फरीदाबाद: छत्तीसगढ़ के दीपक देवांगन फरीदाबाद सूरजकुंड मेला 2023 में अपने पुरखों की कला को प्रदर्शित कर रहे हैं. वे बांस और हथकरघा उत्पाद बनाकर एक तरफ जहां प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल के नारे को चरितार्थ कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ प्लास्टिक से दूर रहकर इन आइटम के माध्यम से पर्यावरण बचाने का संदेश भी दे रहे हैं. आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला में चल रहे 36वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में दीपक द्वारा तैयार किये गए यह आइटम पर्यटकों को काफी लुभा रहे हैं.
वर्ष 2009-10 में इस कला में स्टेट अवार्ड से सम्मानित कला शिल्पी दीपक देवांगन ने इस हुनर को कौशल विकास का जरिया बना लिया है. छत्तीसगढ़ के वित्त एवं विकास निगम की सहायता से दीपक देवांगन ने अपने बाप-दादा के हुनर को आगे बढ़ाते हुए मॉडर्न रूप देकर बाजार में अलग जगह बना ली है. वे अपने भाई जगतराम के साथ अपने उत्पादों का न केवल प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही पर्यटकों को अपनी कला से भी रूबरू करा रहे हैं.
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मेला परिसर में उनके स्टॉल पर होम डेकोरेशन के आइटम, कप, प्लेट, गिलास, फ्लावर पोट, हैंगर लैंप, कुर्सी, टेबल लैंप सेट, गार्डनिंग प्रोडक्ट सहित अन्य घरेलू उत्पाद पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं. अब यह कार्य उसकी रोजी-रोटी का मुख्य स्रोत बन गया है. इतिहास विषय में स्नातकोत्तर दीपक देवांगन का कहना है कि उनकी इतिहास के प्रति रुचि हमेशा रही, लेकिन बाद में शौक के चलते उन्होंने आर्ट एंड क्राफ्ट को अपना व्यवसाय बना लिया. उन्होंने बताया कि वे इस तरह के मेलों में हमेशा आते हैं. उनके द्वारा बनाए बांस के गार्डनिंग आइटम देशभर में भेजे जाते हैं.
उनका कहना है कि सूरजकुंड मेले में बांस के बने प्रोडक्ट से एक तरफ जहां किसानों को इसकी खेती करने से उस पर बहुत अच्छे दाम मिल रहे हैं. वहीं, इस आइटम को बनाने में हमारे ग्रुप के सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा है. उन्होंने बताया कि बांस के बने इन उत्पादों में रखी गई खाद्य सामग्री काफी देर तक खराब नहीं होती है. इन उत्पादों के लिए जब हम किसी भी मेटल का प्रयोग करते हैं तो उसका कहीं न कहीं हमारे पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ता है.
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यह आइटम अन्य मेटल के आइटम से थोड़ा महंगा है, लेकिन खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखने और पर्यावरण को बचाने के लिए इनका प्रयोग बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि इस बार उनकी बिक्री अच्छी हुई है. उनकी स्टॉल पर लगे आइटम को देखकर पर्यटक दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं. दीपक ने बताया कि वह दूसरे लोगों को भी कला के माध्यम से हुनरमंद बना रहे हैं.