी की स्टॉल चर्चा का विषय बनी हुई है. यहां धान से बनी ज्वेलरी खूबसूरत महिलाओं को काफी पसंद आ रही हैं. बंगाल की रहने वाली पुतुल दास ने इन आभूषणों को तैयार किया है. इनमें ईयर रिंग, अंगूठी, गले का हार प्रमुख हैं.

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इन आभूषणों की कीमत 15 सौ रूपये तक है.

धान की ज्वेलरी: इसे बनाने में कलर, धान, लकड़ी के मोती और पेपर बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है. इन आभूषण को आप पहली नजर में देखेंगे तो आपको विश्वास नहीं होगा कि इतनी खूबसूरती और फिनिशिंग के साथ खेत में उगने वाले धान से इस तरह का अविष्कार कोई कैसे कर सकता है. मार्केट में मिलने वाले आभूषणों के अपेक्षा धान से बने आभूषण काफी आकर्षक भी हैं और सस्ते भी, ये आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा देगा और यही वजह है कि ये स्टॉल महिलाओं के आकर्षण का केंद्र बन रहा है. यहां 50 से लेकर 1500 रुपये तक ये ज्वेलरी मिल रही हैं.

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धान से इन आभूषणों के बनाया जाता है.

कैसे हुई शुरुआत? ईटीवी भारत से बातचीत में पुतुल दास मित्रा ने बताया कि उन्होंने साल 1998 में धान से राखी बनाई. जिसकी हर किसी ने तारीफ की. इसके बाद पुतुल ने सोचा कि क्यों ना इससे ज्वेलरी भी बनाई जाए. इसी सोच के साथ पुतुल दास ने धान से ज्वेलरी बनाने का काम शुरु किया. शुरुआत में ये कामयाब नहीं हो पाया. क्योंकि इसे कैसे मजबूत बनाना है. कैसे पेंट करना है. इनसब को जानने के लिए काफी वक्त लग गया. करीब एक साल की कड़ी मेहनत और एक्सपेरिमेंट के बाद ज्वेलरी बनकर तैयार हो गई. पुतुल ने बताया कि लोगों को उनकी बनाई हुई ये ज्वेलरी खूब पसंद आ रही है. लोग इसकी जमकर खरीदारी भी कर रहे हैं.

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ईयर रिंग, अंगूठी, गले का हार हर तरह के आभूषण स्टॉल पर हैं.

15 महिलाओं को दिया रोजगार: दास ने बताया कि मेरे पास 15 महिलाएं हैं जो धान से इन आभूषणों को बनाने का काम करती हैं. उन्होंने कहा कि मैंने ही इन महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी है. उन्होंने बताया कि ये उन्हीं का ही इनोवेशन है. लिहाजा महिला कारिगरों को समझाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि एक गले का हार एक कारिगर दिन में दो बना लेता है. इसी तरह इयर रिंग, या फिर रिंग एक दिन में दर्जनों बन सकती है. पुतुल दास ने बताया कि ये बहुत बारीक काम है. इसलिए इसे बनाने में काफी वक्त लगता हैं. उन्होंने कहा कि ये ज्वेलरी हम ऑर्डर पर भी तैयार करते हैं. अगर कोई डिजाइन बता दें तो हम वैसा ही बनाकर दे देते हैं.

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इन आभूषणों को महिलाएं खूब पसंद कर रही हैं.

ये भी पढ़ें- सोशल मीडिया पर रील्स क्रेज से बढ़ी हरियाणवी दामण की डिमांड, दामण वाली दादी ने विदेशों तक पहुंचाई हरियाणवी संस्कृति

साल 2014 में राष्ट्रपति कर चुके सम्मानित: साल 2014 में इसी इनोवेशन की वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें प्रेसिडेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया. अब कई देशों जैस चीन, इटली, साउथ अफ्रीका में भी पुतुल दास प्रदर्शनी लगा चुकी हैं. वो एक साल में अलग-अलग देश में 5 से 6 मेलों में अपनी स्टॉल लगाती हैं. क्वालिटी की बात करें तो ये ज्वेलरी इतनी मजबूत है कि हाथ से दबाने पर ये टूटेगी नहीं. ना ही बारिश में इसका कलर जाएगा. पुतुल दास ने दावा किया उनकी ये ज्वेलरी कम से कम 5 साल तक खराब नहीं होगी. इस स्टॉर्टअप की मदद से पुतुल दास मित्रा लाखों रुपये कमा रही हैं.

Last Updated : Feb 7, 2023, 2:09 PM IST
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