फरीदाबाद: जिले की पुलिस टीम अपराधों पर लगाम लगाने के लिए लगातार सख्त कार्रवाई कर रही है. इसके साथ ही साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए फरीदाबाद साइबर थाना पुलिस भी बड़ी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है. इसी कड़ी में साइबर थाना पुलिस ने शाही एक्सपोर्ट कंपनी के साथ हुई लाइसेंस कूपन की 27.61 करोड़ की धोखाधड़ी में 10 आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर ली (Cyber fraud arrested in Faridabad) है. दरअसल गिरफ्तारी आरोपी शाही कंपनी के फर्जी डीएससी बनवाकर कंपनी के पैसे ट्रांसफर किया करते थे.
गौरतलब है कि फरीदाबाद स्थित शाही एक्सपोर्ट कंपनी बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर के ससुर हरीश आहुजा की है. जिसमें ठगी का मामला सामने आते ही पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस उपायुक्त नीतीश अग्रवाल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी मनोज लाईसेंसो के ट्रांसफर की प्रकिया का काम करता था. आरोपी ने शाही कम्पनी की फर्जी डीएससी बनवाकर कम्पनी के पैसे ट्रांसफर करता था. जिसकी आईडी से शाही कम्पनी के 27.61 करोड रुपए का लाइसेंस ट्रांसफर करना पाया गया है. वहीं आरोपी प्रवीण कुमार वारदात में प्रयोग दस्तावेजों/ संसाधनों को उपलब्ध कराने का काम करता था, आरोपी मनीष कुमार शाही कम्पनी की फर्जी डीएससी में फोटो बदलने का काम किया था. आरोपी गणेश परशुराम ने अपने नाम पर फर्जी कम्पनी Black curve incorporation बनाकर शाही एक्सपोर्ट कंपनी से करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम (crores Cyber fraud with Shahi export in Faridabad) दिया है.
पुलिस उपायुक्त नीतीश अग्रवाल ने बताया कि इस पूरे मामले में साइबर थाना की टीम ने (Faridabad Cyber Station Police) दिल्ली के नांगल में निवासी मनोज, गीतांजली पार्क सागरपुर निवीसी मनीष को 10 दिसम्बर, प्रवीण कुमार और मनीष कुमार को 16 दिसम्बर दिल्ली के सागरपुर से गिरफ्तार किया है तथा कर्नाटक के रायचूर जिले के गांव इरगेरा में रहने वाले आरोपी गणेश परशुराम को रायचूर से 23 दिसम्बर सहित कुल 10 आरोपियों को अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया है.
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DSC लाइसेंस क्या होता है- भारत सरकार द्वारा इंपोर्ट-एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव स्कीम चलाई जाती है. जिसमें भारत सरकार इंपोर्ट-एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को एक विशेष प्रकार का DSC लाइसेंस प्रदान करती है, जिसके माध्यम से कंपनी को कुछ डिस्काउंट कूपन प्राप्त होते हैं. यह कूपन ठीक उसी प्रकार होते हैं, जैसे पहले मोबाइल रिचार्ज कूपन हुआ करते थे. जिस प्रकार रिचार्ज कूपन की एक वैल्यू होती थी, उसी प्रकार इन डिस्काउंट कूपन की लाखों रुपए की वैल्यू होती है. जिनका उपयोग करके कंपनी द्वारा कोई सामान इंपोर्ट करने पर कंपनी को इंपोर्ट ड्यूटी में छूट मिल जाती थी.
साइबार थाना की टीम ने आरोपियों के सम्बन्ध में जांच की. जिसमें पाया गया कि आरोपी बड़ी-बड़ी कंपनियों के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कोड प्राप्त करके उनका रिकॉर्ड चेक कर कंपनी के खाते में रखे डिस्काउंट कूपने का पता लगाते थे. इसके पश्चात उस कंपनी के डायरेक्टर के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार करके उन्हीं फर्जी दस्तावेज से फर्जी व्यक्ति का वीडियो शूट करवाकर फर्जी DSC लाइसेंस तैयार करवाते थे. इस फर्जी डीएससी का प्रयोग करके असली कंपनी की जानकारी के बिना उसके विदेश व्यापार के बदले प्राप्त छूट लाइसेंसों को धोखाधड़ी से अपनी फर्जी कंपनी के नाम ऑनलाइन ट्रांसफर कर लेते थे.
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वारदात को कैसे दिया अंजाम- गिरोह में शामिल आरोपी भूषण और राहुल किसी भी व्यक्ति के नाम पर एक फर्जी कंपनी रजिस्टर करवा देते थे. इन्होंने अपने साथी आरोपी गणेश जोकि पेशे से एक ऑटो ड्राइवर है, उसके नाम पर Black curve incorporation नाम पर एक फर्जी कंपनी खुलवा कर आरोपी मनीष मोगा ने हरीश आहूजा बनकर एक वीडियो शूट करवाई. जिसमें उसने अपने आप को शाही कंपनी का डायरेक्टर बताया. इसी वीडियो के आधार पर फिर हरीश आहूजा की एक फर्जी DSC आईडी बन गई. फर्जी डीएससी बनने के पश्चात इसमें उपलब्ध शाही कंपनी के 154 डिस्काउंट कूपन को ब्लैक कर्व कॉरपोरेशन के नाम ट्रांसफर कर दिया गया. जिनकी टोटल वैल्यू 27.61 करोड़ रुपए थी. कंपनी को जब इस धोखाधड़ी के बारे में पता लगा, तो उन्होंने पुलिस को इसकी शिकायत दी. जिसके आधार पर 26 जुलाई को पुलिस थाना सेक्टर 31 में धोखाधड़ी तथा आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की गई थी.
पुलिस ने बताया कि जांच में मनोज, मनीष कुमार, प्रवीण कुमार, मनीष कुमार, गणेश परशुराम, भूषण किशन, राहुल रघुनाथ, संतोष सीताराम, सुरेश कुमार और ललीत की शाही एक्सपोर्ट कंपनी के साथ हुई 27.61 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी के मामले में संलिप्ता पाई गई है. जिसमें सामने आया है कि आरोपी सुरेश तथा ललित फर्जी तरीके से प्राप्त इन लाइसेंस कूपनों को आगे दूसरी कंपनियों को बेच कर पैसे कमाते थे. इस प्रकार से आरोपियों ने पूरे देश में स्थित कई कंपनियों के साथ इसी प्रकार की अन्य वारदातों को अंजाम दिया है. जिनके बारे में संबंधित थानों को सूचित किया जा रहा है. आरोपियो से पूछताछ पूरी होने के बाद आरोपियो को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया है.
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