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चरखी दादरी में चकबंदी योजना के नाम पर किसानों से हुई धोखाधड़ी - चरखी दादरी गांव गुडाना ग्रामीण धरना

चरखी दादरी जिले के गांव गुडाना में ग्रामीणों ने अधिकारियों पर चकबंदी में धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. ग्रामीण नए सिरे से चकबंदी करवाने की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे हैं.

charkhi dadri protest
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Published : Jun 24, 2020, 5:03 PM IST

चरखी दादरी: गांव गुडाना में जमीन की चकबंदी के नाम पर ग्रामीणों से धोखाधड़ी हुई है. ग्रामीण अब नए सिरे से चकबंदी करवाने की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे हैं. ग्रामीण भूख हड़ताल कर आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. ग्रामीण सरकार व प्रशासन से चकबंदी टीम सदस्यों को बदलने व कागजों में की गई गड़बड़ी को दुरूस्त करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने रोष प्रदर्शन करते हुए इस घोटाले की जांच करवाने की मांग की है.

राजस्व विभाग द्वारा की गई थी चकबंदी

बता दें कि, राजस्व विभाग द्वारा गांव गुडाना में जमीन की चकबंदी की गई. चकबंदी प्रक्रिया में किसानों से धोखाधड़ी होने का खुलासा हुआ तो ग्रामीण गांव के बस स्टैंड पर धरने पर बैठ गए. एक सप्ताह से धरने पर बैठे ग्रामीणों ने रोष प्रदर्शन किया और कहा कि जब तक चकबंदी दोबारा नए सिरे से नहीं होगी तब तक वो अपना धरना जारी रखेगें. इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े तो भी देने को तैयार हैं. दो दिन तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो प्रत्येक ग्रामीण धरने पर भूख हड़ताल में शामिल होगा.

चरखी दादरी में चकबंदी योजना के नाम पर किसानों से हुई धोखाधड़ी, धरना शुरू.

ग्रामीण बबली, मनोज, पदम सिंह सहित अनेक लोगों ने बताया कि उनके इलाके में मिलीभगत से चकबंदी हुई है, जिससे सैकड़ों किसान व गांव के लोगों का वो हाल कर दिया गया कि किसान दर-दर भटक रहे हैं. वहीं गांव के लोग घर से बेघर हो गए हैं. विभागीय साठ-गांठ के चलते गांव के कुछ लोगों ने मनमाने ढंग से जमीन अपने नाम करवा ली है. इसका खुलासा चकबंदी के दौरान हुआ है.

ग्रामीण करेंगे आर-पार की लड़ाई

चकबंदी में हुई गड़बड़ी को ठीक करवाने के लिए ग्रामीण व किसान अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, बावजूद इसके कोई समाधान नहीं हुआ. ग्रामीणों ने अल्टीमेटम दिया कि अगर सरकार व प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो दो दिन बाद ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठेंगे और आर-पार की लड़ाई का ऐलान करेंगे. वहीं तहसीलदार अजय कुमार ने बताया कि चकबंदी नियमानुसार की गई है. इस बारे में ग्रामीणों से राय भी मांगी गई थी. अगर फिर भी ग्रामीणों को शिकायत है तो उच्चाधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या का हल करवा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- मंत्री का घेराव करने गए PTI टीचर्स को पुलिस ने रोका, दादरी में विरोध प्रदर्शन

चरखी दादरी: गांव गुडाना में जमीन की चकबंदी के नाम पर ग्रामीणों से धोखाधड़ी हुई है. ग्रामीण अब नए सिरे से चकबंदी करवाने की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे हैं. ग्रामीण भूख हड़ताल कर आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. ग्रामीण सरकार व प्रशासन से चकबंदी टीम सदस्यों को बदलने व कागजों में की गई गड़बड़ी को दुरूस्त करने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने रोष प्रदर्शन करते हुए इस घोटाले की जांच करवाने की मांग की है.

राजस्व विभाग द्वारा की गई थी चकबंदी

बता दें कि, राजस्व विभाग द्वारा गांव गुडाना में जमीन की चकबंदी की गई. चकबंदी प्रक्रिया में किसानों से धोखाधड़ी होने का खुलासा हुआ तो ग्रामीण गांव के बस स्टैंड पर धरने पर बैठ गए. एक सप्ताह से धरने पर बैठे ग्रामीणों ने रोष प्रदर्शन किया और कहा कि जब तक चकबंदी दोबारा नए सिरे से नहीं होगी तब तक वो अपना धरना जारी रखेगें. इसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े तो भी देने को तैयार हैं. दो दिन तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो प्रत्येक ग्रामीण धरने पर भूख हड़ताल में शामिल होगा.

चरखी दादरी में चकबंदी योजना के नाम पर किसानों से हुई धोखाधड़ी, धरना शुरू.

ग्रामीण बबली, मनोज, पदम सिंह सहित अनेक लोगों ने बताया कि उनके इलाके में मिलीभगत से चकबंदी हुई है, जिससे सैकड़ों किसान व गांव के लोगों का वो हाल कर दिया गया कि किसान दर-दर भटक रहे हैं. वहीं गांव के लोग घर से बेघर हो गए हैं. विभागीय साठ-गांठ के चलते गांव के कुछ लोगों ने मनमाने ढंग से जमीन अपने नाम करवा ली है. इसका खुलासा चकबंदी के दौरान हुआ है.

ग्रामीण करेंगे आर-पार की लड़ाई

चकबंदी में हुई गड़बड़ी को ठीक करवाने के लिए ग्रामीण व किसान अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, बावजूद इसके कोई समाधान नहीं हुआ. ग्रामीणों ने अल्टीमेटम दिया कि अगर सरकार व प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो दो दिन बाद ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठेंगे और आर-पार की लड़ाई का ऐलान करेंगे. वहीं तहसीलदार अजय कुमार ने बताया कि चकबंदी नियमानुसार की गई है. इस बारे में ग्रामीणों से राय भी मांगी गई थी. अगर फिर भी ग्रामीणों को शिकायत है तो उच्चाधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या का हल करवा सकते हैं.

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