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फरीदाबाद के कोरोना सेंटर्स में लगेंगे स्पेशल कार्डबोर्ड बेड, जानिए खासियत

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Published : Jun 23, 2020, 3:22 PM IST

कोरोना से निपटने के लिए प्रशासन ने फरीदाबाद के सबसे बड़े पांच कॉलेजों की बिल्डिंग को कोरोना सेंटर बनाने का फैसला लिया है. साथ ही इन कोरोना सेंटर में गत्ते के बने बैड लगाने की खरीद प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. शुरुआत में इन सेंटर्स में 20 हजार बेड लगाए जाएंगे.

faridabad administration will use cardboard beds in corona centers
फरीदाबाद के कोरोना सेंटर्स में लगेंगे स्पेशल कार्डबोर्ड बेड

फरीदाबाद: हरियाणा में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद में सबसे ज्यादा कोरोना के केस सामने आ रहे हैं. अगस्त महीने तक फरीदाबाद में 20 हजार कोरोना मरीजों के होने की आशंका है. ऐसे में फरीदाबाद प्रशासन ने कोरोना से जंग लड़ने के लिए कमर कस ली है.

कोरोना से निपटने के लिए प्रशासन ने फरीदाबाद के सबसे बड़े पांच कॉलेजों की बिल्डिंग को कोरोना सेंटर बनाने का फैसला लिया है. साथ ही इन कोरोना सेंटर में गत्ते के बने बेड लगाने की खरीद प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. शुरुआत में इन सेंटर्स में 20 हजार बेड लगाए जाएंगे.

फरीदाबाद के कोरोना सेंटर्स में लगेंगे स्पेशल कार्डबोर्ड बेड

दरअसल, फरीदाबाद प्रशासन की ओर से कोरोना मरीजों के लिए खास तौर पर गत्ते के बैड बनाने का ऑर्डर दिया गया है. इन्हें कार्डबोर्ड बेड भी कहा जाता है. कुछ बेड के सैंपल भी फरीदाबाद प्रशासन के पास आए हैं. जिन्हें अभी परखा जा रहा है.

कैसे बनते हैं कार्डबोर्ड बेड ?

ये कार्डबोर्ड बेड खासतौर पर कोरोना मरीजों के लिए बनाए जा रहे हैं. इन बेड्स को बनाने में लकड़ी की जगह कागज का इस्तेमाल किया गया है. दरअसल, माना जाता है कि कोरोना वायरस कागज पर दूसरी किसी सतह से कम समय के लिए टिक पाता है. ऐसे में कार्डबोर्ड बेड का इस्तेमाल करने से कोरोना संक्रमण को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है.

ये भी पढ़िए: सोनीपत: गोहाना-जींद रेलवे ट्रैक पर बनाई जाएगी कंक्रीट की दीवार

क्या है खासियत?

इको फ्रेंडली: आमतौर पर बेड बनाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ये बेड्स इको फ्रेंडली हैं. जिन्हें लकड़ी की बजाए कागज से बनाया जा रहा है.

ईजी टू डिस्पोज: लकड़ी की तुलना में कागज का निपटान आसानी से किया जा सकता है. यानी की कोरोना मरीज के इस्तेमाल में लाने के बाद इसे आसानी से नष्ट किया जा सकता है.

सुविधाजनक: लकड़ी के बेड भारी होते हैं, जिन्हें एक शख्स मुश्किल से उठा पाता है, लेकिन कागज से बने कार्डबोर्ड बेड हल्के हैं. जिन्हें एक सेंटर से दूसरे सेंटर आसानी से भेजा जा सकता है.

वजन उठाने में सक्षम: कार्डबोर्ड बेड कागज के जरूर बने हैं, लेकिन ये 100 से 200 किलो तक का वजन उठाने में सक्षम होते हैं. जिन्हें 6 महीने से लेकर 1 साल तक रखा जा सकता है.

फरीदाबाद: हरियाणा में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद में सबसे ज्यादा कोरोना के केस सामने आ रहे हैं. अगस्त महीने तक फरीदाबाद में 20 हजार कोरोना मरीजों के होने की आशंका है. ऐसे में फरीदाबाद प्रशासन ने कोरोना से जंग लड़ने के लिए कमर कस ली है.

कोरोना से निपटने के लिए प्रशासन ने फरीदाबाद के सबसे बड़े पांच कॉलेजों की बिल्डिंग को कोरोना सेंटर बनाने का फैसला लिया है. साथ ही इन कोरोना सेंटर में गत्ते के बने बेड लगाने की खरीद प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. शुरुआत में इन सेंटर्स में 20 हजार बेड लगाए जाएंगे.

फरीदाबाद के कोरोना सेंटर्स में लगेंगे स्पेशल कार्डबोर्ड बेड

दरअसल, फरीदाबाद प्रशासन की ओर से कोरोना मरीजों के लिए खास तौर पर गत्ते के बैड बनाने का ऑर्डर दिया गया है. इन्हें कार्डबोर्ड बेड भी कहा जाता है. कुछ बेड के सैंपल भी फरीदाबाद प्रशासन के पास आए हैं. जिन्हें अभी परखा जा रहा है.

कैसे बनते हैं कार्डबोर्ड बेड ?

ये कार्डबोर्ड बेड खासतौर पर कोरोना मरीजों के लिए बनाए जा रहे हैं. इन बेड्स को बनाने में लकड़ी की जगह कागज का इस्तेमाल किया गया है. दरअसल, माना जाता है कि कोरोना वायरस कागज पर दूसरी किसी सतह से कम समय के लिए टिक पाता है. ऐसे में कार्डबोर्ड बेड का इस्तेमाल करने से कोरोना संक्रमण को काफी हद तक फैलने से रोका जा सकता है.

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क्या है खासियत?

इको फ्रेंडली: आमतौर पर बेड बनाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ये बेड्स इको फ्रेंडली हैं. जिन्हें लकड़ी की बजाए कागज से बनाया जा रहा है.

ईजी टू डिस्पोज: लकड़ी की तुलना में कागज का निपटान आसानी से किया जा सकता है. यानी की कोरोना मरीज के इस्तेमाल में लाने के बाद इसे आसानी से नष्ट किया जा सकता है.

सुविधाजनक: लकड़ी के बेड भारी होते हैं, जिन्हें एक शख्स मुश्किल से उठा पाता है, लेकिन कागज से बने कार्डबोर्ड बेड हल्के हैं. जिन्हें एक सेंटर से दूसरे सेंटर आसानी से भेजा जा सकता है.

वजन उठाने में सक्षम: कार्डबोर्ड बेड कागज के जरूर बने हैं, लेकिन ये 100 से 200 किलो तक का वजन उठाने में सक्षम होते हैं. जिन्हें 6 महीने से लेकर 1 साल तक रखा जा सकता है.

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