फरीदाबाद: कोविड-19 ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. लॉकडाउन और कोविड-19 के चलते अब लोगों की दिनचर्या भी बदल गई है. सड़कों पर चलने से लेकर, दुकानों में खरीदारी तक, पार्क में घूमने से लेकर, मॉल्स और सिनेमा तक सब कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा है. अब लोग साधारण जीवन जी रहे हैं. अच्छी बात ये है कि लोग अब खुद से सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं.
उद्योग, मॉल्स और सिनेमा के लिए मशहूर फरीदाबाद एनसीआर कोविड-19 के चलते वीरान सा लगने लगा है. कोविड-19 ने लोगों के काम करने तक का तरीका बदल दिया है. कभी सैकड़ों की संख्या में लोग मॉल्स आकर खरीदारी और इंजॉय करते थे. आज ये मॉल्स और क्लब वीरान पड़े हुए हैं. लोग इनकी तरफ जाने के लिए भी नहीं सोच रहे हैं.
फरीदाबाद को औद्योगिक नगरी भी कहा जाता है, लेकिन कोविड-19 की महामारी ने इस उद्योग नगरी के पहिए को भी धीमा कर दिया है. कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गई है. बिना मास्क और दूसरी सुरक्षा उपकरणों के किसी भी कंपनी में कर्मचारी को जाने की इजाजत नहीं है. कर्मचारी काम तो कर रहे हैं, लेकिन कोविड-19 के डर के साथ.
बदल गई जिंदगी!
सुबह और शाम शहर के पार्कों में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती थी. लेकिन अब शहर के पार्क भी सुनसान हैं. लोग पार्क में आते जरूर हैं लेकिन बहुत ही कम. अच्छी बात ये है कि लोग पार्क में आने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख रहे हैं. एक दूसरे से दूरी बनाकर और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोग पार्क में घूमते नजर आते हैं. कोविड-19 का असर मार्केट पर भी पड़ा है. मार्केट में आने वाले लोगों को बिना मास्क मार्केट में खरीदारी करने की इजाजत नहीं है. इसके अलावा लोग खरीदारी करते समय अपने आसपास के माहौल को देख रहे हैं. बहुत सावधानी के साथ लोग बाजार में आ रहे हैं.
सड़कों पर बिकने वाले फलों की खरीदारी को लेकर भी लोगों की सोच बदली है. अब लोग सड़क से फल खरीदने पर परहेज कर रहे हैं, जबकि पहले भारी संख्या में लोग यहीं से फलों की खरीदारी किया करते थे. ऐसे में रेहड़ी पर फल बेचने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसका असर उनपर आर्थिक तौर से भी पड़ रहा है.
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कोविड-19 से लोगों के खाने-पीने और रहन-सहन के हालातों में भारी बदलाव हुआ है. फास्ट फूड के शौकीन अब घर पर ही खाना बना कर खाना खा रहे हैं. लोगों का लाइफ स्टाइल बिल्कुल बदल गया है. सरकारी दफ्तरों में भी लोग जाने से परहेज कर रहे हैं. जहां कभी सैकड़ों लोग अपना काम कराने के लिए आते थे. आज वो सरकारी दफ्तर खाली पड़े हैं.