ETV Bharat / state

जानें कब रहेगा मोक्षदा एकादशी का व्रत, भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा करने से क्या मिलेगा लाभ

Mokshada Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी का बड़ा महत्व माना जाता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को होगी. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं.

author img

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 15, 2023, 6:32 PM IST

Updated : Dec 16, 2023, 4:23 PM IST

Mokshada Ekadashi 2023
Mokshada Ekadashi fast
मोक्षदा एकादशी के दिन मनाई जाती है गीता जयंती

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है. लोग इस दिन भगवान विष्णु की बड़ी ही आस्था के साथ पूजा करते हैं. इस बार यह तिथि 22 दिसंबर के दिन पड़ रही है. हर साल गीता जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है और हर साल यह पर्व मोक्षदा एकादशी के दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार गीता जयंती का इस बार 5160वां पावन पर्व मनाया जा रहा है.

मोक्षदा एकादशी के दिन मनाई जाती है गीता जयंती: मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा आस्था के साथ की जाती है. इस दिन अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था. जिसके चलते हर साल मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है.

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था ज्ञान: ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित महेश भैया जी ने बताया कि इस दिन सुबह उठकर स्वच्छ पानी से स्नान कर लें और पीला वस्त्र धारण करें. इसके बाद मंदिर में जाकर या घर पर ही भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें. भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं. हालांकि इस तिथि को गीता जयंती भी कहते हैं. इसी दिन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था.

पितरों को मिलता है मोक्ष: पंडित ने बताया कि मोक्षदा एकादशी के दिन पितरों को भी मुक्ति मिलती है घर में कष्ट विकार क्लेशों से मुक्ति मिलती है. मोक्षदा का नाम ही मोक्ष पाना है. यानी घर में पितृ दोष है, तो इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा पाठ करने से पितृ देवता भी प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत करना बहुत ही शुभ माना जाता है.

व्रत का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत 22 दिसंबर को होगा. एकादशी की तिथि की शुरुआत 22 दिसंबर की सुबह 8 बजकर 16 मिनट से होगी और इसकी समाप्ति 23 दिसंबर यानी अगले दिन सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर होगी. यानी 22 दिसंबर को भक्त व्रत रख सकते हैं और सुबह 8 बजे के बाद पूजा शुरू कर सकते हैं.

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि :मोक्षदा एकादशी का व्रत प्रारंभ करने से पहले व्रत से एक दिन पहले प्याज, लहसुन, बैंगन, मसूर की दाल बिल्कुल सेवन ना करें. बल्कि सादा भोजन ही करें. इसके अगले दिन सुबह उठकर स्वच्छ पानी से स्नान कर लें और पीला वस्त्र धारण करें. इसके साथ ही व्रत का संकल्प लें. बाद में शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और उनके कृष्ण अवतार दोनों की पूजा करें. पूजा करने से पहले एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान विष्णु और कृष्ण की मूर्ति स्थापना करें .

व्रत करने से खत्म होंगे पितृ दोष: अगर संभव हो तो भगवान विष्णु और कृष्ण भगवान के मंदिर में जाकर भी पूजा पाठ कर सकते हैं. इसके बाद गीता की नई पुस्तक को लाल या पीले कपड़े से लपेटकर स्थापित करें. इसके बाद उस पर मिष्ठान, पंचामृत, फल,तुलसी पत्ते अर्पित करें और घी का दिया जलाएं. उसके बाद भगवान को भोग लगाएं उसके बाद भगवान की आरती करें और पूजा संपन्न करें. अगर आप भी इस तरह से इस तिथि को पूजा पाठ करते हैं, तो आपके घर से भी पितृ दोष दूर होगा. आपके घर में सुख शांति आएगी.

ये भी पढ़ें: तुलसी विवाह करने से मिलता है कन्यादान के बराबर फल, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त, करेंगे ये छोटा सा उपाय तो संवर जाएगी जिंदगी!

ये भी पढ़ें: Papankusha Ekadashi : ऐसे करें पापांकुशा एकादशी का व्रत तो मिलेगी यमलोक से मुक्ति, जाएंगे बैकुंठ धाम

मोक्षदा एकादशी के दिन मनाई जाती है गीता जयंती

फरीदाबाद: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है. लोग इस दिन भगवान विष्णु की बड़ी ही आस्था के साथ पूजा करते हैं. इस बार यह तिथि 22 दिसंबर के दिन पड़ रही है. हर साल गीता जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है और हर साल यह पर्व मोक्षदा एकादशी के दिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार गीता जयंती का इस बार 5160वां पावन पर्व मनाया जा रहा है.

मोक्षदा एकादशी के दिन मनाई जाती है गीता जयंती: मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा आस्था के साथ की जाती है. इस दिन अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था. जिसके चलते हर साल मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है.

इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था ज्ञान: ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित महेश भैया जी ने बताया कि इस दिन सुबह उठकर स्वच्छ पानी से स्नान कर लें और पीला वस्त्र धारण करें. इसके बाद मंदिर में जाकर या घर पर ही भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें. भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं. हालांकि इस तिथि को गीता जयंती भी कहते हैं. इसी दिन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था.

पितरों को मिलता है मोक्ष: पंडित ने बताया कि मोक्षदा एकादशी के दिन पितरों को भी मुक्ति मिलती है घर में कष्ट विकार क्लेशों से मुक्ति मिलती है. मोक्षदा का नाम ही मोक्ष पाना है. यानी घर में पितृ दोष है, तो इस दिन भगवान विष्णु और भगवान श्री कृष्ण की पूजा पाठ करने से पितृ देवता भी प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए एकादशी का व्रत करना बहुत ही शुभ माना जाता है.

व्रत का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत 22 दिसंबर को होगा. एकादशी की तिथि की शुरुआत 22 दिसंबर की सुबह 8 बजकर 16 मिनट से होगी और इसकी समाप्ति 23 दिसंबर यानी अगले दिन सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर होगी. यानी 22 दिसंबर को भक्त व्रत रख सकते हैं और सुबह 8 बजे के बाद पूजा शुरू कर सकते हैं.

मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि :मोक्षदा एकादशी का व्रत प्रारंभ करने से पहले व्रत से एक दिन पहले प्याज, लहसुन, बैंगन, मसूर की दाल बिल्कुल सेवन ना करें. बल्कि सादा भोजन ही करें. इसके अगले दिन सुबह उठकर स्वच्छ पानी से स्नान कर लें और पीला वस्त्र धारण करें. इसके साथ ही व्रत का संकल्प लें. बाद में शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु और उनके कृष्ण अवतार दोनों की पूजा करें. पूजा करने से पहले एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान विष्णु और कृष्ण की मूर्ति स्थापना करें .

व्रत करने से खत्म होंगे पितृ दोष: अगर संभव हो तो भगवान विष्णु और कृष्ण भगवान के मंदिर में जाकर भी पूजा पाठ कर सकते हैं. इसके बाद गीता की नई पुस्तक को लाल या पीले कपड़े से लपेटकर स्थापित करें. इसके बाद उस पर मिष्ठान, पंचामृत, फल,तुलसी पत्ते अर्पित करें और घी का दिया जलाएं. उसके बाद भगवान को भोग लगाएं उसके बाद भगवान की आरती करें और पूजा संपन्न करें. अगर आप भी इस तरह से इस तिथि को पूजा पाठ करते हैं, तो आपके घर से भी पितृ दोष दूर होगा. आपके घर में सुख शांति आएगी.

ये भी पढ़ें: तुलसी विवाह करने से मिलता है कन्यादान के बराबर फल, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त, करेंगे ये छोटा सा उपाय तो संवर जाएगी जिंदगी!

ये भी पढ़ें: Papankusha Ekadashi : ऐसे करें पापांकुशा एकादशी का व्रत तो मिलेगी यमलोक से मुक्ति, जाएंगे बैकुंठ धाम

Last Updated : Dec 16, 2023, 4:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.