फरीदाबाद: छोटे व्यापारियों को कोरोना के चलते दोहरी मार पड़ रही है. इन व्यापारियों को पहले नोटबंदी ने रुलाया था उसके बाद जीएसटी ने उलझाया और अब कोरोना वायरस की वजह से घर पर बैठने पर मजबूर होना पड़ रहा है. इस वक्त इनके धंधे चौपट होने की कागार पर हैं, इस परिस्थिति में अब ये व्यापारी सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
फरीदाबाद में करीब 1800 छोटे उद्योग हैं, जिनमें से ज्यादात्तर अभी भी बंद पड़े हुए हैं. सरल पोर्टल पर आवेदन के बाद भी इन लघु उद्योगों को अभी तक भी चलाने के लिए प्रशासन की तरफ से परमिशन नहीं मिली है. छोटे व्यापारियों का कहना है नोट बंदी हुई तब उनको परेशानियां झेलनी पड़ी, फिर जीएसटी और उसके बाद इस लॉकडाउन ने भविष्य पर बट्टा लगा दिया है.
कोरोना ने किए धंधे चौपट
कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने काम धंधों को चौपट कर दिया है. लोगों के पास पैसा नहीं है तो उनके माल को खरीदने के लिए भी कोई तैयार नहीं है. ऐसे में उन लोगों के सामने जहां आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं व्यापार को चालू रखने का उनको कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा.
किराया बना बोझ
व्यापारियों ने बताया जो व्यापारी किराए पर गोदाम और दुकानें लेकर व्यापार कर रहे हैं. उनके लिए दुकान का किराया देना बहुत ही मुश्किल है, गोदाम और दुकान का मालिक किराया मांगता है जिसे देना पड़ेगा. उन्होंने कहा पहले कई लाखों का धंधा करते थे, लेकिन अब वो धंधा बिल्कुल जीरो है.
ऐसे में अब ये छोटे स्तर पर व्यवसाय करने वाले व्यापारी सिर-माथा पकड़ कर बैठे हैं. इनको अपने भविष्य पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है, इन्हें बस उम्मीद है तो वो है राज्य और केंद्र सरकार से, कि कुछ छूट मिल जाए तो धंधा आगे बढ़े.
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