फरीदाबाद: शनिवार को हरियाणा में अचानक लाखों की संख्या में टिड्डी पहुंची. शनिवार शाम को राजस्थान की ओर से आए टिड्डी दल ने दस्तक दिया. टिड्डियों के आने की सूचना मिलते ही किसान अपनी फसल को बचाने के लिए खेतों को और दौड़ पड़े, किसानों ने अपनी फसलों को बचाने के लिए देसी नुक्से अपनाए. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने फरीदाबाद में कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर महावीर मलिक ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.
डॉ महावीर मलिक कृषि विशेषज्ञ के तौर पर कृषि विभाग के साथ पिछले काफी लंबे समय से काम कर रहे हैं. इससे पहले ये बतौर कृषि अधिकारी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इन टिड्डियों के बारे में महावीर मलिक ने बताया कि टिड्डी दल टिड्डी हमारे भारत में नहीं पाई जाती है. ये अफ्रीका और अरब देशों के रेगिस्तान में पनपती है. जब इसकी संख्या अरबों में हो जाती है तो खाने की तलाश में हवा का रुख करती हैं. जिस तरफ हवा बहती है यह दल उसी तरफ निकल पड़ता है और दल में करोड़ों टिड्डी शामिल होती हैं. ये टिड्डी कई किलोमीटर लंबा कारवां बनाकर यह चलती हैं.
'ये टिड्डी दल जहां जाता है बर्बादी लाता है'
उन्होंने कहा कि यह सर्व भक्षी वनस्पति कीट हैं. यह दल किसी भी प्रकार की फसल पर आंधी की तरह टूट पड़ता है और कुछ ही मिनटों में पूरी फसल को खत्म कर देता है. उन्होंने कहां कि यह टिड्डी हमेशा आती है इसीलिए इनका मल भी वातावरण को प्रदूषित करता है.
'करीब 6 महीने एक टिड्डी की उम्र होती है'
डॉक्टर महावीर मलिक ने कहा कि इस टिड्डी की लाइफ लाइन 4 महीने से लेकर 6 महीने तक होती है. उनकी प्रजनन क्षमता बहुत मजबूत होती है. साल में कई बार यह प्रजनन करती है और अपनी इसी क्षमता के कारण इनकी भीड़ निरंतर बढ़ती रहती है. उन्होंने कहा कि इसको लोकस्ट टिड्डी के नाम से जाना जाता है. वहीं भारत में मिलने वाली टिड्डियों की प्रजाति से बिल्कुल अलग होती.
'पेस्टिसाइड स्प्रे करके फसलों को बचाएं'
उन्होंने कहा कि किसान भाई इनसे अपनी फसलों के बचाव के लिए स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं. कई प्रकार की कीटनाशक दवाओं का स्प्रे करके इनको मारकर फसल को बचाया जा सकता है. इसके अलावा जब भी इस तरह के दल के आने की आशंका रहे, सभी किसानों को जरूरत है कि वह अपने खेतों पर पहुंचकर कपड़े हिलाकर या स्प्रे के माध्यम से फसल को बचाएं.
'सबसे अहम जिम्मेदारी प्रशासन की है'
उन्होंने कहा कि प्रशासन कि इसमें अहम जिम्मेदारी होती है और प्रशासन कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करके इनको अपने सीमा क्षेत्र में घुसने से पहले ही खत्म कर सकता है. हालांकि फरीदाबाद में पहुंचे टिड्डी दल ने फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया है, लेकिन अब फरीदाबाद प्रशासन और किसान दोनों को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है, क्योंकि इस तरह का टिड्डी दल दोबारा भी फरीदाबाद में आ सकता है.
क्यों खतरा है टिड्डी दल?
- भारत में टिड्डियों की चार प्रजातियां पाई जाती हैं.
- डेसर्ट लोकस्ट, माइग्रेटरी लोकस्ट, बॉमबे लोकस्ट, ट्री लोकस्ट टिड्डी झुंड में रहती हैं, वो एक साथ उड़ती हैं.
- टिड्डी दल एक साथ फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं
- टिड्डी एक बहुभक्षी कीट है.
- नीम को छोड़कर सभी वनस्पतियों को अपना भोजन बनाता हैं.
- टिड्डी दल दिन के समय उड़ता है और रात को आराम करने के लिए फसलों पर बैठता है. जहां वो फसलों को अपना शिकार बनाता है.
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