फरीदाबाद: आजकल बच्चों में स्मार्टफोन पर ऑनलाइन गेम्स का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है. इन गेम्स में बच्चों को एक अलग दुनिया अनुभव होती है. इन गेम्स के फीचर्स और एनिमेशन इतने आकर्षक होते हैं कि बच्चों पर हावी हो जाते हैं. ऑनलाइन उपलब्ध ये गेमिंग कपनियां कुछ स्पेशर फीचर्स और नए एक्सपीरियंस को उपलब्ध करवाने के लिए पैसों की डिंमाड करती हैं, और यहीं से शुरू होता है नादान बच्चों से मुनाफा कमाने का कारोबार.
बच्चे जैसे-जैसे ऑनलाइन गेम्स में आगे बढ़ते जाते हैं. उनके लिए और बेहतरीन चैलेंज, फीचर्स और गेम जीतने के लिए पावर ऑप्शन बढ़ते जाते हैं, लेकिन इसी बीच गेमिंग कंपनीज लूट बॉक्स, पावरफुल वेपन्स, एनर्जी, थीम, कॉस्ट्यूम जैसे कई टूल्स को खरीदने के लिए उकसाती हैं, जिनकी कीमत 40-50 रुपये से लेकर लाखों रुपये तक होती है. नादान बच्चे गेम्स में आए इन नोटिफिकेशंस को गेम का हिस्सा मान बैठते हैं और पेमेंट कर बैठते हैं.
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ज्यादा बच्चे जिस मोबाइल में गेम खेलते हैं वो उनके अभिभावकों के होते हैं, डिजिटल युग में ज्यादातर मोबाइल गूगल-पे, फोन-पे जैसे इंस्टेंट पेमेंट ऐप से लिंक्ड होते हैं. इसलिए गेमिंग कंपनी एक बार गेम खेल रहे बच्चे की और से 'Allow Payment' या 'Purchase' बटन पर क्लिक करते ही मोबाइल पेमेंट अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर देती हैं, और चंद मिनट में ही घर के नादान बच्चे की गलती से लोगों के खाते से लाखों रुपये उड़ जाते हैं.
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देश के अलग-अलग हिस्सों से ऑनलाइन गेम्स में इस तरह से होने वाली ठगी के दर्जनों मामले सामने आते रहते हैं. फरीदाबाद में इस तरह के 2 मामले सामने आए हैं. पहले मामले में ऑनलाइन गेम खेलते हुए गेम पर शॉपिंग करने का एक लिंक आता है. जैसे ही उस प्रोडक्ट को खरीदने के लिए गेम खेलने वाला उस लिंक पर क्लिक करता है. उसके खाते से 20,000 रुपये काट लिए जाते हैं. जब वह संबंधित कंपनी को इसकी जानकारी देता है तो उसको कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है. बिल्कुल इसी तरह की घटना फरीदाबाद के शिवम के साथ हुई. गेम अपग्रेड करने के नाम पर शिवम से 15,000 की वसूल लिए गए.
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने हरियाणा पुलिस में साइबर सेल के एक्सपर्ट विनोद भाटी से इस बारे में बात की और जाना कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अभिभावक किन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक्सपर्ट विनोद भाटी ने जानकारी दी कि सबसे पहले तो अभिभावकों को इंटरनेट बैंकिंग से होने वाली पेमेंट ट्रांजेक्शन की लिमिट को कंट्रोल करना होगा. अगर इंटरनेट से ट्रांजेक्शन लिमिट सिर्फ एक या दो हजार रुपये रख दी जाए, तो किसी बड़े नुकसान से बचा जा सकता है.
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एक्सपर्ट विनोद भाटी ने बताया कि माता पिता दूसरा तरीका ये भी अपना सकते हैं कि बच्चों को ऑनलाइन गेम्स खेलने से रोका जाए, क्योंकि ज्यादातर ट्रांजेक्शन गेम खेलते समय आने वाली नोटिफिकेशन के जरिए किए जाते हैं. बच्चों को ऑफलाइन गेम खेलने लिए ही अनुमति दी जाए. विनोद भाटी अभिभावकों सलाह देते हैं कि बच्चों को मोबाइल फोन और ऑनलाइन गेम की दुनिया से दूर रखा जाए, क्योंकि जिस बच्चे को एक बार उनकी लत लग जाती है. उनको गेम खेलने से मना कर पाना बेहद मुश्किल होता है.
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