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Holi Festival 2023: होलिका दहन से पहले पारंपरिक वेशभूषा में महिलाओं ने की पूजा-अर्चना - होलिका दहन 2023

देश में होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है. होलिका दहन के बाद से रंग के इस पर्व को मनाते हैं. आज शाम को होलिका दहन किया जाएगा.

Holi Festival 2023
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Published : Mar 7, 2023, 1:30 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 2:31 PM IST

होलिका पूजन को आई महिलाएं

फरीदाबाद: बल्लभगढ़ में होलिका दहन 2023 के लिए जगह-जगह होलिका पूजन किया जा रहा है. मंगलवार को शाम के समय होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा धारण की. ट्रेडिशनल कपड़े पहने हुए महिलाएं होलिका स्थल पहुंची, जहां महिलाओं ने होलिका की पूजा की. महिलाओं ने होली की परिक्रमा की और सूत के कच्चे धागे से होलिका को बांधकर अपने परिवार के लिए मंगल कामना और प्रार्थना की. महिलाओं ने बताया कि होलिका की होली से एक दिन पहले पूजी की जाती है. आज के दिन शहर में जगह-जगह होलिका दहन किया जा रहा है. सुबह के वक्त सबसे पहले होलिका की पूजा की गई और रंग लगाकर सबने एक-दूसरे को बधाई दी है.

इसके बाद शाम को होलिका दहन किया जाएगा. महिलाओं ने बताया कि होली से एक दिन पहले होलिका इसलिए पूजी जाती है क्योंकि इस दिन हिरणकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को अपने गोद में लेकर उसे जलाने के लिए आग में बैठी थी, पर प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे. इस वजह से उन्हें आग छू भी नहीं पाई और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई. इसीलिए होली से एक दिन पहले होलिका दहन की जाती है और महिलाएं इस दिन होलिका की पूजा करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर पहुंचती है. महिलाएं इस दिन अपने पुत्र की रक्षा और परिवार की मंगलमय कामना की प्रार्थना करती है.

यह भी पढ़ें-Holi Festival 2023: रंगों के खेलने से पहले हो जाएं सावधान! आंख, आंत और कान को कर सकता है प्रभावित

गोबर के बने उपलों को यहां पर सूत के धागे से बांधकर लाया जाता है. महिलाओं ने बताया कि गोबर से बने उपले होलिका दहन के समय जलाते हैं लेकिन जो सूत का धागा उसमें बांधा जाता है, वो नहीं जलता है ऐसी मान्यता है. होलिका ने जलती आग में प्रह्लाद को गलत मंशा के साथ अपनी गोद में बिठा लिया था, लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ वहीं उसकी बुआ होलिका का दहन हो गया. तभी से बुराई पर अच्छाई का प्रतीक मानी जाने वाली होली को मनाया जाने लगा.

होलिका पूजन को आई महिलाएं

फरीदाबाद: बल्लभगढ़ में होलिका दहन 2023 के लिए जगह-जगह होलिका पूजन किया जा रहा है. मंगलवार को शाम के समय होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा धारण की. ट्रेडिशनल कपड़े पहने हुए महिलाएं होलिका स्थल पहुंची, जहां महिलाओं ने होलिका की पूजा की. महिलाओं ने होली की परिक्रमा की और सूत के कच्चे धागे से होलिका को बांधकर अपने परिवार के लिए मंगल कामना और प्रार्थना की. महिलाओं ने बताया कि होलिका की होली से एक दिन पहले पूजी की जाती है. आज के दिन शहर में जगह-जगह होलिका दहन किया जा रहा है. सुबह के वक्त सबसे पहले होलिका की पूजा की गई और रंग लगाकर सबने एक-दूसरे को बधाई दी है.

इसके बाद शाम को होलिका दहन किया जाएगा. महिलाओं ने बताया कि होली से एक दिन पहले होलिका इसलिए पूजी जाती है क्योंकि इस दिन हिरणकश्यप की बहन होलिका ने प्रह्लाद को अपने गोद में लेकर उसे जलाने के लिए आग में बैठी थी, पर प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे. इस वजह से उन्हें आग छू भी नहीं पाई और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई. इसीलिए होली से एक दिन पहले होलिका दहन की जाती है और महिलाएं इस दिन होलिका की पूजा करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर पहुंचती है. महिलाएं इस दिन अपने पुत्र की रक्षा और परिवार की मंगलमय कामना की प्रार्थना करती है.

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गोबर के बने उपलों को यहां पर सूत के धागे से बांधकर लाया जाता है. महिलाओं ने बताया कि गोबर से बने उपले होलिका दहन के समय जलाते हैं लेकिन जो सूत का धागा उसमें बांधा जाता है, वो नहीं जलता है ऐसी मान्यता है. होलिका ने जलती आग में प्रह्लाद को गलत मंशा के साथ अपनी गोद में बिठा लिया था, लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ वहीं उसकी बुआ होलिका का दहन हो गया. तभी से बुराई पर अच्छाई का प्रतीक मानी जाने वाली होली को मनाया जाने लगा.

Last Updated : Mar 7, 2023, 2:31 PM IST
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