फरीदाबाद: भले ही कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) अब दम तोड़ती नजर आ रही हो, लेकिन अभी तक इस वायरस का प्रभाव खत्म नहीं हुआ है. त्योहारी सीजन में भी ज्यादातर सेक्टर मंदी की मार से जूझ रहे हैं. ऑटो सेक्टर का भी कुछ यही हाल है. पहले के मुकाबले इस बार ऑटो सेक्टर (Economic crisis on auto sector) ठंडा पड़ा है. ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना के चलते खुद लोगों के पास ही रोजगार नहीं रहा.
जिनके पास रोजगार है भी तो वो घर का गुजारा बामुश्किल कर रहे हैं. ऐसे में ऑटो सेक्टर पर भी आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है. ऑटो सेक्टर में सेलर इस बार उम्मीद कर रहे थे कि कोरोना के बाद उनका व्यापार दोबारा पटरी पर लौटेगा, लेकिन उनकी ये उम्मीद अब खत्म होती नजर आ रही है. कोरोना की वजह से गाड़ियों की बिक्री 50 फीसदी तक घटी है. हीरो मोटरसाइकिल एजेंसी के मैनेजर रवि ने बताया कि ऑटो सेक्टर अभी तक मंदी की चपेट में है.
इसकी सबसे बड़ी वजह से लोगों के पास पैसे की कमी का होना. कुल मिलाकर ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों को अभी तक मायूसी ही हाथ लगी है. उम्मीद थी कि इस बार दिवाली पर ऑटो मार्केट में कुछ तेजी आएगी, लेकिन विक्रेताओं के साथ मायूसी ही लगी है. मारुति सुज़ुकी के सेल्स मैनेजर ने बताया कि गाड़ियों में सेमीकंडक्टर चिप के ना होने के चलते भी उनकी सेल कम हुई है, क्योंकि सेमीकंडक्टर चिप के चलते गाड़ियों की डिलीवरी करना उनके लिए बेहद मुश्किल हो रहा है.
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एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते फाइनेंशियल ईयर में यात्री वाहनों की बिक्री में 2.24 प्रतिशत की गिरावट आई है. सभी कटेगिरी में मिलाकर बात करें तो व्हीकल सेल्स में 13.6 फीसदी की गिरावट आई है. इंडस्ट्री बॉडी SIAM ने ये डाटा जारी किया है. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद से ही ऑटो सेक्टर पर मंदी की मार से जूझ रहा है. भले ही अब कुछ सामान्य हो रहा हो, लेकिन ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों को कोई राहत नहीं नजर आ रही.
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