फरीदाबाद: बहुचर्चित कांत एंक्लेव में आखिरकार आज पीला पंजा चल ही गया, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद सुबह से ही कांत एंक्लेव में फॉरेस्ट विभाग तोड़फोड़ कर रहा है.
पीड़ितों की याचिका के बाद लटका मामला
11 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के अरावली में अवैध तरीके से निर्मित कांत एंक्लेव को 31 दिसंबर को गिराने का आदेश दिया था. जिसके बाद पीड़ित परिवारों ने कोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद मामला लटक गया था.
विभाग ने की कार्रवाई
इस दौरान बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पराशर ने सुप्रीम कोर्ट में कांत एंक्लेव को तोड़ने के लिए याचिका दायर कर दी जिसके बाद विभाग ने कार्रवाई की.
फिर से जीव-जंतुओं को मिलेगा बसेरा
इस पूरे मामले पर बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एल.एन. पराशर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें खुशी है कि आखिरकार कांत एंक्लेव में तोड़फोड़ की जा रही है. अब अरावली बच पायेगी और वहां रहने वाले जीव-जंतुओं को फिर से बसेरा मिलेगा.
जानें क्या है? पूरा मामला
अरावली पर्वत की रेंज में बने कांत एनक्लेव की जमीन को जंगल घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. पिछले साल कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मकानों को तोड़ने के आदेश दिए थे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को मुआवजा देने के आदेश भी दिए थे.
हरियाणा सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक कांत एनक्लेव में करीब 43 मकान बने हुए हैं. इनमें से 23 का नक्शा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के पास है. इसके अलावा 20 मकानों का निर्माण बिना नक्शा पास करवाए ही करा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च तक खुद मकान खाली करने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य किया था. शपथ पत्र न देने की स्थिति में 31 मार्च के बाद मकान तोड़ देने के आदेश दिए थे.
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अनुसार करीब 20 मकानों के शपथ पत्र नहीं दिए गए थे. 31 मार्च के बाद मकान तोड़ने के आदेश पर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है.