फरीदाबाद: हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती है.भक्त अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ करते हैं.ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जी के रौद्र रूप से काल भैरव की उत्पत्ति हुई है.भक्त काल भैरव की आराधना कर के आकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाने की कामना करते हैं.
काल भैरव पूजा कब की जाती है: प्रत्येक साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव जयंती मनायी जाती है. यह तिथि 5 दिसंबर को पड़ रही है इसलिए काल भैरव जयंती 5 दिसंबर को मनायी जाएगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल 2023 में 4 दिसंबर को रात 9 बजकर 59 मिनट से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि शुरू हो जाती है और अगले दिन यानि 5 दिसंबर की रात 12 बजकर 37 मिनट तक जारी रहेगी. पूजा का शुभ मुहूर्त 5 दिसंबर को पूरे दिन रहने वाला है.
काल भैरव पूजा से क्या लाभ है: काल भैरव पूजा करने से श्रद्धालु तो खुद आकाल मृत्यु से तो बचता ही है साथ ही उसके परिवार में किसी की आकाल मृत्यु हुई होगी तो उसकी आत्मा को भी मुक्ति मिल जाती है.मान्यता है कि काल भैरव से खुद यमराज भी खौफ खाते हैं.इसलिए काल भैरव की पूजा भक्त करते हैं. काल भैरव की पूजा करने से बिगड़े काम भी बनने लगते हैं. पंडित आचार्य श्री महेश भैया जी के अनुसार भक्तों के विशेष कार्यों में भी सफलता मिलने लगती है.साथ ही गुप्त विद्या सीखने वाले साधक भी इसी दिन गुप्त उपासना करते हैं.
काल भैरव की पूजन विधि: पंडित आचार्य श्री महेश भैया जी के अनुसार 5 दिसंबर को स्नान कर के व्रत और पूजा का संकल्प लेने के बाद सबसे पहले मां भगवती की पूजा अर्चना करें.इसके बाद घर में ही पूजा कर रहे हों तो लकड़ी की चौकी पर काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर रख दें.मूर्ति पर फूल और माला चढ़ाएं और कुमकुम से काल भैरव का तिलक करें.गुलाल,अबीर,पांच तरह की मिठाई,पांच प्रकार के फल आदि चढ़ाएं.पूजा के तेल का दीया जलाएं. फिर काल भैरव कवच का पाठ करें और उनकी आरती करें.ऐसा करने से काल भैरव देव प्रसन्न हो जाते हैं. भक्त मंदिर में भी जा कर इसी प्रकार पूजा कर सकते हैं.