फरीदाबाद: बुधवार को शिक्षा एवं स्वास्थ्य कमेटी की चेयरपर्सन सीमा त्रिखा ने फरीदाबाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान चेयरपर्सन ने अधिकारियों को थैलेसीमिया और हीमोफीलिया को लेकर जरूरी दिशानिर्देश जारी किए.
इस बैठक में फरीदाबाद और पलवल से थैलेसीमिया और हेमेफिलिया के मरीजों और उनके अभिभावकों को भी बुलाया गया. बैठक में मरीजों के अभिभावकों से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दी जा रही सेवाओं के बारे में चर्चा की.
बैठक के बाद चेयरपर्सन सीमा त्रिखा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को बिना किसी चार्ज के समय पर रक्त दीया जाता है. उन्होंने कहा कि बैठक में उनसे पूछा गया है कि उनको किसी तरह की परेशानियां तो नहीं हो रही हैं. साथ ही साथ फरीदाबाद में कितने ब्लड डोनेशन कैंप लगते हैं और किस तरह से उस रक्त का उपयोग किया जाता है. इसको लेकर भी डॉक्टरों के साथ बातचीत हुई.
उन्होंने कहा कि आगे आने वाले समय में मरीजों की सुविधा के लिए कई तरह के नए कदम भी उठाए जाएंगे. सीमा त्रिखा ने कहा कि कुछ अभिभावकों को बीच में अपने पैसे से रक्त खरीदना पड़ा है. जिसको लेकर उन्होंने अधिकारियों के साथ वार्ता की है. स्वास्थ्य विभाग कोरोना के इस काल में लोगों की सेवा करने के लिए सदैव तत्पर है.
क्या होता है थैलेसीमिया रोग?
थैलेसीमिया नाम की बीमारी आनुवांशिक होती है. इस बीमारी का मुख्य कारण रक्तदोष होता है. यह बीमारी बच्चों को अधिकतर ग्रसित करती है और उचित समय पर उपचार नहीं होने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है. आमतौर पर एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या 45 से 50 लाख प्रति घन मिलीलीटर होती है.
शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, लेकिन थैलेसीमिया के मरीजों में इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है. इसका सीधा प्रभाव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है. हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है और कमजोर होकर हमेशा किसी न किसी बीमारी की चपेट में रहने लगता है.
क्या होता है हीमोफीलिया रोग?
हीमोफीलिया भी आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है. इसकी वजह से चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है. खून का बहना जल्द ही बंद नहीं होता. इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है. इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है.
इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है. इस रोग में रोगी के शरीर के किसी भाग में जरा सी चोट लग जाने पर बहुत अकिध मात्रा में खून का निकलना आरंभ हो जाता है. इससे भी रोगी की मृत्यु हो सकती है.
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