फरीदाबाद: कोरोना के संकट से धीरे-धीरे उद्योग बाहर आ रहे हैं, तो वहीं लघु उद्योगों पर कोरोना के बाद भी आर्थिक संकट गहराता नजर आ रहा है. स्टील, कॉपर, एलुमिनियम से विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट बनाकर बेचने वाले छोटे कारोबारी इन दिनों आर्थिक रूप से काफी चिंता (Faridabad Small Industrialist Problems) में नजर आ रहे हैं. पिछले एक साल से कच्चे माल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जबकि माल से तैयार जो प्रोडक्ट किया जा रहा है उसकी कीमत पहले जितनी ही है.
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत ने भी छोटे कारोबारियों के सामने बड़ी परेशानी खड़ी की है. पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ने से उनका ट्रांसपोर्ट किराया भी काफी बढ़ गया है. छोटे कारोबारियों की माने तो पहले जहां उनको 10 फीसदी मुनाफा हुआ करता था, अब वह मुनाफा घटकर 5 फीसदी ही रह गया है. जिस तरह से कच्चे माल के दामों में वृद्धि हो रही है आने वाले समय में छोटे कारोबारियों के लिए कारोबार करना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
फरीदाबाद के एक कारोबारी राम अवतार ने बताया कि लघु सूक्ष्म उद्योगों को वैसे तो सरकार बढ़ावा देने की बात कर रही है. कच्चे माल की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, जिसके चलते जो कॉपर पहले 600 रुपये प्रति किलो तक आ जाता था. आज उसकी कीमत 850 प्रति किलो हो गई है, लेकिन प्रोडक्ट तैयार होने के बाद कंपनियां पहले जितने भाव में ही ले रही हैं.
पिछले कुछ महीनों में लोहे पर करीब 20 फीदसी की वृद्धि हुई है. एलुमीनियम पर भी लगभग 30 फीसदी की वृद्धि हुई है और इनके भाव बढ़ जाने से कच्चा माल खरीदना महंगा हो गया है. ऐसे में छोटे कारोबारियों को कारवां चलाना बेहद महंगा पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को छोटे कारोबारियों की मदद करने के लिए बीच में आना होगा. उन्होंने मांग की कि कच्चे माल के उत्पादों की खुदरा दर तय करने के लिए नियामक आयोग बने.
कारोबारी जयपाल का कहना है कि इस समय मार्केट में कच्चे माल से तैयार प्रोडक्ट की डिमांड कम है, इसलिए उनका काम धंधा भी प्रभावित चल रहा है और इस समय वर्करों की तनख्वाह निकालना भी बेहद मुश्किल हो रहा है. ऐसे में जिस तरह से देश में ओमीक्रोन का कहर (Omicron Fear In Faridabad Industrialists) बढ़ रहा है आने वाले समय में इंडस्ट्रीज के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि वायु प्रदूषण के चलते बहुत सारे छोटे उद्योगों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में लघु सूक्ष्म उद्योग सरकार की तरफ उम्मीद लगाए बैठे है.
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