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Mahashivratri 2023: क्या आप जानते हैं भगवान शिव के दो नहीं बल्कि चार पुत्र हैं, जानिए उनके नाम - फरीदाबाद धार्मिक समाचार

महाशिवरात्रि 2023 को लेकर भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है. भगवान शिव की महिमा का बखान करते उनके भक्त नजर आ रहे हैं. शिवजी की महिमा का बखान करते हुए महंत ने बताया कि भगवान शिव और माता पार्वती के दो नहीं बल्कि चार पुत्र थे. जिनमें से दो को ही हम सभी जानते हैं.

mahashivratri 2023
महाशिवरात्रि 2023
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Published : Feb 14, 2023, 8:58 PM IST

महाशिवरात्रि की महिमा

फरीदाबाद: महाशिवरात्रि 2023 नजदीक है. ऐसे में भोले बाबा के भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. अभी से ही महाशिवरात्रि की तैयारियों को लेकर भोले के भक्त जुट गए हैं. कहीं मंदिर सजाया जा रहा है तो कहीं भोले के रंग में रंगने के लिए भक्त खास तैयारी कर रहे हैं. महाशिवरात्रि 2023 को लेकर शिवभक्त भोलेनाथ की पूजा का विशेषतौर पर ध्यान रख रहे हैं ताकि महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से शिव आराधना कर सकें.

महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की महिमा का गुणगान उनके भक्त करते नजर आते हैं. वैसे तो भगवान शिव की महिमा के बारे में सभी जानते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शिवजी के कितने पुत्र थे. हम सभी भोले बाबा के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी को ही जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के दो और पुत्र थे. चलिए आज उन दो पुत्रों के बारे में भी जानते हैं.

ये हैं भगवान शिव के चार पुत्र: ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में महंत मुनिराज ने बताया कि भोले बाबा के चार पुत्र हैं, जिसमें से पृथ्वी पर दो ही पुत्र प्रचलित हुए. जिनका नाम कार्तिक महाराज और गणेश भगवान है. लेकिन इसके अलावा भी भोले बाबा के दो पुत्र और हैं जिनका नाम शिवांश और अंधक है. हालांकि कार्तिकेय भगवान भोले बाबा और मां पार्वती से उत्पन्न हुए थे. इसके अलावा गणेश भगवान की बात करें तो जब पार्वती माता स्नान करने जा रही थीं तो उस समय दरबार पर कोई नहीं था. तब पार्वती माता ने गणेश को उत्पन्न किया था.

यह भी पढ़ें-Mahashivratri 2023: 50 सालों बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा विशेष संयोग, करेंगे ये खास उपाय तो भोलेनाथ पूर्ण करेंगे मनोकामना

कैसे हुआ शिवांश और अंधक का जन्म: वहीं, जब भोले बाबा खुश होकर नटराज बनकर नृत्य कर रहे थे, उस दौरान उनके पसीने की बूंद से एक पुत्र का आगमन हुआ, जिसका नाम शिवांश पड़ा. इसी प्रकार माता पार्वती जी के साथ भगवान भोलेनाथ मग्न थे, उस समय माता पार्वती ने अपना नेत्र बंद कर लिया था. इसी बीच एक पुत्र का आगमन हुआ जिसका नाम अंधक पड़ा.

लेकिन, गुरु शुक्राचार्य ने शिवांश और अंधक को अपने काबू में कर लिया और उन दोनों को अपनी देखरेख में रखा. भगवान भोलेनाथ से उन दोनों का विरोधाभास करवाया. इसीलिए वह मृत्यु को प्राप्त हो गए और भोलेनाथ ने ही अपने उन दोनों पुत्रों का वध किया. इसके पीछे भी भोलेनाथ की रचना थी, क्योंकि इन दोनों को मुक्ति भोले बाबा के हाथों ही मिलनी थी. कहते हैं कि जो भी भक्त भोले बाबा की शरण में जाता है, उनकी मनोकामना पूरी होती है. कष्ट, विकार, क्लेश उनसे दूर रहता है. यही वजह है कि इस महाशिवरात्रि 2023 के दिन आप भोले बाबा को मनाइए, उनकी पूजा कीजिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त कीजिए.

महाशिवरात्रि की महिमा

फरीदाबाद: महाशिवरात्रि 2023 नजदीक है. ऐसे में भोले बाबा के भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. अभी से ही महाशिवरात्रि की तैयारियों को लेकर भोले के भक्त जुट गए हैं. कहीं मंदिर सजाया जा रहा है तो कहीं भोले के रंग में रंगने के लिए भक्त खास तैयारी कर रहे हैं. महाशिवरात्रि 2023 को लेकर शिवभक्त भोलेनाथ की पूजा का विशेषतौर पर ध्यान रख रहे हैं ताकि महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति से शिव आराधना कर सकें.

महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की महिमा का गुणगान उनके भक्त करते नजर आते हैं. वैसे तो भगवान शिव की महिमा के बारे में सभी जानते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि शिवजी के कितने पुत्र थे. हम सभी भोले बाबा के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी को ही जानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के दो और पुत्र थे. चलिए आज उन दो पुत्रों के बारे में भी जानते हैं.

ये हैं भगवान शिव के चार पुत्र: ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में महंत मुनिराज ने बताया कि भोले बाबा के चार पुत्र हैं, जिसमें से पृथ्वी पर दो ही पुत्र प्रचलित हुए. जिनका नाम कार्तिक महाराज और गणेश भगवान है. लेकिन इसके अलावा भी भोले बाबा के दो पुत्र और हैं जिनका नाम शिवांश और अंधक है. हालांकि कार्तिकेय भगवान भोले बाबा और मां पार्वती से उत्पन्न हुए थे. इसके अलावा गणेश भगवान की बात करें तो जब पार्वती माता स्नान करने जा रही थीं तो उस समय दरबार पर कोई नहीं था. तब पार्वती माता ने गणेश को उत्पन्न किया था.

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कैसे हुआ शिवांश और अंधक का जन्म: वहीं, जब भोले बाबा खुश होकर नटराज बनकर नृत्य कर रहे थे, उस दौरान उनके पसीने की बूंद से एक पुत्र का आगमन हुआ, जिसका नाम शिवांश पड़ा. इसी प्रकार माता पार्वती जी के साथ भगवान भोलेनाथ मग्न थे, उस समय माता पार्वती ने अपना नेत्र बंद कर लिया था. इसी बीच एक पुत्र का आगमन हुआ जिसका नाम अंधक पड़ा.

लेकिन, गुरु शुक्राचार्य ने शिवांश और अंधक को अपने काबू में कर लिया और उन दोनों को अपनी देखरेख में रखा. भगवान भोलेनाथ से उन दोनों का विरोधाभास करवाया. इसीलिए वह मृत्यु को प्राप्त हो गए और भोलेनाथ ने ही अपने उन दोनों पुत्रों का वध किया. इसके पीछे भी भोलेनाथ की रचना थी, क्योंकि इन दोनों को मुक्ति भोले बाबा के हाथों ही मिलनी थी. कहते हैं कि जो भी भक्त भोले बाबा की शरण में जाता है, उनकी मनोकामना पूरी होती है. कष्ट, विकार, क्लेश उनसे दूर रहता है. यही वजह है कि इस महाशिवरात्रि 2023 के दिन आप भोले बाबा को मनाइए, उनकी पूजा कीजिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त कीजिए.

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