फरीदाबाद: आज के समय में समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए जीना चाहते हैं. समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं. इसके लिए वे अपनी सारी सुख सुविधाओं को भूल जाते हैं. फरीदाबाद की मीनू और उनकी पूरी टीम कुछ इसी तरह की सोच के साथ महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने की कोशिश कर रही हैं. वे महिलाओं को न्याय दिलाने में लगी हुईं हैं.
महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार ने बदल दी मीनू की जिंदगी: दरअसल मीनू गोयल पेशे से एक वकील भी हैं, जब मीनू कोर्ट में प्रैक्टिस किया करती थीं, उस दौरान महिला अत्याचार से जुड़े बहुत मामले उनके सामने आते थे. उसी समय उन्होंने सोचा, क्यों ना महिलाओं के लिए काम किया जाए ? बस वे इस सवाल का जवाब तलाशने लगी. उन्होंने 2020 में 'ईश्वर लाडली फाउंडेशन' बनाया. इस फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने महिलाओं की आवाज उठाना शुरू किया. मीनू के साथ उनकी दोस्त मधु भी जुड़ गईं. इसके बाद धीरे-धीरे 12 से 13 लड़कियों का ग्रुप बन गया. अब ये लड़कियां महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाती हैं.
परिवार वालों ने विरोध किया, अब सपोर्ट: ईटीवी भारत से बातचीत में मीनू ने बताया,'हमने ऐसा संगठन बनाया जिसके माध्यम से सभी महिलाओं को न्याय दिलाया जा सके. साथ ही महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोका जा सका.शुरुआती दिनों में परिवार वाले ताने मारते थे.पर अब वो सपोर्ट करते हैं.' मीनू आगे बताती हैं कि मुझे अच्छा भविष्य बनाने के लिए बोला जाता था. लोगों को लगता था कि इस जनहित के काम में भविष्य नहीं है. मीनू ने सब की बातों को अनसुना कर दिया. इसके अलावा उसने और टीम की लड़कियों ने शादी नहीं करने की भी कसमें खाईं .
आमदनी के लिए ग्रॉसरी घरों तक पहुंचाने का काम: संस्था को चलाने के लिए फाइनेंशियल सपोर्ट की जरूरत होती है. ये टीम किसी के सामने हाथ नहीं फैलाती हैं. बल्कि स्वयं काम करती है. ये घरों में ग्रासरी पहुंचाने का काम करती हैं. इससे जो आमदनी होती है. उसका एक हिस्सा फाउंडेशन को देती हैं. मीनू बताती हैं,'हमारे संगठन में कोई मेकअप आर्टिस्ट है, तो कोई बड़ी कंपनी में एचआर की पोस्ट पर. सभी अपनी सैलरी में से छोटा हिस्सा संस्था को दान करती हैं.'फाउंडेशन की एक और कोशिश होती है कि मदद के दौरान ज्यादा कोर्ट कचहरी के चक्कर ना लगाने पड़े. इसके लिए पीड़ित महिलाओं की काउंसलिंग करके समस्या का हल निकाला जाता है.
पीड़ित महिलाओं को रोजगार: मीनू ने बताया कि ऐसी महिलाएं जिनके पास कोई रोजगार नहीं है, उनको हम रोजगार भी मुहैया करवाते हैं. पहले महिलाओं की ट्रेनिंग करवाई जाती है. उसके बाद उनको रोजगार मुहैया करवाया जाता है. ट्रेनिंग उसी क्षेत्र में करवाई जाती है जिसमें महिला की रूचि होती है. वहीं संगठन में शामिल एक महिला राबिया का कहना है, 'मैं खुद एक कंपनी में एचआर पोस्ट पर हूं. ऑफिस का काम खत्म करने के बाद मैं यहां पर घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं की काउंसलिंग करती हूं. पति-पत्नी के झगड़ों को काउंसलिंग के माध्यम से हल करने की कोशिश की जाती है.' वहीं, फाउंडेशन के साथ जुड़ी नीतू गोयल कहती हैं,'मैं गरीब बच्चियों की शादी में फ्री मेकअप मुहैया करवाती हैं. घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिलाएं मेकअप सीखना चाहती हैं.तो उन्हें फ्री में मेकअप का काम भी सिखाती हूं.'
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मुफ्त में दी जाती हैं दवाइयां: वहीं, संगठन में काम करने वाली आशु वर्मा बताती हैं,'हम घरों से बची हुई, ऐसी दवाइयां भी लाते हैं जो अभी एक्सपायर नहीं होती हैं.इन दवाइयों को जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं. सब अपने-अपने कामों में पूरी निष्ठा सेवा भाव से लगे हैं.' अब इन लड़कियों का संगठन फरीदाबाद में चर्चा का विषय बना हुआ है. अब जिले के बाहर से भी लोग इन संस्था को संपर्क कर रहे हैं. इस संस्था के माध्यम से महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं.
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